हिमाचल प्रदेश में ऑरेंज अलर्ट के बीच शनिवार को तेज बारिश हुई. मंडी में भी सुबह से ही रिमझिम बारिश का दौर जारी रहा. एक तरफ कुछ लोग इस मौसम को खूब एंजॉय करते दिख रहे हैं, तो दूसरी ओर बड़ी संख्या उन लोगों की भी है जो बाढ़ और बारिश से जुड़ी घटनाओं से परेशान हैं. किसानों की फसलें भी बारिश से प्रभावित हो रही हैं. बारिश होने से तापमान में गिरावट आई है. दोपहर बाद भी हल्की बारिश जारी रही. इस दौरान पहाड़ियां धूंध से ढंकी नजर आईं. किसान और दुकानदार गंगा राम ने बताया कि खेती के लिए हल्की बारिश नहीं बल्कि ज्यादा बारिश चाहिए जिससे लोग धान की फसल लगा सकें.
बता दें कि 11 जुलाई तक प्रदेश में मौसम खराब बना रहने का पूर्वानुमान है. प्रदेश में बारिश के चलते 91 सड़कों पर आवाजाही पूरी तरह बंद है. 69 बिजली ट्रांसफॉर्मर ठप हैं. वहीं 73 पेयजल योजनाएं प्रभावित चल रही हैं. इसी के साथ मौसम विभाग कार्यालय ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के सात जिलों के लिए 'रेड' अलर्ट जारी किया, जिसमें आठ और नौ जुलाई को अति भारी बारिश की चेतावनी दी गई है.
सोलन जिले के कसौली में सुबह भारी बारिश के कारण हुए लैंडस्लाइड से निर्माणाधीन तीन मकान क्षतिग्रस्त हो गए. अधिकारियों ने कहा कि घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और घटना में कोई हताहत नहीं हुआ. मौसम कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के प्रभाव के कारण आठ और नौ जुलाई को चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, ऊना, हमीरपुर और बिलासपुर जिलों में अलग-अलग स्थानों पर अति भारी बारिश होने की संभावना है.
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अति भारी बारिश का 'रेड' अलर्ट एक दिन में 204 मिमी से अधिक बारिश की संभावना को बताता है. बयान में आगे कहा गया कि आठ और नौ जुलाई के लिए शिमला, सिरमौर, सोलन और लाहौल और स्पीति के लिए भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया गया है. मौसम विभाग ने 13 जुलाई तक राज्य में बारिश की भविष्यवाणी की है. मौसम कार्यालय ने कांगड़ा, चंबा, शिमला, मंडी, कुल्लू, सिरमौर, सोलन और ऊना जिलों में नदी-नाले के किनारे वाले क्षेत्रों में अचानक बाढ़ की संभावना और निचली और मध्य पहाड़ियों में पानी, बिजली और फोन सुविधाओं के बाधित होने की भी चेतावनी दी है.
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मौसम विभाग ने कहा है कि भारी बारिश से विजिबिलिटी भी कम हो सकती है. लोगों को उन इलाकों में जाने से बचने की सलाह दी गई है जहां भारी जलभराव होता है. ऐसे इलाकों में जलभराव खतरनाक हो सकता है. ब्यास और उसकी सहायक नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. हिमाचल प्रदेश में अभी तक बारिश से जुड़ी घटनाओं में 43 लोगों की जान गई है और प्रदेश को 352 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह नुकसान मौजूदा मॉनसून सीजन का है.