
बारिश की मार झेल रहे महाराष्ट्र के किसानों के लिए सरकार से कर्ज माफी और राहत पैकेज की मांग आम है. लेकिन नासिक के कुछ किसानों ने इस कहानी को उल्टा कर दिया है. नासिक में सह्याद्री फार्म्स ने सरकार से जितना लाभ उठाया, उससे कई गुना अधिक योगदान दिया है. सह्याद्री फार्म्स भारत का सबसे बड़ा किसान सहकारी समूह है. पिछले 14 सालों में इसने कृषि वित्त के परंपरागत मॉडल को बदल दिया. जहां सरकार से उन्हें 55.49 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिली, वहीं उन्होंने सरकार को 218 करोड़ रुपये लौटाए. इसमें शामिल हैं 136 करोड़ रुपये का आयकर भुगतान, 35 करोड़ रुपये का GST और 46 करोड़ रुपये का अन्य कर. आसान भाषा में इसे समझें तो, हर 1 रुपये सब्सिडी पर किसानों ने लगभग 4 रुपये का योगदान दिया. यह दिखाता है कि कृषि में पैसों की संभावना है.
FY2025 में, सह्याद्री का टर्नओवर ₹1,955 करोड़ तक पहुंच गया, जिसमें EBITDA ₹246 करोड़ और PAT 99.7 रुपये करोड़ था. इस दौरान, कर्मचारियों की संख्या 3,811 से बढ़कर 7,036 हो गई, जिनमें से 30% महिलाएं हैं.
FY2020 में 460 करोड़ रुपये के टर्नओवर से शुरू होकर, इसने FY23 में 1,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया. FY25 में कुल रेवेन्यू में मुख्य योगदान देने वाले थे:
इसने किसानों से 3.82 लाख टन फल और सब्जियां खरीदीं, जैसे अंगूर, टमाटर, संतरे, केले और स्वीट कॉर्न.
सह्याद्री भारत का सबसे बड़ा इंटीग्रेटेड फल और सब्ज़ी प्लेटफ़ॉर्म बन गया है. इसका इनक्लूसिव मॉडल किसानों को पूरी वैल्यू चेन से जोड़ता है-प्राइमरी प्रोसेसिंग से लेकर जैम, सॉस, ड्रिंक्स और वेस्ट प्रोसेसिंग तक.
सह्याद्री के चेयरमैन विलास शिंदे कहते हैं, "हमने यह सफ़र छोटे किसानों को सही मुआवज़ा दिलाने के लिए शुरू किया था. अगर खेती को एक बिज़नेस की तरह देखा जाए, तो किसान बिना किसी मदद के सफल हो सकते हैं."
आज, सह्याद्री में 30,000 से ज़्यादा रजिस्टर्ड किसान हैं, जो 40,000 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन पर खेती करते हैं, और अपने प्रोडक्ट्स 42 देशों में एक्सपोर्ट करते हैं. इससे यह साबित होता है कि मिलकर कोशिश करने और बिज़नेस को ध्यान में रखकर काम करने से किसान खुशहाली पा सकते हैं.
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