एमपी में खाद की कमी को लेकर किसानों का गुस्सामध्यप्रदेश के गुना जिले में इस साल भी किसानों को खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है. रबी सीजन चल रहा है और गेहूं, चना व सरसों की फसल के लिए खाद की जरूरत सबसे ज्यादा होती है. ऐसे समय में खाद न मिल पाने से किसान बेहद परेशान हैं. कई जगहों पर खाद के लिए लंबी लाइनें लग रही हैं और किसान घंटों इंतजार कर रहे हैं.
गुना और आसपास के कई वितरण केंद्रों पर किसानों की भारी भीड़ देखी जा रही है. कुछ किसान तो कड़कड़ाती सर्दी में रातभर खाद केंद्रों के सामने बैठने को मजबूर हैं ताकि सुबह जल्दी नंबर मिल सके. बीनागंज के खाद वितरण केंद्र पर एक किसान के साथ मारपीट की घटना भी सामने आई, जिसका वीडियो वायरल हो गया है. इससे किसानों में नाराजगी और भी बढ़ गई है.
खाद न मिलने से नाराज किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया और कृषि अधिकारी संजीव शर्मा को घेर लिया. किसानों की शिकायतों को सुनने के लिए बमोरी के विधायक ऋषि अग्रवाल भी खाद वितरण केंद्र पहुंचे, लेकिन वहां पहुंचने पर किसानों ने उन्हें भी घेर लिया. किसानों ने विधायक से तुरंत यूरिया उपलब्ध करवाने की मांग की, जिसके बाद विधायक ने कलेक्टर को फोन करके वितरण व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए.
किसानों का कहना है कि खाद की कमी का सबसे बड़ा कारण ब्लैक मार्केटिंग है. उनका आरोप है कि यूरिया का एक बैग जिसका सरकारी रेट 275 रुपये है, उसे बाजार में 400 रुपये तक बेचा जा रहा है. इसी तरह DAP जिसका दाम 1355 रुपये है, उसे 2000 रुपये से भी ज्यादा में बेचा जा रहा है. किसानों का कहना है कि असली जरूरतमंद किसानों तक खाद पहुंचने से पहले ही काफी मात्रा में खाद बाजार में ऊंचे दामों पर निकाल दी जाती है.
इस पूरे मामले पर गुना कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल का कहना है कि जिले में यूरिया और DAP दोनों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है. कलेक्टर ने किसानों से अपील की है कि वे धैर्य रखें और निर्धारित टारगेट के हिसाब से ही खाद लें. कृषि अधिकारी संजीव शर्मा ने बताया कि बागेरी डबल लॉक सेंटर पर कुछ लोगों ने एक साथ 100–200 बैग मांगकर वितरण प्रणाली को बिगाड़ने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि जिले को NFL प्लांट और रैक से लगातार खाद मिल रही है और जल्द ही वितरण एक व्यवस्थित तरीके से शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने किसानों से अफवाहों पर भरोसा न करने की अपील की.
रबी मौसम में खाद देर से मिलने पर फसल कमजोर पड़ने का खतरा रहता है. किसानों का कहना है कि अगर समय पर खाद उपलब्ध नहीं हुई तो उनका पूरा मेहनताना खराब हो सकता है. इसलिए उनकी सबसे बड़ी मांग है कि प्रशासन वितरण की व्यवस्था सुधारे और ब्लैक मार्केटिंग पर कड़ी कार्रवाई करे.
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