छोटे से प्लॉट में उगाई तीन वैरायटी की हल्दी और किस्म-किस्म की सब्जियां, नई खेती देख सब हुए हैरान

छोटे से प्लॉट में उगाई तीन वैरायटी की हल्दी और किस्म-किस्म की सब्जियां, नई खेती देख सब हुए हैरान

करनाल में मजदूरी करने वाला बना किसान. मात्र 200 गज के प्लॉट में किचन गार्डन में 3 वैरायटी की हल्दी, तोरी, बैंगन, शिमला मिर्च लगाकर अपनी मेहनत से सबको किया हैरान. घर का गुजर बसर भी अब पहले से बेहतर. मजदूरी करने के साथ कुरुक्षेत्र, एनडीआरआई और घरौंडा स्थित सब्जी उत्कृष्ट केंद्र से ट्रेनिग लेकर पिछले दो सालों से कर रहे प्राकृतिक तरीके से किचन गार्डनिंग. किसान का अब सपना ठेके पर जमीन लेकर बड़े स्तर पर करेगा खेती.

karnal farmer success storykarnal farmer success story
कमलदीप
  • Karnal,
  • Jun 17, 2025,
  • Updated Jun 17, 2025, 2:30 PM IST

कहते हैं जब मन में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो बड़ी से बड़ी मंजिल को इंसान अपनी मेहनत से हासिल कर सकता है. ऐसे ही एक व्यक्ति हैं सुरेंद्र सिंह जो मजदूर से किसान बने हैं. हालांकि अभी उन्होंने वो मंजिल हासिल नहीं की जो उनका सपना है. मगर जिस प्रकार वो मेहनत कर रहे हैं उन्हें उम्मीद है जल्द ही उनका वो सपना भी पूरा होगा. तब तक वो इसी तरह से मेहनत करते रहेंगे. आइए आपको एक बार इस मजदूर किसान से मिलवाते हैं.

सुरेंद्र सिंह ने बताया कि पहले वह मजदूरी का काम किया करते थे. 2020 से डॉक्टर राजेंद्र के संपर्क में हैं और उन्होंने ही किचन गार्डन शुरू करवाया था. साथ ही साथ करनाल के तकरीबन 100 गांवों में महिलाओं को किचन गार्डनिंग के लिए जागरूक भी कर रहे हैं. वे बताते हैं कि पिछले 2 साल से अपना किचन गार्डनिंग कर रहे हैं. इससे उनकी रसोई का खर्च हर महीने बच रहा है. सबसे अच्छी बात ये है कि हम अपने घर और गांव के आसपास जहरमुक्त सब्जी का इस्तेमाल कर रहे हैं. 

किसान ने करनाल NDRI से ली ट्रेनिंग

किसान सुरेंद्र ने बताया कि प्राकृतिक खेती की कुरुक्षेत्र से भी ट्रेनिंग ली है और करनाल एनडीआरआई से भी ट्रेनिंग ली है. घरौंडा स्थित सब्जी उत्कृष्ट केंद्र से भी ट्रेनिंग लेकर उन्होंने किचन गार्डन का काम शुरू किया है. किसान सुरेंद्र कहते हैं, मेरे काम को देखते हुए 29 मई से 12 जून तक चलने वाले विकसित कृषि संकल्प अभियान में एनडीआरआई के निर्देशक भी हमारे किचन गार्डन को देखने के लिए पहुंचे थे.

मजदूर किसान सुरेंद्र ने बताया हालांकि उन्हें अभी इनकम कम हो रही है लेकिन उन्होंने पिछले साल अपने 200 गज के प्लॉट में 60 गज में हल्दी की खेती से कमाई करके उससे एक इलेक्ट्रिक एक्टिवा भी खरीदी है. यह एक्टिवा उन्होंने हल्दी के पैसे की कमाई से ली है. उन्होंने कहा, मेरे प्लॉट में हल्दी, शिमला मिर्च, घीया, तोरी, गन्ना भी लगा हुआ है और तीन वैरायटी की हल्दी भी लगाई हुई है. उन्होंने बताया कि प्रतिभा नाम की वैरायटी केरल से मंगवाई है. इस बार अगर ठीक तरीके से उसकी देखभाल करेंगे तो अधिक मुनाफा होगा.

200 गज में तीन वैरायटी की हल्दी

सुरेंद्र कहते हैं, काली हल्दी भी लगाई है. उन्होंने बताया कि मजदूरी वो पहले भी करते थे अब भी करते हैं. लेकिन घर चलाने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. कई बार सब्जी लेने के लिए भी पैसे नहीं होते थे. मगर जब से वे किचन गार्डनिंग कर रहे हैं तब से उनके घर की सब्जी भी यही यही से मिल रही है. वे पड़ोस में भी सब्जी दे देते हैं.

उन्होंने बताया, कई जगहों पर हम अपनी सब्जी को देकर आते हैं जिससे उन्हें अच्छे दाम मिल जाते हैं. उन्होंने कहा कि कई वैज्ञानिकों से हम जुड़े हुए हैं, वह हमें फोन कर देते हैं और हम उनके घर में सब्जियां पहुंचा देते हैं. सबसे बड़ा बदलाव है हम बीमारियों से बच रहे हैं. सुरेंद्र अब ठेके पर जमीन लेकर किचन गार्डनिंग को बड़े स्तर पर करना चाहते हैं और अपने सपने को साकार भी करना चाहते हैं.

ऑर्गेनिक खेती में लगीं महिलाएं

डॉक्टर राजेंद्र सिह ने सुरेंद्र की जिंदगी में बदलाव लाया और उन्हें मजदूरी के साथ किसान बनाया. डॉ. राजेंद्र ने बताया कि मजदूरी करने वाले परिवार को पौष्टिक आहार मिलना चाहिए क्योंकि वे इसे खरीद नहीं सकते. मंहगे फल फ्रूट भी नहीं खरीद सकते. वे कहते हैं कि जब कोरोना आया तब उन्होंने महिलाओं को खेती करने के लिए पैकेट दिए. इससे उन महिलाओं का सब्जी का खर्च बचा. साथ ही बच्चों और पूरे परिवार को अपने खेत में काम करने का मौका मिला. लोगों ने 2022 में प्राकृतिक खेती की रुख किया. काफी महिलाओं ने इसमें उत्साह दिखाया है. पुरुषों से अधिक महिलाओं में खेती करने को लेकर काफी उत्साह है. 100 के करीब महिलाएं छोटी जगह में ऑर्गेनिक खाद डालकर किचन गार्डन में सब्जी लगा रही हैं. सुरेंद्र ने भी बहुत मेहनत की जिसके बाद अब वे अपने और अपने परिवार का गुजर बसर ठीक तरीके से कर पा रहे हैं.

MORE NEWS

Read more!