कश्मीर के किसानों को लहसुन का सहारा, एक सीजन में हुई 15 करोड़ रुपये की कमाई

कश्मीर के किसानों को लहसुन का सहारा, एक सीजन में हुई 15 करोड़ रुपये की कमाई

Garlic farming: कश्मीर के कुलगाम जिले में किसानों को लहसुन से जबर्दस्त कमाई हो रही है. किसानों ने लहसुन की खेती से 15 करोड़ रुपये की कमाई की है. इसमें सरकारी मदद और सब्सिडी बहुत काम आई है. कृषि विभाग से भी किसानों को बहुत मदद मिली है.

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कश्मीर के किसानों को लहसुन का सहारा, एक सीजन में हुई 15 करोड़ रुपये की कमाईGarlic Cultivation: लहसुन की खेती से बढ़ी कमाई (Photo/Meta AI)

कश्मीर के किसानों की मेहनत रंग लाई है. कश्मीर के किसानों ने इस साल 2,551 हेक्टेयर में 28,061 मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन किया है. कश्मीर में हुई लहसुन की उपज किसानों की आजीविका के एक मजबूत स्रोत के रूप में सामने आई है, खासकर कुलगाम जैसे क्षेत्रों में जहां कई किसान नई कृषि तकनीकों को अपना रहे हैं.

लहसुन इस क्षेत्र में रसोई का एक जरूरी हिस्सा बना हुआ है, इसे ताजा इस्तेमाल किया जाता है और पेस्ट के रूप में भी प्रोसेस किया जाता है, जो खाना पकाने के लिए बड़े पैमाने पर लोकप्रिय है. लहसुन की उन्नत किस्मों और बेहतर खेती के तरीकों को अपनाने से उपज की क्वालिटी और मात्रा दोनों में भारी वृद्धि हुई है.

किसानों को लहसुन से 15 करोड़ की कमाई

अकेले कुलगाम में, किसानों ने 2024-25 के दौरान 167 हेक्टेयर से 1,837 मीट्रिक टन लहसुन की फसल ली, जिससे उन्हें 14.69 करोड़ रुपये की अनुमानित आय हुई है. खाने में इस्तेमाल होने के अलावा, लहसुन को इसके औषधीय गुणों, विशेष रूप से इसके प्राकृतिक एंटीबायोटिक प्रभावों के लिए भी महत्व दिया जाता है, जो इसकी बाजार मांग को बढ़ाते हैं.

स्थानीय किसानों के अनुसार, लहसुन की खेती में काफी मेहनत और निवेश की जरूरत होती है, खासकर रोपाई के लिए क्वालिटी वाले कंद खरीदने के लिए. किसान अभी फसल की कटाई में व्यस्त हैं, 21 जून के बाद फिर से रोपाई के लिए पैदा हुए लहसुन के कुछ हिस्सों को अलग रख रहे हैं. एक बार कटाई के बाद, लहसुन को लद्दाख सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया जाता है. 

लहसुन की प्रोसेसिंग से भी बढ़ रही आमदनी

लंबी दूरी के बाजारों और निर्यात के लिए, अधिकांश लहसुन को सुखाया जाता है, जिसके बाद जड़ों को काट दिया जाता है और बल्बों से अधिक दाम पाने के लिए सावधानी के साथ ग्रेडिंग किया जाता है. यानी अधिक दाम वाले लहसुन को अलग और साधारण लहसुन को अलग रखा जाता है.

लहसुन की बुआई आमतौर पर नवंबर या दिसंबर में की जाती है और वसंत के अंत तक इसकी कटाई की जाती है. सब्सिडी और कृषि विशेषज्ञों से मिली सलाह के अलावा सरकारी योजनाओं से लगातार मिलने वाले समर्थन ने किसानों को बेहतर बीज और आधुनिक तकनीक अपनाने में मदद की है. इससे लहसुन की उपज में वृद्धि हुई है और बेहतर आय के अवसर मिले हैं.

लहसुन से बढ़ती कमाई को देखते हुए अधिक से अधिक किसान इसकी खेती में लग रहे हैं. कम दिनों में अधिक कमाई के लिहाज से लहसुन की खेती पूरे कुलगाम में बड़ी सफलता पा रही है. अब इस खेती में अधिक किसान दिलचस्पी दिखा रहे हैं. साथ में सरकारी स्कीम का भी फायदा मिल रहा है.

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