सरकार जनता पर खर्च किए जाने वाले पैसों के जो बड़े-बड़े आंकड़े देती है क्या उसे आपने कभी समझने की कोशिश की है? अगर नहीं तो आज एक ताजे आंकड़े को हम समझाते हैं. केंद्र सरकार ने 3,68,677 करोड़ रुपये का एक नया पैकेज जारी किया है. इस पैकेज को किसानों का सुरक्षा कवच बताया जा रहा है. लेकिन क्या यह पैसा आपकी जेब में जाने वाला है? या फिर आपको किसी और तरीके से मिलने वाला है. इसे डिकोड करने की कोशिश करते हैं? दरअसल, यह यूरिया की सब्सिडी है. जो अगले तीन साल के लिए घोषित की गई है. यानी हर साल सरकार करीब सवा लाख करोड़ रुपए सिर्फ यूरिया पर खर्च करेगी. सवाल यह है कि जो सब्सिडी फसल सीजन के हिसाब से जारी की जाती थी उसे सरकार ने एकमुश्त तीन साल तक के लिए क्यों जारी किया. क्या इसके जरिए किसानों को खुश करके इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश है?
इसे दूसरे शब्दों में समझें तो इतना पैसा जो किसानों की जेब से जाने वाला था वो सरकार देगी. यानी अगले 3 साल के लिए किसानों को यूरिया की महंगाई का सामना नहीं करना होगा. देश में हर साल करीब 350 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 107 लाख टन डीएपी, 108 लाख मीट्रिक टन एनपीके और करीब 36 लाख मीट्रिक टन एमओपी यानी म्यूरेट ऑफ पोटाश का खर्च होता है. यानी किसान खाद के रूप में यूरिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में यह पैकेज किसानों के लिए काफी अहम है.
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यूरिया की सब्सिडी के रूप में 3,68,677 करोड़ रुपये का जो यह पैकेज किसानों को दिया गया है. यह रकम अगले तीन साल तक खेती में इस्तेमाल की जाने वाली यूरिया के कुल दाम का करीब 90 पर्सेंट है. यानी यूरिया की जो वास्तविक कीमत है उसका सिर्फ 10-12 परसेंट ही आपको देना है. बाकी पैसा केंद्र सरकार खुद देगी. इसके रॉ मैटीरियल का दाम बढ़ने या घटने का आपके ऊपर कोई असर नहीं पड़ेगा. इसलिए इस पैकेज को किसानों का सुरक्षा कवच कहा जा रहा है. चूंकि यूरिया का खर्च ज्यादा है इसलिए यूरिया पर सरकार की सब्सिडी भी सबसे ज्यादा है.
आपको यह भी जानना चाहिए कि यूरिया की कीमत कितनी है? इस वक्त एक बोरी में 45 किलो यूरिया आता है. जिसकी वास्तविक कीमत करीब 2200 रुपये है. लेकिन इस पैकेज की बदौलत यह आपको अगले तीन साल तक सिर्फ 267 रुपये में उपलब्ध होती रहेगी. केंद्र सरकार का दावा है कि चीन में इतनी ही यूरिया की कीमत 2100 और अमेरिका में 3000 रुपये है. यानी अगर भारत का किसान एक बोरी यूरिया खरीदता है तो उसको 1933 रुपये की छूट मिलती है. केंद्र सरकार प्रति किसान 21,233 रुपये की सब्सिडी दे रही है, जिसमें ज्यादातर हिस्सा यूरिया का ही है.
बहरहाल, इस पैकेज से भले ही आपकी इनकम न बढ़े, लेकिन आपकी फसलों की उत्पादन लागत नहीं बढ़ने पाएगी. सरकार का यह फैसला बताता है कि वो आपके साथ खड़ी है. लेकिन, अब थोड़ा रुकने और सोचने का भी वक्त है. कहीं यह पैकेज एक भ्रम तो नहीं है? क्योंकि देखा जाए तो यूरिया का दाम कई साल से बढ़ा ही नहीं है. अलबत्ता इस सरकार ने तो 50 किलो की यूरिया की बोरी को घटाकर 45 किलो का कर दिया है. तो क्या यह माना जाए कि सरकार ने किसानों को खुश करने का एक दांव चला है, क्योंकि 2024 का आम चुनाव नजदीक है.
हां, इस आप कह सकते हैं कि इस पैकेज में सत्ताधारी पार्टी का एक पॉलिटिकल दांव नजर आ रहा है. क्योंकि कुछ महीने बाद लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. किसान एक बड़ा वोटबैंक है. देश में करीब 14 करोड़ किसान परिवार हैं. जिसका मतलब है लगभग 50 करोड़ वोटर. इसलिए इस पैकेज का फायदा वर्तमान सरकार को चुनाव में मिल सकता है. लेकिन, इस पैकेज से आपको भी फायदा ही होगा. नुकसान होने की कोई गुंजाइश नहीं है. आप पर यूरिया की महंगाई का बोझ नहीं पड़ेगा.
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