21 राज्यों में खेती, 65 नए बीज केंद्र और किसानों से 100 परसेंट खरीद...कृषि मंत्री ने दी तिलहन मिशन की जानकारी

21 राज्यों में खेती, 65 नए बीज केंद्र और किसानों से 100 परसेंट खरीद...कृषि मंत्री ने दी तिलहन मिशन की जानकारी

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 347 जिलों (21 राज्यों) में, जहां भी ऑइल सीड्स का उत्पादन होता है उन राज्यों को विशेष रूप से लिया गया है. किसानों को इन कलस्टर में फ्री में बीज, ट्रेनिंग, नई टेक्नोलॉजी से कैसे खेती करें, जिससे ज्यादा उत्पादन हो और वो जो उत्पादित करेंगे, उसकी 100 परसेंट खरीदी की जाएगी, ऐसी सुविधाएं इस मिशन के अंतर्गत किसानों को दी जाएगी.

Shivraj Singh Chouhan has some good news for homebuyersShivraj Singh Chouhan has some good news for homebuyers
ओम प्रकाश
  • New Delhi,
  • Oct 04, 2024,
  • Updated Oct 04, 2024, 6:18 PM IST

केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को भोपाल में प्रेस ब्रीफिंग दी. इस ब्रीफिंग में उन्होंने राष्ट्रीय तिलहन मिशन के बारे में जानकारी दी. कृषि मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट में दो बड़े फैसले हुए हैं. भारत की अपनी कुल खाद्य तेल की जो आवश्यकता है, वो 29.2 मिलियन टन 2022-23 में थी, लेकिन हमारे यहां तिलहन से जो उत्पादन होता है वह 12.7 मिलियन टन ही है और बाकी मांग पूरा करने के लिए हमको विदेशों पर या आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. इसे देखते हुए कल एक बड़ा फैसला किया गया है कि आयात पर निर्भरता खत्म करके हम खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर कैसे बनें. इसलिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- तिलहन बनाया गया है. इस पर 10 हजार 103 करोड़ 38 लाख रुपये की लागत आएगी. 

क्या कहा कृषि मंत्री ने?

कृषि मंत्री ने कहा, हमारे यहां अभी जो ऑइल सीड्स हैं, उनका उत्पादन काफी कम है और इसलिए उन्नत बीज किसानों के लिए ICAR बनाएगा. ब्रीडर सीड्स, उसे फाउंडेशन सीड, फिर सर्टिफाइड सीड बनाकर किसानों को फ्री में उपलब्ध कराए जाएंगे. 600 क्लस्टर इसके लिए पूरे देश में बनाए जाएंगे.

ये भी पढ़ें: Agri Quiz: किस फल की वैरायटी है पूसा नन्हा? इसकी उन्नत किस्में कौन सी हैं?

347 जिलों (21 राज्यों) में, जहां भी ऑइल सीड्स का उत्पादन होता है उन राज्यों को विशेष रूप से लिया गया है. किसानों को इन कलस्टर में फ्री में बीज, ट्रेनिंग, नई टेक्नोलॉजी से कैसे खेती करें, जिससे ज्यादा उत्पादन हो और वो जो उत्पादित करेंगे, उसकी 100 परसेंट खरीदी की जाएगी, ऐसी सुविधाएं इस मिशन के अंतर्गत किसानों को दी जाएगी. 

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, हर साल 10 लाख हेक्टेयर पूरे देश में खेती की जाएगी. 7 साल में 70 लाख हेक्टेयर एरिया इस योजना के अंतर्गत लाया जाएगा. उन्नत बीजों की कमी पूरा करने के लिए 65 नए बीज केंद्र बनाए जाएंगे. 100 बीज केंद्र बनेंगे, बीजों को सुरक्षित रखने के लिए 50 बीज भंडारण इकाइयां भी बनाई जाएंगी. इसके लिए राज्यों पर हम ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जहां केवल एक फसल लेते हैं खरीफ की, इंटरक्रॉपिंग का भी उपयोग करेंगे. अलग-अलग फसलों के बीच में ये बीज, फसलें लगाई जा सकती हैं और पूरी खरीद किसानों से करेंगे. एक ये बड़ा फैसला कल हुआ है,

किसानों के हित में फैसले

मित्रों, पिछले लगभग 120 दिनों में किसानों के कल्याण के लिए समर्पित मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में अनेकों किसान हितेषी फैसले किए हैं. आप जानते हैं हमारी छह सूत्रीय रणनीति.
 
1. उत्पादन बढ़ाना 
2. उत्पादन लागत घटाना
3. उत्पाद के ठीक दाम देना
4. प्राकृतिक आपदा अगर आए तो उसकी भरपाई करना 
5. कृषि का विविधीकरण और वैल्यू एडिशन
6. प्राकृतिक खेती 

किसानों को ठीक दाम मिले, इसके लिए पिछले दिनों में कुछ बड़े निर्णय किए गए. एक फैसला जिसका हमारे तिलहन के उत्पादन पर और उसकी कीमतों पर व्यापक असर पड़ रहा है, वो यह था कि देश में अब जो तेल आयात होंगे l, पहले 0% इंपोर्ट ड्यूटी थी, उन पर लेकिन अब वह बढ़कर प्रभावी रूप से 27% हो गई है.

सोयाबीन हो, मूंगफली हो, सरसों हो, सूरजमुखी हो, तिल हो, ये हमारे खाद्य तेल के जो सबसे बड़े स्रोत हैं. पहले सस्ता पाम ऑयल और बाकी तेल मध्यप्रदेश में आ रहे थे, उसके कारण सोयाबीन आदि के दाम भी काफी कम हुए थे. इस फैसले से एवरेज अभी 500 रुपये क्विंटल सोयाबीन के दाम बढ़े हैं और बढ़ने का क्रम जारी है.

एक तरफ इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर विदेश से आने वाले खाद्य तेल को जो लाना चाहते हैं, उनका ज्यादा दाम देने पड़ेंगे उससे हमारी मिलों को, हमारे किसानों को फायदा हो रहा है.

दूसरी तरफ सोयाबीन भी मिनिमम सपोर्ट प्राइज पर खरीदने का फैसला सरकार ने किया है ताकि ठीक दाम दिए जा सके. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक जिन राज्यों ने चाहा वो खरीद करेंगे और समानांतर हमारी भावांतर भुगतान योजना भी अगर कोई राज्यों की मर्जी पर है, वह कौन सी योजना में शामिल होना चाहते हैं.

मध्यप्रदेश भी बासमती चावल उत्पादित करता है. अभी बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस लगी हुई थी, जिसके कारण एक्सपोर्ट महंगा हो रहा था इसलिए मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस समाप्त कर दी गई है. अब वैसे ही चावल निर्यात होगा इससे बासमती के दाम बढ़ेंगे और गैर बासमती चावल पर से भी जो निर्यात पर प्रतिबंध था, वह हटा लिया गया है तो निर्यात के कारण भी धान के धाम बेहतर किसानों को मिलेंगे. 

प्याज की एक्सपोर्ट ड्यूटी 40% थी वह घटाकर 20% की गई है. यह सारे फैसले इसलिए किए गए क्योंकि किसानों को इनके ठीक दाम मिल सके.

ये भी पढ़ें: कल जारी होगी PM Kisan सम्मान निधि की 18वीं किस्त, 9.4 करोड़ लोगों के खाते में आएगा पैसा

 

MORE NEWS

Read more!