Medicinal Farming: औषधीय पौधों की खेती में तगड़ी कमाई, केंद्र सरकार से ऐसे मिलेगी 50% तक सब्सिडी

Medicinal Farming: औषधीय पौधों की खेती में तगड़ी कमाई, केंद्र सरकार से ऐसे मिलेगी 50% तक सब्सिडी

Medicinal Farming: किसानों की आय बढ़ाने और औषधीय पौधों (Medicinal Plants) की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार कई सारी लाभकारी योजनाएं चलाती है. इन योजनाओं के तहत औषधीय खेती पर किसानों को 30 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है.

आरोग्यपचा की होगी खेती (सांकेतिक तस्वीर)आरोग्यपचा की होगी खेती (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Aug 18, 2025,
  • Updated Aug 18, 2025, 7:46 AM IST

पारंपरिक खेती में किसानों बहुत कम ही लाभ हो रहा है. ऐसे में जरूरी है कि किसान अब आधुनिक खेती को ओर रुख करें. मॉडर्न फार्मिंग में सबसे मुनाफे वाली और सबसे ज्यादा मांग में रहनी वाली खेती है औषधीय फसलें. इसी को बढ़ाने के लिए भारत सरकार कई सारी अलग-अलग योजनाएं चलाती है. इन योजनाओं के जरिए किसान औषधीय खेती पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी और सहायता पा सकते हैं. आज हम आपको औषधीय पौधों की खेती पर सब्सिडी लेना का तरीका विस्तार से बता रहे हैं.

इन योजनाओं के तहत मिलती है मदद

औषधीय पौधों की खेती के लिए केंद्र सरकार के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB) की ओर से मदद दी जाती है. यह योजना आयुष मंत्रालय के तहत चलाई जाती है. यही NMPB औषधीय पौधों की खेती के लिए आपको वित्तीय सहायता यानी सब्सिडी देता है. खास बात है कि इसके लिए NMPB की ओर से खेती, नर्सरी, प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए और मार्केटिंग तक के लिए मदद दी जाती है.

सब्सिडी के क्या हैं प्रावधान?

  • दरअसल, 140 से ज्यादा औषधीय पौधे हैं जिनकी खेती पर राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड सब्सिडी देता है. मगर ये अनुदान भी अलग-अलग स्तर के लिए अलग-अलग होता है.
  • अगर आप इसकी खेती कर रहे हैं तो औषधीय पौधों के बीज या रोपण सामग्री, खेत की तैयारी और सिंचाई आदि के लिए 30% से 50% तक की सब्सिडी फसल और क्षेत्र के हिसाब से ले सकते हैं.
  • वहीं अगर आप औषधीय पौधों की नर्सरी लगाना चाह रहे हैं या बड़े पैमाने पर पौध तैयार करने का सोच रहे हैं तो इसपर भी अधिकतम 50% तक अनुदान मिल सकता है.
  • जो लोग औषधीय पौधों का प्रोसेसिंग प्लांट और ड्राईंग यूनिट लगाना चाहते हैं तो 30% से 40% तक सब्सिडी मिल जाएगी. इसमें औषधीय फसल की कटाई के बाद उन्हें सुखाने, पैकिंग और वैल्यू ऐडिशन जैसे काम होते हैं.
  • इतना ही नहीं इसके लिए सरकार मार्केटिंग सहायता भी देती है. राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड किसान उत्पादक समूह (FPO) या सहकारी समितियों को बाजार से जोड़ने में मदद देती है.

आवेदन की पात्रता और प्रक्रिया

औषधीय खेती पर सब्सिडी व्यक्तिगत किसान, किसान उत्पादक संगठन (FPO), सहकारी समितियां, स्टार्टअप और अन्य कंपनियों को भी दी जाती है. इसके लिए अगर आपको आवेदन करना है तो आप अपने जिला कृषि विभाग या फिर औषधीय पौध बोर्ड कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं. अगर ऑनलाइन आवेदन करना है तो आयुष मंत्रालय की वेबसाइट (https://ayush.gov.in/) पर भी विजिट कर सकते हैं. हर राज्य में राज्य औषधीय पादप बोर्ड (SMPB)) का ऑफिस भी होता है.

जिला कृषि विभाग या औषधीय पौध बोर्ड कार्यालय में जाकर आपको एक आवेदन फार्म मिलेगा. इसे ध्यान से भरें और सभी जरूरी दस्तावेज संगलग्न करें. जरूरी दस्तावेजों में आधार कार्ड / पहचान पत्र, जमीन के कागज जैसे खसरा-खतौनी या लीज एग्रीमेंट लगेगा. साथ में बैंक खाते की डिटेल्स और खेती की योजना / प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी लगाना होगा.

फिर इस प्रोजेक्ट को राज्य औषधीय पौध बोर्ड (SMPB) और इसके बाद NMPB से मंजूरी मिलेगी. इसपर मंजूरी मिलने के बाद आप औषधीय खेती शुरू कर सकते हैं. खेती शुरू करने के बाद विभाग की ओर से आपके खेत का निरीक्षण कराया जाएगा. फिर निरीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर आपके बैंक खाते में सब्सिडी की रकम भेजी जाएगी.

सब्सिडी और लागत

मान लीजिए कि आप अश्वगंधा, सर्पगंधा, गिलोय या शतावरी जैसे पौधों की खेती कर रहे हैं. इनकी खेती में प्रति हेक्टेयर 40,000–60,000 रुपये तक की लागत आती है. सरकार इसपर 30 से 50 प्रतिशत तक का अनुदान देगी यानी एक हेक्टेयर पर आपको 15,000 से 30,000 रुपये तक की सब्सिडी मिल जाएगी.

ये भी पढ़ें-
कश्मीर के किसानों की तकदीर बदल रहा हाई डेंसिटी एप्पल, सीजन से पहले ही मिलने लगती है फसल
बरसात में मुर्गियों की इस तरह करें देखभाल, तेजी से बढ़ेगा वजन और कमाई

MORE NEWS

Read more!