हमेशा सेहतमंद रहने के लिए कई लोग तरह-तरह के फल खाते हैं, जिनमें ज्यादातर लोग सेब, केला, अनार, अमरूद को ही शरीर के लिए सबसे लाभदायक फल मानते हैं. इसलिए मार्केट में भी पूरे साल फलों की डिमांड रहती है. साथ ही कई फलों की ऐसी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस फल की किस्म पूसा नन्हा है. दरअसल, ये पपीते की एक खास वैरायटी है. फलों में पपीते का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. पपीते के मीठे रस और टेस्टी गूदे के हजारों दीवाने हैं. ऐसे में आइए ये भी जानते हैं कि पपीते की कौन-कौन सी उन्नत किस्में हैं और कैसे करते हैं इसकी खेती.
पूसा नन्हा किस्म: यह किस्म IARI की ओर से विकसित की गई है. यह डायोसियस किस्म 1986 में विकसित की गई है. यह पपीते की बहुत बौनी किस्म है, जिसमें फलन जमीन की सतह से 15 से 20 सेमी ऊपर शुरू होता है. इस पौधे को बगीचे और छत पर गमलों में भी आसानी से लगाया जा सकता है. यह किस्म तीन साल तक फल देती है. इस किस्म से प्रति पौधा 30 किलो फल प्राप्त किया जा सकता है.
पूसा जायंट किस्म: पपीते की यह किस्म वैज्ञानिकों द्वारा 1981 में विकसित की गई थी. इस किस्म के फल मध्यम और छोटे आकार के होते हैं. इस किस्म की खासियत यह है कि इस किस्म से 30 से 35 किलो फल प्राप्त होता है. जब इस किस्म के पौधे जमीन से 92 से.मी बड़े हो जाते है, तब फल लगना शुरू हो जाता है.
रेड स्टार किस्म: इस किस्म की खास बात यह है कि इसमें अधिक देखरेख करने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसके बावजूद इस किस्म से अच्छा उत्पादन होता है. इस किस्म का एक पेड़ लगभग 80 से 110 किलो तक का उत्पादन देता है. इस किस्म को काटने पर स्टार जैसा आकार होता है. इसके एक फल का वजन एक से डेढ़ किलो होता है. वहीं इसके पेड़ की ऊंचाई 7.5 फीट होती है. इसका पौधा आठ महीने में फल देने लगता है. इसके फल की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है.
पपीते की अच्छी खेती गर्म नमीयुक्त जलवायु में की जा सकती है. इसे अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है. पपीता बहुत जल्दी बढ़ने वाला पेड़ है. साधारण जमीन, थोड़ी गर्मी और अच्छी धूप मिले तो यह पेड़ अच्छा पनपता है. पपीते की खेती के लिए हल्की दोमट या दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास हो, उसे उपयुक्त माना जाता है. वहीं पौधे लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह तैयारी करके बीज डालना चाहिए.
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