मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा के मॉनसून सत्र के चौथे दिन सदन को संबोधित करते हुए 'यूपी विजन डॉक्यूमेंट 2047' का विस्तृत खाका प्रस्तुत किया. इस दौरान उन्होंने 2017 के पहले लगातार यूपी पिछड़ता गया. इसकी गिनती बीमारू राज्य के रूप में हो गई. योजनाएं बनती थीं- घोषणाएं होती थीं, लेकिन न इच्छाशक्ति थी, न पारदर्शिता और न क्रियान्वयन का संकल्प. पिछली सरकार की उदासीनता के कारण बिजली, सड़क, जल, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हो पाती थीं. उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए न रोजगार था, न ही किसानों को राहत, निवेशकों को प्रदेश पर भरोसा भी नहीं था.
सीएम योगी ने कहा कि कृषि व उससे संबद्ध क्षेत्र में अन्नदाता से अन्न महाशक्ति के रूप में यूपी को स्थापित करने की गाथा है. 1947 से 2017 में किसानों के उत्पादकता की रफ्तार सीमित थी यानी लागत ज्यादा होती थी. गेहूं, चावल, दलहन में राष्ट्रीय योगदान सीमित था. सिंचाई परियोजना के विस्तार की गति धीमी थी. पशुधन, डेयरी व मत्स्य क्षेत्र में योजनाबद्ध निवेश का अभाव था.
कृषि आधारित उद्योग सीमित क्षमता से चल रहे थे, लेकिन 2017 के बाद प्रदेश सरकार ने इस दिशा में जो प्रयास प्रारंभ किए, उससे यूपी में कृषि विकास दर 14 फीसदी है. जो नेशनल एवरेज से 4.5 फीसदी अधिक है. सीएम ने कहा कि यूपी देश के अंदर कृषि योग्य भूमि का 10 फीसदी योगदान रखता है. इसमें 86 फीसदी से अधिक भूमि सिंचित है. इस कारण यूपी की संभावनाएं बढ़ी हैं. उन्होंने कहा कि यूपी 21 फीसदी खाद्यान्न उत्पादन कर रहा है. देश में गेहूं उत्पादन में यूपी नंबर एक स्थान पर है. दलहन-तिलहन में प्रदेश में उत्पादन क्षमता को काफी बढ़ाया है.
सीएम ने कहा कि यूपी के अंदर कभी चीनी मिलें बंद हो रही थीं, लेकिन आज अकेले 55 फीसदी उत्पादन यूपी कर रहा है. 2017 से अब तक दो लाख 86 हजार करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है. यहां 120 चीनी मिलें संचालित हैं, इसमें से 105 चीनी मिलें एक सप्ताह के अंदर गन्ना मूल्य का भुगतान कर रही हैं. बाकी 15 पर भी सरकार ने समय से भुगतान का दबाव बनाया है. तीन नई चीनी मिलों की स्थापना हुई. छह दोबारा संचालित हुईं.
योगी ने आगे कहा कि 38 की क्षमता का विस्तार हुआ. चीनी मिलों के साथ 1.25 लाख नए रोजगार का सृजन हुआ है. 2017 में यूपी जहां 42 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादन करता था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 177 करोड़ लीटर हो गया है. यह देश में नंबर एक पर है. उन्होंने कहा कि देश में आलू उत्पादन में 40 फीसदी से अधिक योगदान यूपी का है. केला व सब्जी उत्पादन में 19-19 फीसदी, अन्य औद्योगिक फसलों में यूपी का योगदान 16 फीसदी से अधिक है. कृषि विविधीकरण में फल व सब्जियों के उत्पादन में यूपी नंबर एक पर है.
सीएम ने कहा कि यूपी में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए निर्यात प्रोत्साहन बोर्ड का गठन भी किया गया है। खाद्यान्न खरीद का जिक्र करते हुए सीएम ने बताया कि 7-8 वर्ष में धान के लिए किसानों को 88 हजार 951 करोड़ 11 लाख रुपये का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया है. गेहूं में 8 वर्ष में 45 हजार 935 करोड़ 40 लाख रुपये किसानों के खाते में दिया है। बाजरा खरीद के लिए 2022-23 से 2024-25 के मध्य 458 करोड़ 47 लाख का भुगतान किसानों को किया है।
सीएम ने बताया कि पीएम किसान सम्मान निधि में 2.86 करो़ड किसानों के खाते में 90 हजार करोड़ रुपये खाते में भेजी गई. पीएम कुसुम योजना में एक लाख सोलर पैनल किसानों के पास गए हैं. 2017 से अब तक 31 सिंचाई परियोजनाएं पूर्ण हुई हैं. इसके माध्यम से 23 लाख हेक्टेयर भूमि को अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई है. उन्होंने कहा कि लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह के नाम पर प्रदेश का पहला अत्याधुनिक सीड पार्क एक हजार एकड़ में बनाने की कार्रवाई को यूपी सरकार ने बढ़ाया है. यूपी में पहली बार 15 लाख से अधिक निजी नलकूपों को फ्री में बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराया है.
1- कृषि के क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ावा देना
कृषि विकास, कृषि शिक्षा, उद्यान, गन्ना एवं चीनी उद्योग, सिंचाई एवं जल संसाधन पर फोकस करना
2- पशुधन समृद्धि
पशुपालन, डेयरी विकास विभाग, मत्स्य विकास पर काम करना.
मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद्यान्न सुरक्षा के तहत 15 करोड़ लोगों को अनाज दिया जा रहा है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 1 करोड़ 86 लाख परिवारों को गैस के मुफ्त कनेक्शन और होली-दीपावली पर मुफ्त सिलेंडर की सुविधा दी गई है. ‘अन्नपूर्णा भवन’ के माध्यम से गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की नई पहल शुरू की गई है. उन्होंने बताया कि 9 करोड़ परिवारों के जनधन खाते खोलकर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया गया है. सामूहिक विवाह, पेंशन और अन्नपूर्णा भवन जैसी नीतियां समाज के सबसे कमजोर वर्ग के व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन देने का माध्यम बन रही हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश अब देश के उन अग्रणी राज्यों में है, जो अपने किसानों को सबसे अधिक बिजली उपलब्ध कराते हैं, जिससे खेती की लागत कम हुई और उत्पादकता बढ़ी. साथ ही, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से जुड़े व्यवसायियों के जीवन स्तर में सुधार हुआ. यह बदलाव केवल शहरी उद्योगों तक सीमित नहीं, बल्कि ग्रामीण किसानों, छात्रों, छोटे दुकानदारों और घरेलू उपभोक्ताओं तक पहुंचा है. सीएम योगी ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार ऊर्जा क्षेत्र में और सुधारों के लिए प्रतिबद्ध है, जो प्रदेश के समग्र विकास और जनता के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में योगदान देगा.
ये भी पढे़ं-
यूपी की 14 लखपति दीदियां आज दिल्ली के लाल किले पर बनेंगी साक्षी, पढ़ें हौसले की कहानी
खेती में यूपी ने रचा इतिहास, पिछले 3 साल में 14% से अधिक हुई कृषि विकास दर- सीएम योगी
Independence Day 2025: किसानों और मछुआरों के लिए PM मोदी ने लाल किले से कही बड़ी बात