लंदन तक पहुंची केले के रेशे से बनी टोपी, इस स्कीम ने बदला बुरहानपुर की लखपति दीदी का जीवन

लंदन तक पहुंची केले के रेशे से बनी टोपी, इस स्कीम ने बदला बुरहानपुर की लखपति दीदी का जीवन

बुरहानपुर की प्रमुख फसल केले का एक जिला एक उत्‍पाद कार्यक्रम के तहत ओडीओपी घोषित किए जाने के बाद केले के विभिन्‍न उत्‍पाद बनाए जा रहे हैं. इसमें आजीव‍िका मिशन बड़ी भूमिका निभा रहा है. इस मिशन से मह‍िलाओं का जीवन बदल रहा है. आज पढ़‍िए लखपति दीदी अनुसुईया चौहान की कहानी जिनकी बनाई टोपी लंदन तक पहुंच चुकी है.

Burhanpur Lakhpati didi anusaiyyaBurhanpur Lakhpati didi anusaiyya
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 06, 2024,
  • Updated Dec 06, 2024, 11:42 AM IST

केले की खेती के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक जिला-एक उत्‍पाद (ODOP) प्रोग्राम के तहत केले को ODOP उत्‍पाद घोषि‍त किया गया है. अब यहां से ना सिर्फ केलों की बिक्री होती है, बल्कि केले के रेशों से बने उत्‍पाद भी बनाए जा रहे हैं और विदेशों में इन्‍हें बेचा जा रहा है. इससे यहां की महिलाओं को अपना हुनर दिखाने और अपना जीवन संवारने का मौका मिला है. इसके साथ ही जिले का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर रोशन हो रहा है. आज हम आपको केले के तने से मिलने वाले रेशों से उत्‍पाद बनाने वाली लखपति दीदी की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनकी आर्थ‍िक स्थित‍ि सुधरी है और उनके बनाए गए उत्‍पाद लंदन तक पहुंचे चुके हैं. 

आजी‍विका मिशन से जुड़कर बदला जीवन

ये कहानी जिले के एकझिरा गांव की रहने वाली अनुसुईया चौहान की है. उनके द्वारा केले के तने के रेशे से बनाई गई टोपी ने लंदन तक अपनी पहचान बनाई है. बुरहानपुर में आयोजित हुए ‘बनाना फेस्टिवल’ से अनुसुईया चौहान को नई ऊर्जा और प्रेरणा मिली. अब वह और उनका परिवार केले के रेशे से उत्‍पाद तैयार करता है. अनुसुईया चौहान के जीवन में नया मोड़ आजीविका मिशन की वजह से आया. उन्होंने लव-कुश स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद केले की खेती के साथ-साथ केले के तने का भी इस्‍तेमाल करना शुरू कर दिया.

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1100-1200 रुपये की बिकती है एक टोपी

आजीवि‍का मिशन की मदद से अनुसुईया ने केले के तने से रेशा निकालने की मशीन खरीदी और रेशे से टोपी बनाने का काम शुरू किया. इस काम में उनका परिवार भी उनकी मदद करता है. अनुसुईया केले के तने से रेशा निकालने के बाद उसे सुखाती हैं और फिर बुनाई के बाद अलग-अलग शेप, साइज और डिज़ाइन की टोपियां बनाती हैं. बाजार में ये टोपियों 1100 से 1200 रुपये तक बिकती हैं. इस काम से न सिर्फ उन्‍हें आर्थिक संबल मिला है, बल्कि उन्होंने क्षेत्र की कई महिलाओं को भी प्रेरित किया है.

जिले में लखपति दीदी बनाने का मिशन जारी

अनुसुईया चौहान की बनाई गई टोपियां अब लंदन तक पहुंच चुकी है. लालबाग क्षेत्र के रहने वाले परिवार ने इन टोपियों को खरीदकर विदेश तक पहुंचाया है. अनुसुईया की कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर सही दिशा और प्रोत्साहन मिले तो लोकल उत्पाद अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ सकते हैं.

सरकार की पहलों और मंशा के अनुरूप बुरहानपुर जिले में स्व सहायता समूह और आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को "लखपति दीदी" बनाने का की कोशि‍श की जा रही है. लखपति दीदी अनुसुईया इस सपने को साकार कर रही है. अनुसुईया कहती हैं, "जब हुनर को सही मंच मिलता है, तो सपने भी साकार होते हैं."

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