महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए "महाराष्ट्र बांस उद्योग नीति 2025" को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य अगले पांच वर्षों में ₹50,000 करोड़ का निवेश आकर्षित करना और 5 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित करना है.
इस नीति के तहत राज्य भर में 15 समर्पित बांस क्लस्टर विकसित किए जाएंगे. इन क्लस्टरों का उद्देश्य न केवल बांस की खेती और प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देना है, बल्कि कार्बन क्रेडिट बाजार का लाभ उठाकर सतत विकास को भी बढ़ावा देना है.
बांस उद्योग नीति किसानों के लिए एक हरित और टिकाऊ आय का विकल्प प्रस्तुत करती है, जो नकदी फसलों की तरह लाभदायक हो सकता है. इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बल मिलेगा.
डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की "पीपल्स एजुकेशन सोसायटी" के लिए विकास योजना की शुरुआत की गई. मंत्रिमंडल ने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा स्थापित पीपल्स एजुकेशन सोसायटी के संस्थानों के लिए पुनर्निर्माण, संरक्षण और आधुनिकीकरण योजना को भी मंजूरी दी है.
इस योजना के अंतर्गत मुंबई और छत्रपति संभाजीनगर स्थित 9 शैक्षणिक संस्थानों और 2 छात्रावासों का विकास किया जाएगा. इसके लिए अगले 5 वर्षों में ₹500 करोड़ की बजटीय व्यवस्था की गई है.
इसके अलावा, राज्य सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट (मुंबई), नागपुर और औरंगाबाद पीठों में 2,228 नए पदों के सृजन को मंजूरी दी है. इस निर्णय से न्यायपालिका की कार्यक्षमता बढ़ेगी और लंबित मामलों का निपटारा तेजी से किया जा सकेगा.
महाराष्ट्र सरकार द्वारा लिए गए ये निर्णय राज्य की आर्थिक प्रगति, कृषि सुधार, शिक्षा क्षेत्र का आधुनिकीकरण, और न्यायिक प्रणाली की मजबूती की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं. बांस उद्योग नीति न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से लाभकारी है बल्कि यह लाखों युवाओं को रोजगार देने में भी सहायक सिद्ध होगी.
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