भारत में पान की खेती कई राज्यों में की जाती है. वहीं, भारत में पान का एक अलग ही महत्व है. उसमें भी अगर बात मगही पान की हो तो क्या ही कहने. जैसे, उत्तर प्रदेश में बनारसी पान फेमस है, वैसे ही बिहार में मगही पान लोगों के दिलों पर राज करता है. यहां पर लोग मगही पान को बड़े ही चाव के साथ खाना पसंद करते हैं. इसको लेकर बिहार सरकार ने राज्य में मगही और देसी पान के क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए बड़ा अहम फैसला लिया है. दरअसल, बिहार सरकार ने किसानों के लिए पान विकास योजना शुरू की है. इस योजना के तहत किसानों को पान की खेती करने पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जाती है. पान की खेती पर सब्सिडी देने के पीछे सरकार का उद्देश्य राज्य में पान का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है.
राज्य सरकार ने पान विकास योजना के तहत 100 वर्ग मीटर से लेकर 300 वर्ग मीटर में मगही और देसी पान की खेती पर इकाई लागत 70500 रुपये निर्धारित की है. यानी अगर किसान 300 वर्ग मीटर में मगही और देसी पान की खेती करते हैं, तो उन्हें 70500 रुपये पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी. यानी किसानों को इस योजना के तहत 35250 रुपये मिलेंगे.
बिहार के सात जिलों के किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. इसमें औरंगाबाद, गया, नालंदा, नवादा, शेखपुरा, सारण और वैशाली जिला शामिल हैं. बता दें कि इस योजना का लाभ FPC के सदस्य और व्यक्तिगत किसान दोनों ले सकते हैं. वहीं, इस योजना के लाभार्थियों का चयन लॉटरी के चयन से किया जाएगा.
बिहार के मशहूर मगही पान को ज्योग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन टैग (GI Tag) भी मिल चुका है. मगही पान की अपनी एक अलग विशेषता है. साथ ही इस पान की मांग भी जबरदस्त है. लोग इसे आयुर्वेदिक औषधि और माउथ फ्रेशनर के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं.
पान की खेती हल्की ठंड और छायादार जगहों पर की जाती है. पान की फसल को उगाने से पहले उस खेत की अच्छी तरह जुताई करें. इससे खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेष पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं. जुताई के बाद खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दें. फिर मचान बनाने से पहले आखिरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी कर लेना चाहिए. इसके बाद ही मचान बनाना चाहिए. पान की रोपाई के लिए कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए. वहीं, पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए. पान की रोपाई फरवरी के आखिरी हफ्ते से मार्च के मध्य तक की जाती है.