गर्जना रैली में किसानों ने उठाए ये 4 मुद्दे, सरकार माने तो ठीक, वरना जारी रहेगा विरोध

गर्जना रैली में किसानों ने उठाए ये 4 मुद्दे, सरकार माने तो ठीक, वरना जारी रहेगा विरोध

गर्जना रैली के तहत किसान संगठन चार प्रमुख मांगें उठा रहे हैं. इसमें पहला है लागत के आधार पर एमएसपी तय करना, दूसरा मुद्दा कृषि इनपुट जैसे हंसिया, फावड़ा आदि पर लगने वाले जीएसटी को खत्म करना. तीसरी मांग पीएम किसान सम्मान निधि को 6000 से बढ़ाकर 8000 रुपये किया जाना और चौथा जीएस सरसों की अनुमति वापस लेना.

दिल्ली में किसान गर्जना रैली का आयोजनदिल्ली में किसान गर्जना रैली का आयोजन
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Dec 19, 2022,
  • Updated Dec 19, 2022, 2:59 PM IST

दिल्ली में किसान गर्जना रैली की शुरुआत हो गई है. इस रैली का झंडाबरदार संगठन भारतीय किसान संघ यानी कि BKS है. यह संगठन देश में जाना-पहचाना नाम है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े किसानों का यह समूह है. रैली बड़ी है इसलिए दिल्ली प्रशासन ने मध्य दिल्ली में ट्रैफिक बाधित होने का संकेत दिया है. सोमवार 11 बजे शुरू हुई यह रैली शाम 6 बजे तक चलेगी. इसमें देश के अलग-अलग हिस्से से आए किसान हिस्सा ले रहे हैं. किसानों की दशा सुधारने और उनकी माली हालत दुरुस्त करने के लिए गर्जना रैली का आयोजन किया गया है.

सबसे पहले जान लेते हैं कि किसान गर्जना रैली किन मुद्दों पर आयोजित की गई है. यह भी जान लेते हैं कि किसानों की सरकार से क्या मांगें हैं. मुख्य तौर पर बीकेएस सरकार से चार मुद्दों का समाधान चाहता है. ये चार मुद्दे कुछ इस प्रकार हैं-

1-लागत मूल्य पर फसलों के दाम

किसान का कहना है कि सरकार किसी भी फसल का मूल्य तय करे तो उसका पैमाना लागत का आधार हो. यानी किसान जिस लागत पर अपनी फसल उगाता है, उसी आधार पर उपज के रेट मिलने चाहिए. सरकार अगर फसल का एमएसपी तय करती है, तो लागत के हर पहलू का ध्यान रखा जाना चाहिए. खाद, बीज, सिंचाई और किसानों की मेहनत भी शामिल की जानी चाहिए. सरकार किसानों को अकुशल नहीं मानकर कुशल श्रमिक माने और उस आधार पर लागत की गणना करते हुए फसल का एमएसपी जारी करे. अभी तक यह नियम नहीं है. 

2-कृषि इनपुट पर GST खत्म हो

दूसरी बड़ी मांग खेती में लगने वाले इनपुट यानी कि आदान पर जीएसटी को खत्म करने की है. इसका अर्थ ये हुआ कि खेती में लगने वाले उपकरण, औजार और मशीनों पर जीएसटी को खत्म किया जाए. किसानों का तर्क है कि जीएसटी खत्म होने से उपज पर लाभ यूं ही बढ़ जाएगा. सरकार के खाते में जाने वाला टैक्स किसान के पास ही रहेगा जिससे उसकी आमदनी बढ़ेगी. कृषि आदानों पर लगने वाले जीएसटी से किसान की लागत बढ़ जाती है जबकि सरकार किसानों की आय बढ़ाना चाहती है. ऐसा तभी हो पाएगा जब जीएसटी को खत्म किया जाएगा.

किसानों की शिकायत है कि सरकार को उन्हें हंसिया, कुदाल, फावड़ा, सिंचाई के पाइप, मोटरपंप, ट्रैक्टर आदि पर जीएसटी देना होता है. ट्रैक्टर पर 28 परसेंट तो हंसिया और फावड़ा, कुदाल पर 18 परसेंट जीएसटी लगता है. अगर इसे माफ कर दिया जाए तो किसान फायदे में आ जाएगा.

3-किसान सम्मान निधि बढ़ाई जाए

किसान संगठन बीकेएस की मांग है कि सरकार अब किसान सम्मान निधि की रकम को बढ़ा दे. अभी तक साल में तीन किस्तों में सरकार प्रति किसान 6 हजार रुपये देती है. बीकेएस के मुताबिक यह राशि पर्याप्त नहीं है और इससे खेती-बाड़ी का काम नहीं चलता. संगठन का कहना है कि सरकार इसे बढ़ाकर प्रति साल 8000 रुपये कर दे. 

किसान संगठन का कहना है, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि किसानों के लिए बड़ा कदम है. मगर ये वर्ष 2019 की किसान सम्मान निधि 6,000 रुपये प्रति वर्ष आज की स्थिति में सारे आदानों में मूल्य वृद्धि के कारण बहुत ही कम लगता है.

4-जीएस फसल को कहें ना

भारतीय किसान संघ ने सरकार से मांग की है कि जीएस सरसों को दी गई अनुमति को वापस लिया जाए. बीकेएस का कहना है कि सरकार किसानों के हित में सोचकर खाद में सब्सिडी तो देती है, लेकिन ये अधिकतर किसान के हित में न होकर कंपनियों के हित में है. हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने जीएम सरसों को अनुमति दी है. बीकेएस का कहना है, इधर प्रधानमंत्री प्राकृतिक खेती की बात करते हैं, जैव विविधता की बात करते हैं, मधुमक्खी पालन की बात करते हैं, पंचमहाभूत के संरक्षण की बात करते हैं, उधर पर्यावरण मंत्रालय ने इन सभी के विपरीत जीएम फसलों की तरफदारी की है. ऐसे ही हर क्षेत्र को पानी के लिए नदी जोड़ने की घोषणा तो हुई है लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ दिख नहीं रहा है.

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