झारखंड में इस वक्त झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के व्यापारियों और राज्य सरकार के बीच तकरार चल रही है. झारखंड में कृषि शुल्क में वृद्धि किए जाने वाले विधेयक झारखंड राज्य कृषि उपज औप पशुधन विपणन विधेयक 2022 को राज्यपाल रमेश बैस द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद अब चैंबर पूरी तरह से आर-पार की लड़ाई की मूड में हैं. फेडरेशन और झारखंड चैंबर ऑप कॉमर्स और पंडरा बाजार समिति के व्यापारियों ने इसे लेकर एक बैठक की और राज्यपाल द्वारा इस बिल को मंजूरी दिए जाने के बाद उतपन्न होने वाली परिस्थियों पर विचार-विमर्श किया. चैंबर शुरू से ही इस बिल का विरोध कर रहा था.
हालांकि इस बिल को इससे पहले राज्यपाल ने यह कहते हुए वापस कर दिया था कि हिंदी और इंग्लिश में तैयार इसकी ड्राफ्टिंग में अंतर था. राज्यपाल की आपत्ति के बाद राज्य सरकार द्वारा विधानसभा से दोबारा पारित कराकर वापस इसे राज्यपाल को भेजा गया था. इसके बाद राज्यपाल ने कृषि एवं पशुपलान मंत्री बादल पत्रलेख को चर्चा के लिए बुलाया था. राज्यपाल ने मंत्री के साथ विधेयक के प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की साथ ही यह भी कहा था कि विधेयक ऐसे बनने चाहिए जिससे लोगों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़े.
व्यापारियों के चैंबर का कहना है कि है कि कृषि शुल्क में बढ़ोतरी किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं की जाएगी. इससे पहले भी कृषि शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर झारखंड चैंबर को कॉमर्स के सदस्य रांची में मंत्रियों से लेकर कांग्रेस के आला नेताओं से दिल्ली में मुलाकात कर चुके हैं. चैंबर के सदस्य झारखंड में कृषि मंत्री लेकर दिल्ली में जाकर शशि थरूर तक से मुलाकात कर चुके हैं. राज्यपाल द्वारा विधेय़क को मंजूरी दिए जाने के बाद चैंबर ने आह्वान किया है कि सभी व्यापारी आंदोलन की तैयारी में जुट जाएं.
व्यापारियों ने तय किया है कि आगे की रणनीति बनाने को लेकर चैंबर द्वारा आठ फरवरी को राज्यस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया है. साथ ही यह भी तय हुआ है कि इस बिल के विरोध व्यापारी अपनी दुकान में काला झंडा लगाकर या काला बिल्ला लगाकर कार्य करेंगे. गौरतलब है कि बिल का विरोध करते हुए चैंबर के अध्यक्ष ने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए और कहा कि इस विधेयक के लागू होने के बाद अब भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही कहा कि यहां के मंडियों में अधिकांश अधिकाशं तौर पर दलहन और तिलहन का व्यापार होता है, विधेय़क के लागू होने के बाद अब व्यापारियों और किसानों को अधिक शुल्क देना होगा, इससे महंगाई बढ़ेगी इसलिए वो इस बिल का विरोध का विरोध करते हैं.
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