उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत मोटे अनाजों (श्री अन्न) यानी मिलेट्स को भोजन की थाली में फिर से पर्याप्त जगह दिलाने के लिए हर संभव उपाय किए हैं. इनमें सरकार बड़े शहरों के अलावा छोटे शहरों पर भी फोकस करेगी. इन शहरों में न सिर्फ मिलेट्स के आउटलेट खोले जाएंगे, बल्कि मोबाइल वेन के जरिए भी घर घर तक मिलेट्स की पहुंच को आसान बनाया जाएगा. सरकार ने स्वीकार किया है कि हरित क्रांति के दौर में गेहूं और धान की फसलों को जरूरत से ज्यादा बढ़ावा देने के कारण धरती और इंसानों सहित सभी की सेहत के लिए मुफीद माने गए मोटे अनाज महत्वहीन हो गए. इसकी भरपाई के लिए सरकार ने मिलेट्स को फिर से अहमियत दिलाने के लिए खास रणनीति बनाई है.
योगी सरकार ने 1 फरवरी को मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम लागू करने का शासनादेश जारी कर अपनी कार्य योजना को सार्वजनिक कर दिया. कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी की ओर से जारी शासनादेश में कृषि निदेशालय को यह योजना लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इस योजना को प्रदेश के सभी 75 जिलों में लागू किया जाएगा. यूपी की योगी सरकार प्रदेश में मिलेट्स की उपज और उपभोग बढ़ाने के लिए शोध, प्रचार, प्रशिक्षण, बीज वितरण और मार्केटिंग आदि पर अगले 4 साल के दौरान कुल 186.26 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
गौरतलब है कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गत 1 जनवरी को इस योजना के काम की औपचारिक शुरुआत कर दी थी. इसलिए सरकार द्वारा जारी शासनादेश में इस योजना का कार्यकाल 1 जनवरी 2023 से वित्तीय वर्ष 2026-27 की समाप्ति तक निर्धारित किया गया है.
योजना के तहत सरकार ने शहरी क्षेत्रों में मिलेट्स को लोकप्रिय बनाने के लिए खास उपाय किए हैं. इसमें बड़े शहरों से इतर छोटे शहरों में मिलेट्स के 50 आउटलेट्स खोले जाएंगे. रणनीतिकारों का मानना है कि मिलेट्स के लगातार बढ़ते महत्व को देखते हुए बड़े शहरों में मिलेट्स उत्पादों के आउटलेट्स पहले ही खुल चुके हैं. इसलिए सरकार छोटे शहरों में अगले 4 सालों में 50 आउटलेट खुलवाएगी. इसके लिए 10 लाख रुपये प्रति आउटलेट की दर से सरकार खर्च करेगी.
इसके अलावा प्रदेश में सरकार 25 मोबाइल वैन भी शुरू कराएगी. इसके लिए सरकार 20 लाख रुपये प्रति मोबाइल वैन की दर से खर्च करेगी. इस काम में उन उद्यमशील युवाओं को जोड़ा जाएगा, जो मिलेट्स के उत्पादों का कारोबार करने के इच्छुक हों. इन आउटलेट्स में मिलेट्स के उत्पादों की बिक्री के अलावा किसानों को इनके उत्पादन से जुड़ी जानकारी भी दी जाएगी. साथ ही भोजन में मिलेट्स के इस्तेमाल से सेहत को होने वाले फायदों के प्रति जागरूक भी किया जाएगा.
इस कार्यक्रम के तहत सरकार ने मिलेट्स से तमाम तरह के लजीज पकवान बनाने के लिए प्रदेश में 55 मिलेट प्रोसेसिंग यूनिट भी खोलने का फैसला किया है. ये यूनिट 2 श्रेणियों में खोली जाएंगी. पहली श्रेणी में 25 प्रोसेसिंग यूनिट विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्द्रों के सहयोग से इन्हीं के परिसर में शुरू की जाएंगी. इन पर सरकार 95 लाख रुपये प्रति यूनिट की दर 23.75 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
इसके अलावा कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) और उद्यमशील युवाओं से भी 30 मिलेट्स प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करवाएगी. इस पर 42.50 लाख रुपये प्रति यूनिट की दर से सरकार 14.25 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इन यूनिट में प्रोसेसिंग के अलावा उत्पादों की पैकिंग और मार्केटिंग का काम भी होगा. इनमें मिलेट्स की तैयार की गयी रैसिपी से बने उत्पादों की पैकिंग एवं मार्केटिंग होगी.
सरकार ने अपनी कार्ययोजना में किसानों और उद्यमियों को मिलेट्स के उन्नत उत्पादों के उत्पादन और प्रचार प्रसार आदि को बढ़ाने पर जोर देते हुए इस दिशा में शोध एवं विकास (आरएंडडी) तथा प्रशिक्षण का भी इंतजाम किया है. इसके लिए सरकार ने अगले 4 साल में 1.15 लाख किसानों और युवा उद्यमियों को प्रशिक्षित करने की रणनीति बनाई है. प्रशिक्षण के दाैरान प्रदेश और देश में उन स्थानों का विजिट भी कराया जाएगा, जहां मिलेट्स के उत्पादन एवं मार्केटिंग के सफल मॉडल काम कर रहे हैं. इस क्रम में स्कूली पाठ्यक्रम में मिलेट़स के महत्व को शामिल करने के अलावा कॉलेज स्तर पर छात्रों को और छात्रों के माध्यम से उनके अभिभावकों को भी मिलेट्स के प्रति जागरूक किया जाएगा. सरकार आरएंडडी पर 5.6 करोड़ रुपये और प्रशिक्षण एवं क्षमतावर्धन पर 88.25 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
सरकार ने इस कार्ययोजना को जमीन पर प्रभावी रूप से उतारने के लिए शासनादेश में दो समितियां भी गठित करने का प्रावधान किया है. इसके तहत प्रदेश के कृषि निदेशक की अध्यक्षता वाली 'परियोजना स्क्रीनिंग समिति' और अपर मुख्य सचिव, कृृृषि की अध्यक्षता वाली 'स्वीकृति समिति' गठित की गई है. नाबार्ड के सीएमडी और वैज्ञानिक सहित 7 सदस्यों वाली स्क्रीनिंग समिति इस योजना को लागू करने की प्रक्रिया तय करने के अलावा इसे लागू करने के लिए पात्र व्यक्तियों का चयन एवं इसके मानक तय करेगी. इसके अलावा अपर मुख्य सचिव, कृषि की अध्यक्षता वाली स्वीकृति समिति में कृषि एवं उद्यान विभाग के निदेशक सहित 7 सदस्य होंगे. यह समिति स्क्रीनिंग समिति के प्रस्तावों का परीक्षण कर इन्हें स्वीकृति प्रदान करेगी.
शासनादेश के अनुसार वैसे तो यह योजना प्रदेश के सभी 75 जिलों में लागू की जाएगी. लेकिन, इसमें उन 24 जिलों पर खास ध्यान दिया जाएगा जिन्हें केन्द्र सरकार द्वारा संचालित 'राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन' के अंतर्गत देश के न्यूट्रीसीरियल जिलों में शामिल किया गया है. इस मिशन के अंतर्गत ज्वार, बाजरा और कोदो या सांवा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए आच्छादित जिलों का चयन पहले ही किया जा चुका है.
इनमें यूपी के कानपुर नगर, कानपुर देहात, बांदा, चित्रकूट एवं हमीरपुर जिलों को ज्वार के लिए आच्छादित जिलों में शुमार किया गया है. वहीं, बुलंदशहर, आगरा, मथुरा, फरोजाबाद, मैनपुरी, अलीगढ़, एटा, कासगंज, हाथरस, बदायूं, संभल, कानपुर देहात, औरैया, इटावा, जालौन, प्रयागराज, प्रतापगढ़, गाजीपुर एवं मिर्जापुर को बाजरा के लिए एवं सोनभद्र जिले को सावा या कोदों के लिए आच्छादित जिले के रूप में शामिल किया गया है.
इन जिलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत होने वाले कामों को केन्द्रीय मद से पूरा किया जाएगा, इसके अतिरिक्त अन्य काम यूपी सरकार मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत भी करेगी. इस प्रकार इन जिलाें को केन्द्र सरकार द्वारा संचालित मिशन और यूपी सरकार के कार्यक्रम, दोनों का लाभ मिलेगा.
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