जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए बागवानी और मधुमक्खी पालन आमदनी का प्रमुख जरिया है. यही वजह है कि सरकार इन क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रही है. इसी क्रम में अनंतनाग जिले में सरकार की होलिस्टिक एग्रीकल्चर डेवलपमेंट प्रोग्राम (HADP) जैसी योजनाओं ने किसानों की आमदनी बढ़ाने और खासतौर पर शहद उत्पादन को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई है. इस योजना के तहत सरकार ने मधुमक्खी पालकों को आधुनिक उपकरण, तकनीकी प्रशिक्षण और आर्थिक मदद मुहैया कराई, जिससे शहद की क्वालिटी और उत्पादन दोनों में जबरदस्त सुधार हुआ है.
कृषि विभाग के एपीकल्चर विंग की पहल पर पूरे कश्मीर घाटी में मधुमक्खी पालन को आत्मनिर्भर रोजगार के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि परंपरागत तरीके से शहद उत्पादन करने वाले लोग अब आधुनिक तकनीक से जुड़कर अपने काम का दायरा बढ़ा रहे हैं. शहद प्रसंस्करण इकाइयों और मार्केटिंग प्लेटफॉर्म्स के जरिए कश्मीरी शहद को देश-विदेश में पहचान मिल रही है, जिससे बाजार और आमदनी दोनों बढ़े हैं.
मुख्य कृषि अधिकारी शहनवाज अहमद शाह ने कहा, “अनंतनाग जिले में मधुमक्खी पालन एक प्रमुख क्षेत्र बन चुका है और इससे बड़ी संख्या में लोग जुड़े हुए हैं. वर्तमान में हमारे पास 346 से अधिक बीकीपर्स हैं और शहद उत्पादन 5000 क्विंटल के आंकड़े को छू चुका है. HADP योजना के तहत हमने युवाओं के लिए रोजगार के कई अवसर तैयार किए हैं.”
योजना का लाभ उठाकर कई युवा आज आत्मनिर्भर बन चुके हैं. एक मधुमक्खी पालक ने बताया, “मैं पिछले सात वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रहा हूं और मुझे एपीकल्चर और एग्रीकल्चर विभाग से पूरा सहयोग मिल रहा है. शुरुआत में मेरे पास सिर्फ 20 कॉलोनी थीं, अब मैं 200 बॉक्स तक पहुंच गया हूं.”
एक और बीकीपर ने बताया, “पहले मैं बेरोजगार था, लेकिन HADP योजना की जानकारी मिलने के बाद मैंने 2023 में 35 कॉलोनी खरीदीं और अब मेरे पास 60 से 70 कॉलोनियां हैं. आज मैं अच्छा पैसा कमा रहा हूं और अपने परिवार का खर्च अच्छे से चला पा रहा हूं.”
अनंतनाग जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में शहद उत्पादन न सिर्फ रोजगार का जरिया बना है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल खेती के नए रास्ते भी खोल रहा है. HADP जैसी योजनाओं के चलते न सिर्फ किसानों की आय बढ़ी है, बल्कि खेती-किसानी को आधुनिक और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम भी साबित हो रहा है. (एएनआई)