मौसम की मार से हरियाणा के किसान इन दिनों परेशान है. किसानों की इस परेशानी पर हरियाणा सरकार ने मरहम लगाने का फैसला लिया है. जिसके तहत हरियाणा सरकार ने फसलों की गिरदावरी (सर्वे) कराने का फैसला लिया है. असल में बीते दिनों अधिक ठंड और शीतलहर की चपेट में आने से सरसों की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई. जिसके बाद किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग की थी. किसानों के नुकसान को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने प्रभावित फसल का सर्वे कराने के निर्देश दिए हैं इसके लिए पटवारियों का पे स्केल भी अपडेट किया गया है. आइए जानते हैं कब से गिरदावरी शुरु होगी, साथ ही यह भी जानेंगे कि किसानों ने सरकार से मुआवजे की कितनी राशि मांगी है.
हरियाणा के किसानों ने इस साल कई तरह की परेशानियों का सामना करने की बात कही. जहां एक ओर गन्ने के किसानों ने मूल्यों को लेकर सरकार से बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर सरसों की फसल भी पाले की चपेट में आने से किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. किसान सरकार से इस नुकसान के बदले मुआवजे की मांग कर रहे हैं. किसानों की मांग पर सरकार ने प्रभावित फसलों की गिरदावरी (सर्वे) कराने के निर्देश दिए हैं. 5 फरवरी से रेगुलर सर्वे किया जाएगा इसके लिए सरकार ने पटवारियों का पे स्केल एक ग्रेड अपग्रेड कर दिया गया है.
ये भी पढ़ें हरियाणा में 10 रुपये क्विंटल बढ़ाया गया गन्ने का भाव, किसानों ने फिर भी दी आंदोलन की चेतावनी
हरियाणा के किसान लगातार गन्ने की कीमत पर कमी को लेकर नाराजगी जाहिर कर रहे थे इसके बाद राज्य में सरसों की फसलों पर भी मौसम की मार पड़ी है जिससे सरसों के दाने परिपक्व होने से पहले ही गल कर नष्ट हो गए हैं. आपको बता दें हरियाणा सरसों उत्पादन के मामले में देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है. यह देश की कुल सरसों उत्पादन का 13.33 प्रतिशत सरसों पैदा होती है. राज्य के किसानों ने बताया कि एक एकड़ के खेत में 8-10 क्विंटल सरसों का उत्पादन होता है जिससे करीब 60 हजार रुपये की सरसों पैदा होती है. किसानों ने सरकार से 50,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजे की मांग की है.