फसल बीमा क्लेम को लेकर कंपनियों की मनमानी से परेशान किसानों को अब कुछ राहत मिलने की संभावना है. क्लेम का वितरण अब डिजिटल तरीके से किया जाएगा. शुरुआती दौर में इसका सीधा लाभ 6 राज्यों के किसानों को होगा. इसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा शामिल हैं. क्लेम भुगतान की प्रक्रिया अब ऑटोमेटिक हो जाएगी. राज्यों द्वारा पोर्टल पर जो उपज डेटा जारी किया जाता है उससे इस काम में मदद मिलेगी. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) के डिजिटाइज्ड क्लेम सेटलमेंट मॉड्यूल 'डिजीक्लेम' की शुरुआत की.
तोमर ने बटन दबाकर इन 6 राज्यों के बीमित किसानों को 1260.35 करोड़ रुपये के बीमा दावों का भुगतान किया. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत 6 साल पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी. उनकी मंशा है कि अधिक से अधिक किसान फसल बीमा करवाएं ताकि प्राकृतिक आपदा के बावजूद उनका नुकसान न हो. सरकार इसीलिए फसल बीमा योजना को किसानों के लिए सुरक्षा कवच बताती है. किसानों को बीमा कंपनियों की मनमानी से बचाने के लिए समय-समय पर फसल बीमा योजना में सरकार ने बदलाव किए हैं. फिलहाल, डिजीक्लेम के जरिए किसानों को फसल नुकसान की स्थिति में प्राप्त होने वाला दावा भुगतान उचित समय पर किसानों तक पहुंच सकेगा.
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क्लेम को अब तक कृषि मंत्रालय ट्रैक नहीं कर पा रहा था, इससे अक्सर किसानों की ओर से यह शिकायत आती थी कि क्लेम नहीं मिला. किसानों को कंपनी के पीछे भागना पड़ता था. लेकिन, डिजीक्लेम के जरिए अब यह सिस्टम ऑटोमेटिक हो गया है. अब बीमा कंपनी से क्लेम निकलकर एनसीआईपी पर आएगा. उसके बाद पीएफएमएस यानी पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम पर जाएगा. बीमा योजना को पीएफएमएस से भी जोड़ दिया गया है.
इससे पात्र किसान तक डायरेक्ट क्लेम पहुंचेगा और उसकी ट्रैकिंग की जा सकेगी. जहां कंपनी क्लेम प्रोसेस में देरी करेगी वहां कंपनी पर ऑटोमेटिक पेनल्टी लग जाएगी. हर किसान को क्लेम ट्रैक करने की सुविधा मिलेगी कि क्लेम कहां पहुंचा है और किस वजह से रुका है.
तोमर ने कहा कि 'डिजीक्लेम' के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में नई विधा की शुरुआत हुई है. जिससे केंद्र-राज्य सरकारों को सुविधा के साथ ही, किसानों को क्लेम आसानी से मिल जाएगा. इसकी सुनिश्चितता पारदर्शिता के साथ की जा सकेगी. आयुष्मान भारत योजना के बाद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, भारत की बहुत बड़ी योजना है, जो प्राकृतिक परिस्थितियों पर आधारित है. पिछले 6 साल से संचालित इस योजना के अंतर्गत बीमित किसानों को उनकी उपज के नुकसान की भरपाई के रूप में अभी तक 1.32 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि मंत्रालय सभी राज्य सरकारों, बीमा कंपनियों व किसानों के संपर्क में भी रहता है. समय-समय पर आने वाली कठिनाइयों का निदान किया जाता है. पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के लिए ग्रिवांस पोर्टल बनाया गया है, जिसका लाभ दिखाई दे रहा है. इस पोर्टल को पूरे देश के लिए उपयोग करें, इसकी कोशिश हो रही है. अभी तक सामान्य तौर पर यह माना जाता था कि जो किसान ऋणी है, वहीं बीमित होता है लेकिन प्रसन्नता की बात है कि इस संबंध में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है और गैर-ऋणी किसान भी फसल बीमा करवा रहे हैं. इस दिशा में मेरी पालिसी-मेरे हाथ अभियान का भी बड़ा योगदान है.
तोमर ने कहा कि हम सबका लक्ष्य यहीं होना चाहिए कि किसान स्वयं जागरूक हो जाएं व हर किसान बीमित हो ताकि प्राकृतिक प्रकोप की स्थिति में उसके नुकसान की भरपाई हो सके. कृषि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां तो रहती ही हैं, लेकिन इनका समाधान बहुत ही शिद्दत के साथ सरकारें कर सकें, इसमें टेक्नोलॉजी विशेष मददगार है. आम किसानों तक मौसम की सटीक जानकारी भी पहुंच सके, इसके लिए टेक्नोलॉजी की मदद ली जा रही है. बीमा कंपनियों, राज्य सरकारों एवं किसानों सबका समन्वय बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अब कई राज्य प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ने के लिए आ रहे हैं.
कृषि मंत्री ने उम्मीद जताई कि सबके प्रयासों के कारण इस बीमा योजना की लोकप्रियता और बढ़ेगी. कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, केंद्रीय कृषि सचिव मनोज अहूजा, फसल बीमा योजना के सीईओ रितेश चौहान के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारी, बीमा कंपनियों व बैंकों के प्रतिनिधि शामिल हुए.
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