राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने बजट (Rajasthan Budget 2023) में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी कि ERCP को लेकर बड़ा ऐलान किया. इस बार के बजट में सरकार ने ERCP के लिए 13800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) 13 जिलों से संबंधित है. ये जिले भरतपुर, अलवर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, दौसा, जयपुर, टोंक, बारां, बूंदी, कोटा, अजमेर और झालावाड़ हैं. इन जिलों में राजस्थान की कुल 200 में से आधी से कुछ कम 83 विधानसभा सीटें आती हैं जिनकी करीब तीन करोड़ आबादी है. ये राजस्थान की कुल आबादी का 41.13 प्रतिशत है. ये जिले प्रदेश के हाड़ौती, मेवात, ढूंढाड़, मेरवाड़ा और ब्रज क्षेत्र में आते हैं.
ईआरसीपी अभी तक राजस्थान सरकार की ही परियोजना है और इसे राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित करने की मांग लंदे दिनों से चल रही है. मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार केंद्र सरकार से ईआरसीपी को राष्ट्रीय दर्जा देने की मांग करते रहे हैं. एक दिन पहले ही कांग्रेस के ही नेता सचिन पायलट ने एक पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग की.
ईआरसीपी पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लिए सिंचाई और पेयजल की योजना है जिससे 2051 तक इन जिलों को पानी की पूर्ति होनी है. ईआरसीपी के धरातल पर उतरने से 2.02 लाख हेक्टेयर नई सिंचाई भूमि बनेगी. इससे इन इलाकों में खेती और सिंचाई से जुड़ी समस्या दूर होगी. साथ ही इन जिलों में पहले से बने 26 बांधों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सकेगा. इससे 80,878 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है. इस तरह कुल 2.80 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा विकसित होगी. इस काम को सात साल में पूरा होना है.
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इस परियोजना के तहत मानसून के दिनों में कुल 3510 एमसीएम पानी जिसमें 1723.5 पेयजल, 1500.4 एमसीएम सिंचाई और 286.4 एमसीएम पानी को उद्योगों के लिए चंबल बेसिन से राजस्थान की दूसरी नदियों और बांधों में शिफ्ट करना है. इसके लिए पार्वती, कालीसिंध, मेज नदी के बरसाती अधिशेष पानी को बनास, मोरेल, बाणगंगा और गंभीर नदी तक लाया जाना है. कुल मिलाकर ईआरसीपी से पूर्वी राजस्थान की 11 नदियों को आपस में जोड़ा जाना है. परियोजना के पूरे होने से मानसून में बेकार बहकर जाने वाले बाढ़ के पानी का उपयोग होगा. इसी से 13 जिलों को सिंचाई, पेयजल और उद्योगों के लिए पानी मिल सकेगा.