पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने साल 2024 के धान कटाई सीजन के दौरान मशीनरी और बाकी उपायों की मदद से पराली जलाने पर रोक लगाने की तैयारी कर ली है. एक रिपोर्ट की मानें तो इसके लिए विभाग ने 500 करोड़ रुपये का एक एक्शन प्लान तैयार किया है. गौरतलब है कि पराली एक बड़ी समस्या बनी हुई है जिसकी वजह से साल के कुछ महीनों तक दिल्ली एनसीआर समेत कुछ और राज्य प्रदूषण की गहरी चादर में ढंके रहते हैं.
राज्य के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने कहा है कि विभाग को साल 2024 के खरीफ सीजन के दौरान क्रॉप रेजिडू मैनेजमेंट (सीआरएम) मशीनरी पर सब्सिडी का फायदा उठाने में इच्छुक किसानों, सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और पंचायतों से 21,511 आवेदन मिले हैं. किसानों ने 63,697 मशीनों के लिए आवेदन किया है. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत किसान सीआरएम उपकरणों की लागत पर 50 फीसदी सब्सिडी का फायदा उठा सकते हैं.
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सहकारी समितियां, एफपीओ और पंचायतें 80 फीसदी सब्सिडी प्राप्त कर सकती हैं, जो योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार अधिकतम तक सीमित है. मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत सुपर एसएमएस, सुपर सीडर, सरफेस सीडर, स्मार्ट सीडर, हैप्पी सीडर, पैडी स्ट्रा चॉपर, श्रेडर, मल्चर, हाइड्रोलिक रिवर्सिबल मोल्ड बोर्ड प्लाऊ, इन-सीटू प्रबंधन के लिए जीरो टिल ड्रिल और एक्स-सीटू मशीनों के लिए बेलर और रेक सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
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खुदियन ने बताया कि 2018-19 से 2023 तक पंजाब के किसानों को 1,30,000 सीआरएम मशीनें मुहैया कराई गई हैं. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग फसल के अवशेषों के प्रबंधन के लिए मुहैया तकनीकों के बारे में किसानों को शिक्षित करने और उन्हें ट्रेनिंग देने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार अभियान भी शुरू करेगा. विभाग की मानें तो राज्य सरकार पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए हर संभव कदम उठा रही है. मंत्री ने विभाग के अधिकारियों से पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने को भी कहा और कहा कि नियमों और विनियमों के उल्लंघन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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इस साल की शुरुआत में, पंजाब सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सूचित किया कि वह 2024 में पूरे 19.58 मिलियन टन (एमटी) धान के भूसे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने के लिए कदम उठाएगी. राज्य सरकार किसानों को हतोत्साहित करने के लिए हरियाणा-प्रकार की 'प्रोत्साहन योजना' पर भी विचार कर रही है. हालांकि, राज्य में धान उत्पादन के तहत बड़े क्षेत्र के कारण इसमें शामिल उच्च लागत इसे अपनाने में बाधा साबित हो सकती है.