ये पौधा कराएगा 3 लाख रुपये तक की कमाई, कृषि वैज्ञानिक कर रहे रिसर्च, छत्तीसगढ़ में शुरू होगी खेती

ये पौधा कराएगा 3 लाख रुपये तक की कमाई, कृषि वैज्ञानिक कर रहे रिसर्च, छत्तीसगढ़ में शुरू होगी खेती

छत्तीसगढ़ का वो बस्तर जिला जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. अब वहां रबर की खेती की जाएगी. बस्तर में पहले भी रबर की खेती का प्रयोग किया गया था, लेकिन बाद में यह प्रयोग आगे नहीं बढ़ा. इस बार योजना यह है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को रबर की खेती से जोड़कर उनकी खाली पड़ी जमीन पर रबर के पौधे लगाए जाएं.

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ये पौधा कराएगा 3 लाख रुपये तक की कमाई, कृषि वैज्ञानिक कर रहे रिसर्च, छत्तीसगढ़ में शुरू होगी खेतीरबर का पौधा

छत्तीसगढ़ के किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य में रबर की खेती करने की तैयारियां की जा रही हैं. इसको लेकर स्थानीय शहीद गुंडाधुर कृषि एवं अनुसंधान केन्द्र (Shaheed Gundadhur College of Agriculture and Research Station) ने रबर की खेती की शुरुआत की है. कृषि वैज्ञानिक बस्तर क्षेत्र में पौधों पर रिसर्च भी की जा ही है. इससे पहले भी यहां रबर की खेती करने की कोशिश की गई थी, लेकिन सफलता नहीं मिली थी. इस बार वैज्ञानिक काफी आश्वस्त हैं कि सफलता मिलेगी. किसानों को भी रबर की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है. वैज्ञानिकों ने कहा कि एक रबर का पौधा अपने जीवनकाल में किसानों को 2-3 लाख रुपये कमाने में मदद कर सकता है.

रबर की खेती को बढ़ावा

छत्तीसगढ़ का वो बस्तर जिला जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. अब वहां रबर की खेती की जाएगी. केरल के राष्ट्रीय रबर अनुसंधान संस्थान और छत्तीसगढ़ के कृषि अनुसंधान केंद्र जगदलपुर ने रबर प्लांटेशन की तैयारी शुरू की है. बस्तर में पहले भी रबर की खेती का प्रयोग किया गया था, लेकिन बाद में यह प्रयोग आगे नहीं बढ़ा. इस बार योजना यह है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को रबर की खेती से जोड़कर उनकी खाली पड़ी जमीन पर रबर के पौधे लगाए जाएं. जिले में शुरुआत में करीब 2.5 एकड़ क्षेत्र में इसके पेड़ लगाने की तैयारी की जा रही है, जिसे बाद में बढ़ाया जाएगा. 

3 लाख तक होती है कमाई

बस्तर जिले में रबर की खेती पर शहीद गुंडाधुर कृषि एवं अनुसंधान केंद्र के डीन डॉ. आर.एस. नेताम ने कहा कि रबड़ को नकदी फसल के रूप में जाना जाता है. रबर बोर्ड, कोट्टायम की मदद से 2.5 एकड़ क्षेत्र में रबर अनुसंधान शुरू किया गया है. अगर नतीजे अच्छे आए तो किसानों को रबर की खेती के लिए प्रोत्साहित करेंगे ताकि वे अच्छी कमाई कर सकें. एक रबर के पौधे की औसत आयु 60 वर्ष होती है और औसतन प्रत्येक रबर का पौधा अपने जीवनकाल में किसानों को 2-3 लाख रुपये कमाने में मदद कर सकता है. 

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इन राज्यों में होती है खेती

भारत रबर का चौथा बड़ा उत्पादक देश है. कम लागत में कई गुना ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किसान बड़ी संख्या में इस पेड़ की खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. वहीं बात करें भारत में सबसे अधिक रबर की खेती कि तो भारत में सबसे अधिक प्राकृतिक रबर का उत्पादन केरल में होता है. इसके अलावा तमिलनाडु असम, त्रिपुरा और मेघालय प्रमुख है. इसके साथ ही अब छत्तीसगढ़ में भी रबर की खेती की जाएगी.

कैसे निकाला जाता है रबर

रबर को बनाने के लिए उसके पेड़ के तनों में छेद कर पेड़ से निकलने वाले दूध (लेटेक्स) को एकत्रित कर लिया जाता है. इसके बाद इस लेटेक्स का केमिकल्स के साथ परीक्षण किया जाता है, ताकि अच्छी क्वालिटी वाला रबर प्राप्त हो सके. इसके बाद लेटेक्स को गाढ़ा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. लेटेक्स में मौजूद पानी के सूख जाने पर केवल रबड़ ही रह जाता है.

रबर का क्या-क्या है प्रयोग

रबर का उपयोग कई तरह की चीजों को बनाने के लिए किया जाता है. दरअसल, रबर का इस्तेमाल कर शोल, टायर, रेफ्रिजरेटर, इंजन की सील के अलावा कंडोम, गेंद, इलेक्ट्रिक उपकरण और इलास्टिक बैंड जैसी चीजों को बनाया जाता है. इसके साथ ही रबर का इस्तेमाल दस्ताने, बेल्ट और मेडिकल क्षेत्र में प्रमुख रूप से होता है.

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