राज्यसभा के पूर्व सदस्य और वयोवृद्ध किसान नेता भूपिंदर सिंह मान ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर किसानों पर इनकम टैक्स लगाने के सुझाव का पुरजोर विरोध किया है. उन्होंने कहा कि मैं यह पत्र रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समिति की सदस्य आशिमा गोयल द्वारा अमीर किसानों पर आयकर लगाने के हालिया सुझाव पर अपना कड़ा विरोध व्यक्त करने के लिए लिख रहा हूं. यह प्रस्ताव न केवल दुर्भावनापूर्ण और शरारतपूर्ण है, बल्कि भारतीय कृषि की जटिलताओं और हमारे किसानों के सामने आने वाली मौजूदा कठिनाइयों को समझने में भी विफल है. किसानों पर टैक्स लगाना अन्यायपूर्ण फैसला होगा. मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सदस्य रहे मान ने गोयल को खेती-किसानी को लेकर आईना दिखाने की कोशिश की.
मान ने कहा कि यह दावा कि किसानों टैक्स कर नहीं लगाया जाता है, यह स्पष्ट रूप से झूठी बात है. जैसा कि आर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 में भारतीय किसानों पर 169 अरब अमेरिकी डॉलर का भारी भरकम टैक्स लगाया गया. इसके अलावा, 2004 में शरद जोशी टास्क फोर्स ने निष्कर्ष निकाला था कि भारतीय कृषि पर सालाना 1.7 लाख करोड़ रुपये के टैक्स का बोझ है. उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ा भ्रम है कि सरकार किसानों को सब्सिडी दे रही है. बल्कि सच तो यह है कि किसान उपभोक्ताओं को सब्सिडी दे रहे हैं.
इसे भी पढ़ें: Mustard Area: सरसों उत्पादक किसानों ने बनाया नया रिकॉर्ड, क्या सरकार दिखाएगी खरीद की दरियादिली?
भूपिंदर मान ने कहा कि अमीर किसानों को इनकम टैक्स के दायरे में लाने का सुझाव भारतीय किसानों के सामने आने वाली अनोखी चुनौतियों को नजरअंदाज करता है. लैंड सीलिंग एक्ट उनकी संभावित आय को सीमित कर देता है. जबकि खंडित भूमि जोत उन्हें आर्थिक और आर्थिक रूप से अलाभकारी बना देती है. उन पर व्यापार प्रतिबंधों, निर्यात प्रतिबंधों और शोषणकारी आवश्यक वस्तु अधिनियम का और भी बोझ है. ये कारण प्रभावी रूप से उनकी आय को सीमित करते हैं और उन्हें अन्य आय अर्जित करने वालों की तरह ही धन संचय करने से रोकते हैं.
पूर्व सांसद मान ने कहा कि आशिमा गोयल का यह सुझाव कृषि के संदर्भ में "अमीर" को परिभाषित करने का महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है. क्या यह भूमि के स्वामित्व, आय या किसी अन्य मैट्रिक्स पर आधारित है? दरअसल, ऐसी प्रणाली को लागू करना प्रशासनिक रूप से जटिल होगा और दुरुपयोग की संभावना होगी. इससे छोटे और सीमांत किसानों का और अधिक शोषण हो सकता है, जो पहले से ही अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. किसानों पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ लादने की बजाय सरकार को किसानों पर मौजूदा टैक्स को सुधार करना चाहिए. कई एग्री इनपुट पर वो 28 फीसदी तक टैक्स दे रहे हैं.
जब तक इन महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता, किसानों पर आयकर लगाना एक अन्यायपूर्ण और प्रतिकूल उपाय होगा. यह पहले से ही संघर्षरत समुदाय पर और बोझ डालेगा और कृषि क्षेत्र के विकास में बाधा उत्पन्न करेगा. मान ने सरकार से कहा कि इसीलिए मैं गोयल के इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का आग्रह कर रहा हूं, ताकि खेती-किसानी और किसान सब आगे बढ़ें.
इसे भी पढ़ें: Bonus Politics: गेहूं-धान की एमएसपी पर मिलेगा बोनस तो खाद्य तेलों और दालों में कैसे आत्मनिर्भर होगा भारत?