लोकसभा चुनावों का अब बस एक ही चरण बाकी रह गया है. 1 जून को सांतवे और आखिरी दौर में जिन राज्यों में मतदान होना है, उसमें पंजाब भी शामिल है. पिछले दिनों पटियाला में एक रैली करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां पर चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया है. लेकिन इस रैली में एक बात जो सबको अखरी, वह थी पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता रहे अमरिंदर सिंह की नामौजूदगी. 82 साल के कैप्टन (रिटायर्ड) अमरिंदर सिंह मौजूदा लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में बीजेपी के अभियान से गायब हैं. पंजाब में किसान आंदोलन के बीच अमरिंदर की नामौजूदगी से बीजेपी में चिंताएं बढ़ गई हैं.
पटियाला तो उनका ही गृह क्षेत्र है और यहां पर गुरुवार को हुई पीएम मोदी की रैली में भी अमरिंदर नजर नहीं आए. पटियाला से बीजेपी ने उनकी पत्नी परनीत कौर को टिकट दिया है. अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अमरिंदर के एक करीबी सहयोगी के हवाले से लिखा है कि बुधवार को पूर्व सीएम ने मोदी को चिट्ठी लिखकर बताया था कि वह रैली में भाग नहीं ले पाएंगे. कैप्टन अमरिंदर ने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए रैली में शामिल न होने का फैसला किया था. उनके सहयोगी का कहना है कि अमरिंदर ने ही पीएम मोदी से पत्नी के समर्थन में पटियाला में एक रैली को संबोधित करने का अनुरोध किया था. 13 मई को जब परनीत अपना नामांकन पत्र दाखिल करने गई थीं, तब भी अमरिंदर उनके साथ नहीं थे.
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पंजाब बीजेपी के प्रवक्ता प्रीतपाल सिंह बलियावाल, जो कि पटियाला लोकसभा क्षेत्र के पार्टी प्रभारी भी हैं, ने भी कहा कि अमरिंदर का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. उन्होंने बताया कि जब परनीत कौर अपना नामांकन पत्र दाखिल करने गई थीं, तब कैप्टन अमरिन्दर सिंह स्वास्थ्य संबंधी समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती थे. बाद में उन्हें छुट्टी दे दी गई. बीजेपी उनके अभियान में शामिल होने का इंतजार कर रही थी. बलियावाल की मानें तो कैप्टन गैस्ट्रो-एंटेराइटिस से पीड़ित थे और ड्रिप पर थे. उन्हें थकान भी महसूस हो रही थी.
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बलियावाल ने बताया कि जिस समय पीएम मोदी की रैली हुई तो तय था कि कैप्टन अमरिंदर भी मंच पर होंगे. लेकिन वह आकर बोलने में बहुत कमजोर महसूस कर रहे थे. उन्होंने पीएम को पत्र लिखकर रैली में शामिल होने में असमर्थता जताई. पूर्ववर्ती पटियाला शाही परिवार के वंशज, अमरिंदर पूर्व कांग्रेस दिग्गज और दो बार सीएम रहे हैं. जिस समय वह कांग्रेस में थे तो वह पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में रहते थे. वह न केवल पंजाब में बल्कि पड़ोसी राज्यों हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते थे.
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वर्तमान में, अमरिंदर राज्य में बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं. उन्होंने सितंबर 2022 में अपने अलग हुए संगठन पंजाब लोक कांग्रेस को बीजेपी में मिला दिया था. फरवरी 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. बीजेपी इस बार पंजाब में अपने पूर्व गठबंधन सहयोगी सुखबीर बादल के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल के बिना लोकसभा चुनाव लड़ रही है.
बीजेपी राज्य में अपने दम पर सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में प्रचार अभियान से अमरिंदर का गायब रहना बीजेपी के लिए बड़ा झटका भी माना जा रहा है. राज्य की इकाई को अपने सबसे महत्वपूर्ण चुनावों में से एक के प्रचार अभियान से कैप्टन की अनुपस्थिति को लेकर चिंता है. वह सोशल मीडिया पर भी चुप हैं जिससे पार्टी हलकों में चिंता बढ़ गई है. हालांकि, पटियाला में पीएम मोदी की बैठक के बाद, उन्होंने पीएम की रैली के लिए अपने बहुत ज्यादा प्यार के लिए निर्वाचन क्षेत्र को धन्यवाद दिया.