25 मई को लोकसभा चुनाव के छठे चरण में जिन 58 सीटों पर मतदान होना है, उसमें हरियाणा भी शामिल है. यह मतदान ऐसे समय में हो रहा है जब एक तरफ किसान आंदोलन जारी है. हरियाणा में 10 लोकसभा सीटें हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस बार यहां की करनाल सीट से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को मैदान में उतारा है. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने हरियाणा में क्लीन स्वीप किया था और सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसमें से आठ सीटें तो ऐसी थीं जिन पर उसे बहुत बड़े अंतर से जीत मिली थी. लेकिन यहां पिछले दिनों जो कुछ हुआ है उसके बाद माना जा रहा है कि पार्टी को अपनी संख्या बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है.
अगर कांग्रेस कोई सेंध लगाने में सफल हो जाती है तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी. पिछले लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच करीब 30 फीसदी वोट शेयर का अंतर था. उन चुनावों में बीजेपी को कुल 58.02 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस के खाते में 28.42 फीसदी वोट मिले थे. बाकी पार्टियां मुश्किल से ही जीत दर्ज कर पाईं थी. जहां जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को 4.9 फीसदी वोट मिले थे तो इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को 1.89 प्रतिशत वोट हासिल हो सके थे.
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विशेषज्ञों की मानें तो 25 मई को होने वाली वोटिंग भी दो तरफा होने की उम्मीद है. इसमें कांग्रेस और बीजेपी नौ सीटों पर सीधे एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रही हैं. कुरुक्षेत्र में कांग्रेस ने अपने इंडिया ब्लॉक के सहयोगी आम आदमी पार्टी (आप) पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं. वहीं इनेलो के अभय चौटाला भी यहां से मैदान में हैं. इस बार हरियाणा में होने वाले मतदान पर साल 2020-2021 में हुए किसान विरोध प्रदर्शन का असर भी पड़ सकता है.
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कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने के बाद प्रमुख उद्योगपति नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. वे पिछले दो चुनाव साल 2014 और 2019 में बीजेपी से हार गए थे. वह इससे पहले 10 साल तक इस क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं. इसके अलावा बीजेपी नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर करनाल से कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.
पंजाब के अलावा, हरियाणा के किसान भी इस विरोध का हिस्सा थे. राज्य की 65 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गांवों में रहती है. इसलिए हरियाणा में इस मुद्दे की गूंज है. शंभू सीमा पर पंजाब के किसानों द्वारा चल रहे एक और विरोध ने भी यहां सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. राज्य में करीब सभी बीजेपी उम्मीदवारों को गुस्सा झेलना पड़ा है. किसान विरोध प्रदर्शन के अलावा ब्रजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाले पहलवानों का गुस्सा भी मतदान को प्रभावित कर सकता है.
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