26 नवंबर से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की स्वास्थ्य जांच के लिए जा रही 6 सदस्यीय मेडिकल टीम का मवीकला गांव के पास एक्सीडेंट हो गया. डॉक्टरों की खनौरी बॉर्डर जा रही थी, लेकिन इससे पहले उनके वाहन को एक कार ने टक्कर मार दी. अधिकारियों के अनुसार, टीम को किसान नेता के लिए खनौरी सीमा किसान विरोध स्थल पर तैनात किया गया था. वहीं, एक अन्य सरकारी डॉक्टरों की टीम खनौरी के लिए रवाना हो गई है.
सरकारी मेडिकल टीम के वाहन को टक्कर मारने वाली एसयूवी के पीछे एक कार के अंदर लगे डैशकैम पर रिकॉर्ड किए गए वीडियो में एसयूवी को एक ट्रक से आगे निकलने की कोशिश करते हुए देखा गया. जब ट्रक ने विपरीत दिशा से आ रहे उनके वाहन को टक्कर मार दी.
समाना के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजीव अरोड़ा ने बताया कि राजिंदरा अस्पताल पटियाला के चार विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम, एक फार्मासिस्ट और एक ड्राइवर उनके वाहन को विपरीत दिशा से आ रही एसयूवी से टक्कर लगने के बाद घायल हो गए. उन्होंने कहा कि राजेंद्र अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. किसी को कोई गंभीर चोट नहीं आई है और वे ठीक हो रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद, पंजाब सरकार और जिला प्रशासन, पटियाला खनौरी सीमा पर स्थिति की सक्रिय रूप से निगरानी कर रहा है, क्योंकि डल्लेवाल की भूख हड़ताल 30वें दिन में प्रवेश कर गई है. एनजीओ 5 रिवर्स हार्ट एसोसिएशन के डॉक्टरों की एक टीम ने डल्लेवाल की हालत "गंभीर" बताई है.
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बता दें कि पंजाब सरकार ने डल्लेवाल के स्वास्थ्य की चौबीसों घंटे निगरानी करने और किसी भी मेडिकल इमरजेंसी सिचुएशन के मामले में मदद के लिए खनौरी धरनास्थल के पास एक अस्थायी अस्पताल बनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने का फैसला पंजाब सरकार के अधिकारियों और डॉक्टरों पर छोड़ था.
अब सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 2 जनवरी को होनी है. जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि दल्लेवाल के स्वास्थ्य की देखभाल करना पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है. बेंच ने पंजाब के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य अधिकारियों से दल्लेवाल की चिकित्सा स्थिति पर 2 जनवरी तक रिपोर्ट मांगी और कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो राज्य सरकार अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है.
मालूम हो कि डल्लेवाल केंद्र सरकार पर आंदोलनरत किसानों की मांगों को पूरा करने का दबाव बनाने के लिए पिछले एक महीने से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन कर रहे हैं. किसानों की मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी शामिल है. (पीटीआई)