पिछले 10 महीनों से खनौरी और शंभू बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत कई मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस क्रम में अब किसान संगठनों ने 30 दिसंबर को पंजाब बंद बुलाया है. पंजाब बंद को सफल बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने 26 दिसंबर को खनौरी बॉर्डर पर ट्रांसपोर्टरों, किसानों, व्यापारियों, कर्मचारियों और अन्य लोगों की मीटिंग बुलाई है. बंद के दौरान सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक पंजाब में बसें और अन्य वाहन नहीं चलेंगे और बाजार, व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहेंगे. हालांकि, किसान नेता ने कहा है पंजाब बंद के दौरान आपातकालीन सेवाएं प्रभावित नहीं रहेंगी.
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि 26 दिसंबर को पंजाब के सभी ट्रेड यूनियनों, ट्रांसपोर्ट, बिजली, टीचर्स, मजदूरों से जुड़े यूनियनों को खनौरी बार्डर पर मीटिंग के लिए बुलाया गया है. किसान नेता ने कहा कि इस साल 13 फरवरी से चल रहे किसानों के आंदोलन को 315 दिन हो चुके हैं. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन का 29वां दिन है. आज पंजाब को छोड़कर देशभर में शाम 5 बजे के बाद कैंडल मार्च निकाला जाएगा. इसके अलावा 26 दिसंबर को जिलों और तहसीलों में भूख हड़ताल की जाएगी.
वहीं, इससे पहले सोमवार को पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से अपनी भूख हड़ताल समाप्त करने का आह्वान किया है. जाखड़ ने व्यक्तिगत लाभ के लिए विरोध का उपयोग करने के लिए अलग-अलग किसान नेताओं और राजनेताओं की आलोचना की और चेतावनी दी कि सीमावर्ती राज्य में इस तरह के प्रदर्शनों के "गंभीर परिणाम" हो सकते हैं.
जाखड़ ने पंचकूला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "पिछले 10 दिनों में, कई नेता खनौरी सीमा पर डल्लेवाल से मिलने आए हैं, तस्वीरें खिंचवा रहे हैं, लेकिन उनमें से कोई भी उनसे अपना अनशन समाप्त करने का आग्रह नहीं कर रहा है." "न तो किसान यूनियन के नेता, चाहे वे विरोध का हिस्सा हों या नहीं, उन्हें रोकने के लिए कह रहे हैं. उनका जीवन मायने रखता है. हर जीवन मायने रखता है. उनकी मांगों पर ध्यान आकर्षित करके उनके विरोध ने अपना उद्देश्य पूरा किया है. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके स्वास्थ्य के लिए चिंता व्यक्त करते हुए हस्तक्षेप किया है."
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today