कौन होगा सीएम का चेहरा, उद्धव सेना और शरद पवार की एनसीपी के बीच बढ़ी तकरार

कौन होगा सीएम का चेहरा, उद्धव सेना और शरद पवार की एनसीपी के बीच बढ़ी तकरार

महाराष्‍ट्र में विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में सबकुछ ठीक नहीं होने की खबरें हैं. गठबंधन में इस बात पर मतभेद हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा. शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस से मिलकर बने इस गठबंधन का लक्ष्य इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को सत्ता से हटाना है. 

क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jun 27, 2024,
  • Updated Jun 27, 2024, 8:46 PM IST

महाराष्‍ट्र में विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में सबकुछ ठीक नहीं होने की खबरें हैं. गठबंधन में इस बात पर मतभेद हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा. शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस से मिलकर बने इस गठबंधन का लक्ष्य इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को सत्ता से हटाना है. एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के घटकों को महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा से दूर रहना चाहिए. इसके बजाय राज्य में सत्ता में वापसी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

'एकतरफा घोषणा से बचें'  

 

पाटिल ने कहा कि किसी भी एमवीए सहयोगी को (एकतरफा) यह घोषणा नहीं करनी चाहिए कि वह कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रहा है क्योंकि आने वाले चुनावों में जीतने की क्षमता ही एकमात्र मानदंड होगा. पूर्व राज्य मंत्री के मुताबिक महाविकास अघाड़ी के घटकों को किसी को भी मुख्यमंत्री (उम्मीदवार) के रूप में नामिनेट करने से दूर रहना चाहिए. इसके बजाय, उनकी प्राथमिकता सत्ता में वापसी होनी चाहिए. गठबंधन के सदस्यों के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए ताकि कोई अंतर न हो.  उन्होंने कहा कि पार्टियों की तरफ से चुनाव लड़ने वाली सीटों की संख्या एकतरफा घोषित करने की कोई जरूरत नहीं है. चुनावों में उम्मीदवारों के लिए जीत की संभावना ही मापदंड होगी और हम ऐसे उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे. 

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राउत बोले, उद्धव का करें समर्थन 

इस बीच, शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने पाटिल की राय से अलग राय रखी है. उन्‍होंने कहा है कि एमवीए के लिए मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बिना विधानसभा चुनाव में जाना जोखिम भरा होगा. राउत ने अप्रत्यक्ष तौर पर उद्धव ठाकरे को एमवीए के सीएम चेहरे के रूप में भी समर्थन दिया.  राउत ने कहा, 'सीएम चेहरे के बिना विधानसभा चुनावों का सामना करना जोखिम भरा होगा. महाराष्‍ट्र ने 2019 से 2022 तक के अपने कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे द्वारा किए गए अच्छे कामों को देखा है.' 

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सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के नेता भी इस बहस में कूद पड़े हैं. उनका दावा है कि यह एमवीए के भीतर आंतरिक दरार की शुरुआत मात्र है.  शिंदे सेना के विधायक संजय शिरसाट ने कहा कि यह तो दरार की शुरुआत है. इससे पहले, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने संयुक्त एमवीए रैली के दौरान उद्धव ठाकरे के लिए रखी गई एक अलग कुर्सी पर आपत्ति जताई थी. उद्धव ठाकरे ने हाल के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को मजबूत किया है.  

बीजेपी ने किया कटाक्ष 

बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन ने संजय राउत पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका लक्ष्य उद्धव को भारत का प्रधानमंत्री बनाना है. महाजन ने कहा, 'हालांकि, अब लोकसभा में बेहतर संख्या हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री उम्मीदवार की दौड़ उनका आंतरिक मामला है और हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं.' 

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गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में शरद पवार की पार्टी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़कर आठ सीटें जीती थीं. कांग्रेस, जिसने 2019 के चुनाव में महाराष्ट्र में केवल एक लोकसभा सीट जीती थी, ने प्रभावशाली वापसी की और 17 सीटों पर चुनाव लड़कर 13 सीटें जीतीं.  ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने 41 प्रतिशत का स्ट्राइक रेट दर्ज किया तथा 21 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल नौ सीटें ही जीत सकी.  एमवीए नवंबर 2019 से महाराष्ट्र में सत्ता में थी. लेकिन एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह के बाद शिवसेना के विभाजन के बाद जून 2022 में यह गिर गई. 

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