मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी ने बड़ा उलटफेर कर दिया है. विधानसभा चुनाव में जीते सांसदों से इस्तीफा दिलवा दिया गया है. अब इन्हें अपने-अपने राज्यों की राजनीति करने के लिए भेज दिया गया है. इसी के तहत केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी इस्तीफा दिया है. अब वो मध्य प्रदेश में या तो सीएम बनेंगे या फिर विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाएंगे. इसके साथ ही अब बड़ा सवाल यह है कि नरेंद्र सिंह तोमर के इस्तीफे के बाद केंद्र में नया कृषि मंत्री कौन होगा? इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री प्रह्रलाद पटेल ने भी इस्तीफा दे दिया है. इतने सारे सांसदों के इस्तीफे के बाद अब लोकसभा चुनाव से पहले मंत्रिपरिषद में फेरबदल होने की भी संभावना प्रबल हो गई है.
अब तक यह सवाल पूछा जा रहा था कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सीएम कौन होगा. लेकिन तोमर के इस्तीफे के बाद अब देश के नए कृषि मंत्री पर चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि अब लोकसभा चुनाव में बहुत कम ही वक्त बचा है. लेकिन चूंकि कृषि और किसान बीजेपी के मुख्य एजेंडे में शामिल हैं इसलिए इस विभाग को सरकार किसी कद्दावर नेता के हाथ में ही सौंपेगी. प्रधानमंत्री ने विपक्ष के जातीय जनगणना की काट के तौर पर जो चार जातियां बताई हैं उनमें किसान भी शामिल हैं. फिलहाल, अब नए कृषि मंत्रियों के तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह और शिवराज सिंह चौहान के नाम लिए जा रहे हैं. भूपेंद्र यादव की भी बात हो रही है.
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तोमर के मध्य प्रदेश की राजनीति में जाने की चर्चा काफी वक्त से दिल्ली के सियासी गलियारों में चलती रही है. लेकिन इसकी पुष्टि उस वक्त हुई जब बीजेपी ने उन्हें एमपी में चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया. जब उन्हें मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा से प्रत्याशी बनाया गया तो यह बात और पुख्ता हो गई. तभी से तोमर को उनके समर्थक मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के एक प्रबल दावेदार के तौर पर भी देखने लगे हैं. अब केंद्रीय कृषि मंत्री के पद से इस्तीफे के बाद यह बात और प्रबल हो गई है. हालांकि, सीएम कौन होगा और किसे निराशा हाथ लगेगी यह तो पार्टी नेतृत्व ही तय करेगा.
नरेंद्र सिंह तोमर अपने कॉलेज में छात्र संघ अध्यक्ष रहे हैं. शिक्षा पूरी करने के बाद वे ग्वालियर नगर निगम के पार्षद बने. तोमर पहली बार 1998 में ग्वालियर से विधायक निर्वाचित हुए. इसी क्षेत्र से वर्ष 2003 में दूसरी बार चुनाव जीता. वो उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रह चुके हैं. वो मध्य प्रदेश में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे चुके हैं.
तोमर पहली बार प्रदेश के मुरैना संसदीय क्षेत्र से वर्ष 2009 में लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे. वे इसके पहले प्रदेश से राज्यसभा सदस्य थे. वो केंद्र में ग्रामीण विकास, पंचायती राज, इस्पात और श्रम सहित कई विभागों के कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. लेकिन उनका सबसे यादगार कार्यकाल कृषि मंत्रालय में रहा है. क्योंकि उन्हीं के वक्त तीन कृषि कानून आए थे. जिसके खिलाफ करीब 13 महीने लंबा किसान आंदोलन हुआ, जिससे सरकार बैकफुट पर आ गई और इन कानूनों को वापस लेना पड़ा.
दिल्ली में अक्सर यह चर्चा होती रही है कि शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्रालय में लाया जाएगा और नरेंद्र सिंह तोमर मध्य प्रदेश में जाएंगे. हालांकि, नए कृषि मंत्री बनने की लाइन में कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी एक बड़ा दावेदार माना जाता है. यह भी संभव है कि कृषि मंत्रालय का प्रभार अमित शाह के पास रहे. क्योंकि उनके पास सहकारिता विभाग है. सहकारिता विभाग में बीज, ऑर्गेनिक फार्मिंग और कृषि उपज के आयात-निर्यात सहित कई काम पहले ही जा चुके हैं.
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