खेती की सफलता का सबसे बड़ा आधार है, मिट्टी की उर्वरता. अगर मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर होगी तो फसल की पैदावार भी अच्छी होगी. लेकिन लगातार रासायनिक खादों का बहुत ज्यादा प्रयोग मिट्टी को खराब कर देता है.
एक ही फसल के बार-बार बोने और भूमि प्रबंधन की कमी से मिट्टी की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है. अच्छी बात यह है कि कुछ सरल उपायों से किसान मिट्टी की उर्वरता को फिर से बढ़ा सकते हैं. आइए जानते हैं ऐसे 5 कारगर तरीके.
फसल चक्र: एक ही फसल को लगातार बोने से मिट्टी में वही पोषक तत्व बार-बार खर्च होते हैं और मिट्टी थक जाती है. अगर किसान गेहूं या धान के बाद दालें, तिलहन या सब्जियां बोएं तो मिट्टी को नए पोषक तत्व मिलते हैं और उसकी सेहत बनी रहती है.
हरी खाद का उपयोग: धान या मूंग जैसी हरी फसलों को खेत में जुताई कर मिट्टी में मिलाने से जमीन में जैविक पदार्थ और नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है. यह प्राकृतिक खाद मिट्टी को उपजाऊ बनाने का सस्ता और असरदार तरीका है.
गोबर की खाद और कंपोस्ट: देसी खाद जैसे गोबर और कंपोस्ट से मिट्टी को लंबे समय तक पोषण मिलता है. इससे मिट्टी की नमी बनी रहती है और जमीन की संरचना भी मजबूत होती है.
फसल अवशेष: कटाई के बाद बचे हुए डंठल, पत्तियां और भूसा जलाने की बजाय खेत में ही मिलाना चाहिए. यह ऑर्गेनिक पदार्थ मिट्टी में कार्बन बढ़ाता है और धीरे-धीरे खाद में बदल जाता है.
सॉयल टेस्टिंग: मिट्टी को उर्वरक बनाने का पहला कदम है, उसकी सेहत जानना. हर 2-3 साल में सॉयल टेस्टिंग कराने से किसान को यह पता चलता है कि उनकी जमीन में कौन-कौन से पोषक तत्व कम हैं और उसी हिसाब से खाद का प्रयोग किया जा सकता है.