आलू (Potato) दुनिया भर में शौक से खाई जाने वाली प्रमुख फसल है, लेकिन क्या आप इससे जुड़े वैज्ञानिक और रोचक तथ्य जानते हैं? दरअसल, आलू बीज से नहीं, बल्कि अपने तने के मोडिफाइड हिस्से से उगता है. आलू के जिस हिस्से को हम खाते हैं, उसे ट्यूबर कहा जाता है और यह पौधे का एक विशेष प्रकार का भूमिगत तना (स्टोलॉन-Stolon) होता है, न कि कोई बीज. हालांकि आलू के ‘सच्चे बीज’ यानी ट्रू पोटेटो सीड (TPS) भी होते हैं, लेकिन ज्यादातर देशों में इनसे खेती नहीं की जाती.
वैज्ञानिक शोध Journal of Experimental Botany के मुताबिक, जब आलू का पौधा बढ़ता है तो उसके पत्तों में बनी ऊर्जा और संकेत (signals) जमीन के नीचे मौजूद stolon की ओर जाते हैं. जब वातावरण और पौधे की स्थिति अनुकूल होती है, तब stolon की बढ़ोतरी रुकती है और उसकी कोशिकाओं का डिविजन बदलकर वह एक मोटा, गोल भाग बनाता है, जिसे ट्यूबर कहते हैं. यह प्रक्रिया कंद निर्माण (tuberization) कहलाती है.
आइए इस विज्ञान को आसान भाषा में समझते हैं. स्टोलॉन जैसे जमीन के नीचे की एक छोटी शाखा होता है. जैसे-जैसे पौधा बड़ा होता है, यह शाखा नीचे फैलती है. सही समय पर यह शाखा ठंडी मिट्टी, नियत दिन-रात की अवधि और पौधे के भीतरी हार्मोन संकेतों के प्रभाव में बदलकर आलू जैसा ट्यूबर बनाती है. इस ट्यूबर में स्टार्च और ऊर्जा भरी होती है, जिससे बाद में नया पौधा निकल सकता है.
International Journal of Molecular Sciences में प्रकाशित एक और रिसर्च के अनुसार, आलू के ट्यूबर बनने की शुरुआत तभी होती है जब सुगर्स (शर्करा) और हार्मोनल नेटवर्क stolon से ट्यूबर बनाने की दिशा में काम करते हैं. इस प्रक्रिया में पोटैटो का एक खास प्रोटीन StSP6A भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो stolon को ट्यूबर में बदलने का संकेत भेजता है.
यह वैज्ञानिक बात इसलिए भी दिलचस्प है, क्योंकि आलू की खेती करने वाले किसान आम तौर पर ट्यूबर ही बोते हैं. हर ट्यूबर की छोटी-छोटी ‘आंख’ (eyes) होती हैं, जिन्हें काटकर बोने पर वहां से नया पौधा निकलता है.
यही वजह है कि किसान इसे ‘बीज आलू’ कहकर बोते हैं. असल में यह वेजिटेटिव रिप्रोडक्शन है यानी पौधे का बिना बीज के नया रूप विकसित होना. दरअसल, बीज पौधे का प्राकृतिक प्रजनन साधन होता है, जैसे- गेहूं या मक्का के बीज से फसल उगती है.
लेकिन, आलू में हम ट्यूबर का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि यह उसी पौधे का मोडिफाइड स्टेम है, जिसमें उर्जा स्टोर रहती है और वही से नया पौधा उगता है. आलू का ट्यूबर बीज नहीं, बल्कि मोडिफाइड स्टेम (stolon) है, जो पौधे की ऊर्जा और हार्मोन संकेतों के प्रभाव में भूमिगत विकास के दौरान बनता है और नई पौध उत्पत्ति करता है.