हरियाणा के यमुनानगर जिले के कुछ हिस्सों में मानसून के दौरान खेतों में जलभराव एक सतत और बदतर समस्या बन गई है. यहां कई इलाके पिछले कुछ सालों से इस समस्या से जूझ रहे हैं. खेतों में लंबे समय से जमा पानी के कारण फसलें सड़ रही हैं. कई प्रभावित इलाकों में धान और गन्ने की फसलें पीली पड़ रही हैं, जबकि कुछ खेतों में तो फसलें पूरी तरह सूख रही हैं - जिससे किसान अपनी आजीविका को लेकर चिंतित और परेशान हैं. इतना ही नहीं पशुओं के लिए उगाई जाने वाली सब्जियां और हरा चारा भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के जिला अध्यक्ष संजू गुंडियाना ने अंग्रेजी अखबार 'ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट में बताया कि ये समस्या खास तौर पर 10-12 गांवों में गंभीर बनी हुई है, जिनमें कोटारखाना, लंढोरा, राजपुरा, भंभोली, कन्हेरी, कैल, रुकलखेड़ी, सुधल और सत्संगद शामिल हैं. ये सभी गांव जगाधरी तहसील में स्थित हैं. गुंडियाना ने कहा कि यह समस्या यमुनानगर-पंचकूला राजमार्ग के ठीक से निर्माण न होने के कारण उत्पन्न हुई है. इसके अलावा, कई संपर्क सड़कों की ऊंचाई बिना उचित जल निकासी व्यवस्था के बढ़ा दी गई है, जिससे बारिश के पानी का प्राकृतिक प्रवाह अवरुद्ध हो रहा है. उन्होंने कहा कि राजमार्ग और संपर्क सड़कें किसानों के लिए बुरा सपना बन गई हैं.
संजू गुंडियाना ने कहा कि बीकेयू के बैनर तले किसान समाधान के लिए हर दरवाजा खटखटा रहे हैं. वे स्थानीय राजनीतिक नेताओं, उपायुक्त, राजमार्ग अधिकारियों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों से कई बार मिल चुके हैं, लेकिन समस्या अभी तक हल नहीं हुई है. किसानों का कहना है कि इन निकटवर्ती गांवों की कभी अत्यधिक उपजाऊ जमीन अब जलभराव के कारण अनुपजाऊ हो गई है, जिससे इस मौसम की फसलें नष्ट हो गई हैं और उनकी आय पर गंभीर असर पड़ा है.
लंढोरा के एक किसान, सासौली निवासी तार सिंह बूटर ने कहा कि मेरे 6 एकड़ गन्ने के खेत में पानी जमा है और फसल पीली पड़ने लगी है. उन्होंने बताया कि जब सड़कें नीची होती थीं, तो पानी आसानी से निकल जाता था. लेकिन हाईवे और संपर्क मार्गों के बार-बार ऊंचे होने से बारिश के पानी का प्राकृतिक बहाव बाधित हो गया है.
लंढोरा के एक दूसरे किसान, कश्मीरा सिंह ने बताया कि जलभराव के कारण 8 एकड़ गन्ना और 3 एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई है. उन्होंने सरकार से राजमार्ग के किनारे एक जल निकासी नाला बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि मैंने गन्ने के बीच चिनार के पेड़ भी लगाए थे, और उनमें से भी कई सूख रहे हैं. वहीं कन्हेरी गांव के गुलाब सिंह ने बताया कि उनके परिवार के पास लगभग 35 एकड़ ज़मीन है, जिसमें से लगभग 28 एकड़ ज़मीन जलमग्न है. उन्होंने कहा कि भम्बोली गांव के पास 2 पुलियाएं थीं; हालांकि, राजमार्ग निर्माण के दौरान उन्हें बंद कर दिया गया था. इसके अलावा, भम्बोली-राजपुरा लिंक रोड की ऊंचाई बढ़ने से इस क्षेत्र में जलभराव की स्थिति और भी बदतर हो गई है.
उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने बताया कि किसानों की चिंताओं को देखते हुए, राज्य सरकार ने मानसूनी बारिश और जलभराव से हुई फसलों के नुकसान के पंजीकरण के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल शुरू किया है. यह पोर्टल 10 सितंबर तक खुला रहेगा. हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि राज्य सरकार ने मानसून से संबंधित फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए पहल शुरू की है. उन्होंने कहा कि ई-मुआवजा पोर्टल के माध्यम से मुआवजा वितरित किया जाएगा.
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