बटेर का नाम आपने सुना होगा? यह मुर्गी की प्रजाति की एक पक्षी होती है. जापान और ब्रिटेन में मांस और अंडे के लिए बड़े पैमाने पर इस पक्षी का पालन किया जाता है. बटेर पालन को भारत में किसान तेजी से अपना रहे हैं क्योकि इसका आकार छोटा होता है और कम जगह में भी इसका पालन किया जा सकता है. इतना हीं नहीं, बटेर पालन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह केवल पांच सप्ताह मे ही बेचने के लिए तैयार हो जाती है. इनमें परिपक्वता जल्दी आती है और 6-7 सप्ताह में अंडे देना शुरू कर देती हैं. इनमें अंडे देने की काफी अधिक क्षमता होती है. एक बटेर एक साल में 280 अंडे तक देती है. चिकन की तुलना में इसका मांस अधिक स्वादिष्ट होता है. कम फैट होने के कारण शरीर और दिमाग की वृद्धि में सहायक होता है.
बटेर पालन में इनके चूजों का खास ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि अगर ध्यान नहीं रखा गया को मृत्यु दर अधिक हो सकती है. छोटे बच्चों में अधिक मृत्यु दर का कारण भूख भी माना जाता है. इसलिए इसके चूजों को खाना खिलाने और पानी पिलाने पर विशेष ध्यान देना पड़ता है. जबरदस्ती खिलाने के लिए 15 दिनों तक प्रति एक लीटर पानी पर 100 एमएल की दर से दूध और प्रति 10 बच्चों पर एक उबला हुआ अंडा दिया जाना चाहिए.
यह छोटे बच्चों की प्रोटीन की कमी को पूरा करता है. खाने के बर्तन को धीरे धीरे उंगलियों से थपथपाकर बच्चों को खाने की तरफ आकर्षित किया जा सकता है. इसके अलावा फीडर और पानी पिलाने वाले बर्तन में रंग बिरंगे कंचे या पत्थर रखने से बटेर के बच्चे आकर्षित होते हैं. इन्हें हरा रंग पसंद होता है इसलिए उनके खाने की मात्रा बढ़ाने के लिए कुछ कटे हुए पत्ते मिला देने चाहिए.
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