‘ब्रॉयलर हो या फिर लेअर, पोल्ट्री सेक्टर पूरी तरह से फीड यानि मक्का और सोयाबीन समेत दूसरी चीजों पर टिका हुआ है. लगातार पोल्ट्री फीड के दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन पोल्ट्री प्रोडक्ट में नाम मात्र की ही बढ़ोतरी होती है. अब मक्का से इथेनॉल बनने लगा है तो दाम और भी ज्यादा बढ़ गए हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि हम नहीं चाहते कि किसानों को मक्का का अच्छा दाम मिले, अगर इथेनॉल में किसानों को रेट अच्छे मिल रहे हैं तो हम उसके खिलाफ नहीं हैं. लेकिन पोल्ट्री में भी तो पांच हजार से लेकर 10 हजार मुर्गे-मुर्गियों वाले छोटे किसान जुड़े हुए हैं.
सरकार को चाहिए कि उनकी तरफ भी ध्याल दें. इसीलिए हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि वो जीएम मक्का की खेती करने की अनुमति दे. जब पैदावार ज्यादा होगी तो फूड, फीड और फ्यूल सभी की जरूरत पूरी होगी.’ ये कहना है पोल्ट्री फेडरेशन के अध्यक्ष रनपाल डाहंडा का. पोल्ट्री इंडिया एक्सपो-2023 के दौरान हैदराबाद में किसान तक से बातचीत के दौरान उन्होंने पोल्ट्री फार्मर की पीड़ा और पोल्ट्री सेक्टर की जरूरत को बयां किया.
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फीड के दाम को लेकर पोल्ट्री सेक्टर में हलचल मची हुई है. छोटे पोल्ट्री फार्मर पर संकट खड़ा हो गया है. इसी को देखते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने केन्द्र सरकार से जीएम मक्का आयात करने की अनुमति देने की बात कही है. हाल ही में 30 अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सीआईआई ने सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी उचित कदम उठाने की मांग की है. सीआईआई का कहना है कि पोल्ट्री सेक्टर हर साल सात से आठ फीसद की दर से बढ़ रहा है.
अगर इसे सहयोग मिले तो ये और तेजी से बढ़ सकता है. गौरतलब रहे अभी तक फूड और फीड में शामिल मक्का को अब फ्यूल यानि इथेनॉल में शामिल कर लिया गया है. इसके बाद से मक्का के दाम में बड़ा परिवर्तन देखा जा रहा है. किसानों को मक्का के अच्छे दाम मिलना शुरू हो गए हैं. लेकिन इसके चलते पोल्ट्री सेक्टर को बड़ा झटका लगा है.
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रनपाल डाहंडा ने बताया कि पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया का एक प्रतिनिधि मंडल केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोतम रूपाला से मिला. केन्द्रीय मंत्री के सामने अन्य मुद्दे रखने के साथ ही महंगे होते पोल्ट्री फीड का मुद्दा भी रखा. साथ ही जीएम मक्का और सोयाबीन के आयात की मांग भी रखी. प्रतिनिधि मंडल ने मंत्री को बताया कि अगर जल्द ही पोल्ट्री फीड में शामिल महंगे होते मक्का और सोयाबीन के रेट पर अंकुश नहीं लगाया तो ये पोल्ट्री सेक्टर को बड़ा नुकसान पहुंचाएंगे.