भारत अंडा उत्पादन में दूसरे और चिकन में चौथे नंबर पर है. चीन और अमेरिका जैसे बड़े देशों को पीछे छोड़ते हुए भारत ने ये पोजिशन हासिल की है. पोल्ट्री सेक्टर ही नहीं किसी भी आम भारतीय को खुश होने के लिए ये बड़ी वजह हैं. लेकिन पोल्ट्री सेक्टर में जितनी खुशियां आ रही हैं उतनी ही बड़ी परेशानियां भी दरवाजे पर खड़ी हुई हैं. पशुपालन विभाग से जुड़े रहे एक पूर्व आईएएस तरुण श्रीधर का कहना है कि पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े लोग खामोश हैं. उन्होंने चुप्पी साधी हुई है.
चुप्पी साधने की वजह फिर चाहें जो भी हो. लेकिन अभी नहीं जागे तो फिर कुछ भी हो सकता है. पोल्ट्री से जुड़े मुद्दों पर ये चिंता जाहिर हो रही है हैदराबाद में. 21 नवंबर से पोल्ट्री इंडिया एक्सपो-2023 की शुरुआत हो चुकी है. पहला दिन नॉलेज डे का रहा तो 22 से 24 नवंबर तक पोल्ट्री प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है.
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पोल्ट्री इंडिया एक्सपो-2023 के पहले दिन नॉलेज डे में पोल्ट्री से जुड़ी अफवाहों पर चर्चा हुई है. साउथ एशिया के सबसे बड़े इस एक्सपो में ये दूसरा मौका है जब पोल्ट्री से जुड़ी अफवाहों पर चर्चा हो रही है. पोल्ट्री इंडिया के प्रेसिडेंट उदय सिंह ब्यास ने किसान तक को बताया कि में शामिल हुए ज्यादातर स्पीकर का यही कहना है कि पोल्ट्री से जुड़ी अफवाहें उसके लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं. इसलिए जरूरत है कि उनके खिलाफ कदम उठाया जाए. इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा. केन्द्र सरकार को भी चाहिए की वो पोल्ट्री सेक्टर को मदद करे.
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उदय सिंह ने किसान तक को बताया कि सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई जाती है कि अंडे और चिकन का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए दवाईयों का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि ये एकदम गलत है. इतना ही नहीं अंडे के बारे में एक सबसे बड़ी अफवाह तो ये फैलाई जाती है कि वो नॉनवेज है. जबकि अंडा पूरी तरह से वेज है. इसके लिए पोल्ट्री सेक्टहर किसी भी तरह का साइंटीफिक टेस्ट कराने को तैयार हैं.
और अगर एक आम इंसान भी चाहे तो वो पोल्ट्री फार्म में जाकर देख सकता है कि अंडे देने वाली मुर्गी पोल्ट्री फार्म के जिस केज में रहती हैं वहां कोई मुर्गा नहीं होता है. मुर्गी दिनभर में तीन से चार बार फीड खाने के बाद ही अंडा देती है. साथ ही एक सच्चाई ये भी है कि बाजार में बिकने वाले पोल्ट्री के इस अंडे से चूजा नहीं निकलता है.
उदय सिंह ने बताया कि चिकन के प्रोडक्शन को लेकर भी सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई जाती है. चिकन के बारे में एंटी बॉयोटिक्स दवाई का इस्तेमाल करने की अफवाह उड़ाई जाती है. जबकि एंटी बॉयोटिक्स कोई भी हो वो बहुत महंगी होती है. अगर बिना किसी बीमारी के एंटी बॉयोटिक्स खिलाएंगे तो चिकन की लागत बढ़ जाएगी. बीमारी न होने पर एंटी बॉयोटिक्स का मुर्गे पर बुरा असर भी होगा. जब चिकन का कारोबार मुश्किल से छह-सात रुपये किलो पर होता है तो ऐसे में पोल्ट्री फार्मर क्यों अपने मुर्गों को एंटीबॉयोटिक्स खिलाएगा.
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