मछली पालकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. किसानों की तरह से अब उन्हें भी बीमा का फायदा मिलेगा. इसके लिए केन्द्र सरकार जल्द ही एक पायलट प्रोजेक्ट लांच करने जा रही है. राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) बीमा योजना का पायलट प्रोजेक्ट लांच करने की तैयारी कर रहा है. इसका फायदा खासतौर पर झींगा पालन करने वालों को मिलेगा. मछलियों के इस बीमा में जलवायु के चलते होने वाले नुकसान को कवर किया जाएगा. गौरतलब रहे हरियाणा सरकार पहले से ही अपने यहां झींगा पालन करने वालों को बीमा प्रीमियम में 50 फीसद की सब्सिडी दे रही है.
वहीं ओडिशा सरकार भी झींगा पालन करने वालों को राहत दे रही है. सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिशवाटर एक्वाकल्चर, चैन्नई ने ओरिएंटल इंश्यो्रेंस कंपनी लिमिटेड के साथ मिलकर बीमा की एक योजना जारी की है. जिसका लाभ सभी मछली पालकों को मिलेगा. साथ ही ज्यादातर राज्य प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में एसडीआरएएफ के तहत मत्य्पन बीज वाले छोटे मछली पालकों को 10 हजार रुपये हेक्टेयर के हिसाब से राहत देते हैं.
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झींगा एक्सपर्ट और झींगा हैचरी एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि कुमार येलांकी की मानें तो देश के ज्यादातर हिस्से में झींगा पालन नहर, नदी और समुंद्र के पानी में होता है. कई जगह बारिश का पानी भी इस्तेमाल होता है. सबसे ज्यादा 70 फीसद झींगा पालन आंध्रा प्रदेश में होता है. इसके अलावा ओडिशा में 8 फीसद, पश्चिम बंगाल में 10, गुजरात 6, तमिलनाडू में 4 और महाराष्ट्रा में 2 फीसद झींगा का उत्पादन होता है.
यह वो इलाके हैं जहां पानी के लिए ऊपर बताए गए स्त्रो त का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि इस तरह के पानी में बैक्टीरिया होते हैं. इस बैक्टीरिया के चलते ही झींगा को सबसे बड़ा नुकसान होता है. वहीं उत्तर भारत में पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान में खूब झींगा पालन हो रहा है. लेकिन यहां झींगा पालन में ग्राउंड वाटर का इस्ते माल किया जाता है. और ग्राउंड वाटर में नाम मात्र के लिए भी बैक्टीरिया नहीं होते हैं.
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आंध्रा प्रदेश निवासी रवि कुमार येलांकी ने किसान तक को बताया कि वैसे तो देश ही नहीं विदेशों के बाजार में हर तरह के साइज वाले झींगा की डिमांड है. जैसे चीन और अमेरिका की बात करें तो यहां झींगा की बहुत खपत है. यहां बड़े साइज का झींगा ज्यादा खाया जाता है. अगर छोटे साइज जैसे 14 से 15 ग्राम की बात करें तो इसकी सबसे ज्यादा डिमांड है.
एक किलो वजन में यह 60 से 70 पीस आ जाते हैं. नौ ग्राम का झींगा भी बाजार में मांगा जाता है. लेकिन इसकी डिमांड ज्यादा नहीं है. वैसे तो इसके रेट विदेशी बाजारों के चलते चढ़ते और उतरते रहते हैं. लेकिन अभी 350 से 360 रुपये के आसपास ही चल रहे हैं.
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