अंडा वेज है या नॉनवेज इसे लेकर मुंह जबानी जंग चली आ रही है. एक बार फिर इसी वाद-विवाद के बीच पूरे दो महीने तक लगातार अंडा कम खाया जाएगा. सावन का महीना शुरू हो चुका है. इस बार पूरे दो महीने का सावन है. इस महीने के प्रति लोगों में आस्थाा रहती है. बेशक अंडे की खपत पर असर देश के एक हिस्से में ही पड़ेगा, लेकिन अंडे के दाम पूरे देश में गिरना शुरू हो गए हैं. और इस सब के बीच पिसना पड़ता है छोटे पोल्ट्री फार्मर को. जबकि पोल्ट्री एक्सपर्का दावा है कि अंडा पूरी तरह से वेज है. उनका ये भी कहना है कि अंडा देने वाली मुर्गी जिस केज (दड़बे) में रहती है उसके अंदर मुर्गा नहीं होता है.
यहां तक की तीन से साढ़े तीन साल जब तक मुर्गी अंडा देती है तो वो एक बार भी किसी मुर्गे के संपर्क में नहीं आती है. पोल्ट्री और वेटरनेरी एक्सपर्ट का कहना है कि जिस तरह से एक भैंस भूसा और चारा खाने के बाद दूध देती है, ठीक उसी तरह से मुर्गी फीड खाने के बाद अंडा देती है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट मनीष शर्मा ने किसान तक को बताया कि अंडे को नॉनवेज और वेजिटेरियन बताने वालों की लड़ाई कोई नई नहीं है. वेज-नॉनवेज की इस बहस से अंडा खाने वाले ही नहीं, अंडे का कारोबार करने वाले भी खासे परेशान हैं. नवंबर 2022 में हैदरबाद में हुए पोल्ट्री एक्सपो में खुद पोल्ट्री फार्मर ने यह सवाल उठाया था कि अंडा वेज है या नॉनवेज. हालांकि इसका जवाब दिया गया था. पोल्ट्री एक्सपर्ट इस बहस को बेवजह की बताते हैं.
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उनका कहना है कि जब अंडा देने वाली मुर्गी के दड़बे में मुर्गा ही नहीं है तो फिर अंडा नॉनवेज कैसे हुआ. अंडा देने वाली मुर्गी अगर मुर्गे के संपर्क में आई होती तो उसे हर रोज दाने के साथ कंकड़-पत्थर का पिसा हुआ चूरा मिलाकर खिलाने की जरूरत नहीं पड़ती. यह सुनकर शायद आपको अटपटा लग रहा हो, लेकिन यह हकीकत है. बिना कंकड़-पत्थर के मुर्गियों को दाना भी नहीं खिलाया जाता है. मुर्गी में कैल्शिययम की कमी को दूर करने के लिए ऐसा किया जाता है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट और यूपी पोल्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली का कहना है कि जिस तरह से एक गाय और भैंस भुस की सानी खाकर सुबह-शाम दूध देती है, ठीक उसी तरह से मुर्गियां दिन में तीन से चार बार फीड (दाना) खाकर सुबह के वक्त अंडा देती हैं. बाजार में 6 से 7 रुपये वाले अंडे को देने के लिए मुर्गियों का मुर्गे के संपर्क में आना कतई जरूरी नहीं है. इसके लिए अगर कोई चीज जरूरी है तो वो है उनका फीड. और फीड खाकर भी यह अपनी मर्जी से ही अंडा देती हैं. ये कतई जरूरी नहीं है कि अगर मुर्गी ने फीड खाया है तो वो अंडा देगी ही देगी.
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पोल्ट्री एक्सपर्ट नदीम का कहना है कि जब अंडे का कारोबार शुरू किया जाता है तो शुरुआत के चार से पांच महीने तक अंडा देने वाली मुर्गी को पाला जाता है. मुर्गी पालने के लिए चूजा (चिक्स) बेचने वाली हैचरी से एक दिन का चूजा खरीदा जाता है. इस चूजे की कीमत 40 से 45 रुपये तक होती है. न्यूट्रीशियन एक्सपर्ट के मुताबिक इन्हें शुरू से ही अच्छा फीड दिया जाता है. लेकिन इस दौरान एक बार भी इनका संपर्क मुर्गों से नहीं कराया जाता है.