बाजार में सस्ते चिकन के दिन अब लदने वाले हैं. बीते करीब तीन महीने से बाजार में ब्रायलर चिकन लागत से भी कम रेट पर बिक रहा है. जिसका नतीजा ये हुआ कि चिकन के शौकीनों को 150 रुपये किलो से लेकर 200 रुपये किलो तक फ्रेश चिकन रिटेल बाजार में मिल जा रहा है. अभी भी चिकन के बाजार में नरमी बनी हुई है. पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्य क्ष रिकी थापर का कहना है कि अब आने वाले 10 से 15 दिन में चिकन महंगा हो सकता है. बाजार में चिकन के दाम नहीं बढ़ने के चलते अब पोल्ट्री फार्मर ने अपने फार्म में ब्रायलर चूजों की संख्या कम कर दी है. क्योंकि चिकन सस्ता होने के चलते मुर्गों से लागत भी नहीं निकल रही थी. छोटे-बड़े हर कारोबारी को नुकसान उठाना पड़ रहा था.
बीते करीब तीन महीने से यही चल रहा था कि बाजार में डिमांड के मुकाबले मुर्गे ज्यादा थे. इसी के चलते रेट नहीं बढ़ पा रहे थे. इसी को देखते हुए अब फार्म में चूजों की संख्या कम कर दी गई है. एक अन्य पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो अगस्त-सितम्बर में चिकन के 250 से 300 रुपये किलो के रेट को देखते हुए बहुत सारे पोल्ट्री फार्मर ने अपने फार्म पर चूजों की संख्या बढ़ा दी थी.
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पोल्ट्री एक्सपर्ट अनिल शाक्या का कहना है कि आज के ब्रॉयलर चिकन बाजार में बने हालात के लिए कारोबारी ही जिम्मेदार हैं. सितम्बर-अक्टू्बर में चिकन के होलसेल रेट 120 से 140 रुपये किलो तक पहुंच गए थे. दो महीने के श्राद्ध पक्ष और एक के बाद एक लगातार कई त्यौहारों के चलते बाजार में डिमांड के मुकाबले मुर्गा कम था. इसलिए रेट उम्मीद के मुकाबले काफी ऊपर चले गए थे. इसी को देखते हुए कारोबारियों ने नवंबर-दिसम्बर में मुर्गों का प्रोडक्शन बढ़ा दिया. ज्यादातर कारोबारियों ने ऐसा ही किया.
लेकिन इस दौरान मुर्गे के दाम भी बढ़ गए. पोल्ट्री फीड महंगा होने के चलते लागत भी बढ़ गई. जिस वजह से सर्दी के दौरान भी बाजार में चिकन के दाम नहीं बढ़े. मुर्गा जरूरत से ज्यातदा था तो दाम नहीं बढ़ पाए. वहीं फीड महंगा हो गया तो लागत निकालना भी मुश्किल पड़ गया. अब होलसेल बाजार में मुर्गों के रेट 90 से 95 रुपये किलो तक चल रहे हैं. जबकि 10-12 दिन पहले तक इसी मुर्गे के रेट 80 से 85 रुपये किलो थे.
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गाजीपुर मुर्गा मंडी के होलसेलर हाजी जमील ने किसान तक को बताया कि हर रोज होटल-रेस्टोरेंट से चिकन की बहुत डिमांड आती है. लेकिन जब कड़ाके की सर्दी पड़ने लगती है तो ये डिमांड कम यानि ना के बराबर ही रह जाती है. यही अभी बीते कुछ दिन से हो रहा है. न्यूर ईयर पर भी होटल-रेस्टोरेंट से चिकन की उतनी डिमांड नहीं आई जितनी आनी चाहिए थी. क्योंकि खासतौर पर रात के वक्त कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. ऐसे मौसम में लोग फैमिली के साथ कम ही होटल-रेस्टोरेंट में जाते हैं.