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Poultry: पोल्ट्री में कांट्रेक्ट फार्मिंग कराने वाली कंपनियों को पशुपालन मंत्री की खुली चेतावनी, जानें डिटेल

Poultry: पोल्ट्री में कांट्रेक्ट फार्मिंग कराने वाली कंपनियों को पशुपालन मंत्री की खुली चेतावनी, जानें डिटेल

खेतीबाड़ी की तरह से पोल्ट्री फार्मर को भी उपकरण खरीदने पर सब्सीडी या दूसरी राहत मिलें. इस पर मत्स्य, पशुपालन और डेयरी केन्द्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान ने कहा कि हम कोशिश करेंगे कि जल्द‍ से जल्द छोटे पोल्ट्री  फार्मर को उपकरण खरीदने पर सरकार की ओर से कुछ राहत मिले. 

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देसी मुर्गियों का झुंड. फोटो क्रेडिट-पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया देसी मुर्गियों का झुंड. फोटो क्रेडिट-पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया

कश्मी‍र से लेकर कन्याकुमारी तक पोल्ट्री फार्मर एक ऐसी परेशानी से जूझ रहे हैं. परेशानी भी ऐसी कि काम करे तो नुकसान और ना करे तो परिवार का पेट भरने के लिए खाना कहां से लाए. विरोध में आवाज उठाय तो काम नहीं मिलता. फार्मर को शोषण और नुकसान से बचाने के लिए केन्द्र सरकार की पॉलिसी भी है, लेकिन उसका भी पालन नहीं हो रहा है. कोढ़ में खाज वाली स्थिति ये है कि फार्मर की बात कोई सुनने तक को तैयार नहीं है. लेकिन जब उन्हें मौका मिला तो उन्होंने अपनी पीढ़ा मत्स्य, पशुपालन और डेयरी केन्द्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान के सामने रख दी. 

मौका था गोवा में चल रही पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) की एनुअल जनरल मीटिंग (एजीएम) का. मंत्री संजीव बालियान ने भी उनकी पीढ़ा को समझते हुए मंच से ही कांट्रेक्ट फार्मिंग कराने वाली कंपनियों को खुली चेतावनी दे दी. साथ ही कहा कि वैसे तो इस पॉलिसी का पालन राज्य सरकारों को कराना है, लेकिन पोल्ट्री फार्मर के हित बनाए रखने को हम कानूनी दायरे में हर कदम उठाएंगे. साथ ही कहा कि कंपनियां खुद से नियमों का पालन कर लें, वर्ना हर हालात से हमे निपटना आता है. कैसे पेच कसे जाते हैं ये भी हम अच्छी  तरह से जानते हैं. बेहतर होगा हमे ऐसा करने का मौका न दें. 

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पोल्ट्री के फीड पर पड़ेगा इथेनॉल का असर 

पोल्ट्री फार्मर ने अपनी एक और समस्या मंत्री बालियान के सामने रखते हुए बताया कि पोल्ट्री का फीड दिन-बा-दिन महंगा होता जा रहा है. कई बार तो फीड में मुख्य रूप से शामिल होने वाली मक्का की कमी होने लगती है. मक्का इम्पोर्ट तक करनी पड़ती है. इस पर मंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों में सभी का ख्याल रखा जाता है. पहले किसान को मक्का की एमएसपी तक नहीं मिल पाती थी. लेकिन जैसे ही इथेनॉल बनाने की बात हुई तो मक्का के रेट बढ़ गए. किसान भी खुश हो गया. लेकिन हमे पोल्ट्री फार्मर को भी देखना होगा.

इस बारे में हमारी पीएफआई के अध्यक्ष रनपाल डहंडा जी से भी बात हुई है. जल्द ही मंत्रालय में इसे लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी. कमेटी में साइंटिस्ट, प्राइवेट सेक्टर के लोग और अधिकारी होंगे. आपस की बातचीत से रास्ता निकालेंगे. पीएफआई को भी किसानों से सीधे जुड़ना होगा. सीधे किसानों से खरीद करेंगे तो कोई न कोई रास्ता जरूर निकलेगा.

अंडे-चिकन की खपत बढ़ाने पर ये बोले मंत्री बालियान

हर साल अंडा और चिकन का प्रोडक्शन करीब आठ फीसद के रेट से बढ़ रहा है. जरूरत पड़े तो कभी भी ये रेट और बढ़ाया जा सकता है. लेकिन प्रोडक्शन के साथ बाजार में डिमांड नहीं बढ़ रही है. अपनी इस मांग को भी पोल्ट्री  फार्मर ने मंत्री बालियान के सामने रखा. जिस पर मंत्री का कहना था कि आज पोल्ट्री सेक्टर को घरेलू बाजार से ज्यादा एक्सपोर्ट पर ध्यान देना चाहिए. अंडे का श्रीलंका में एक्सपोर्ट बढ़ा तो यहां रेट भी अच्छे मिलने लगे. एक्सपोर्ट में बहुत संभावनाएं हैं. सरकार का ध्यान भी इसी ओर है.

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पोल्ट्री को स्किल्ड लेबर देगी केन्द्र सरकार 

कोरोना के बाद और एक्स‍पोर्ट के मानकों को देखते हुए जरूरी है कि अंडे और चिकन में क्वालिटी आए. पोल्ट्री फार्म पर साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाए. इसके लिए जरूरी है कि फार्म की लेबर को इसका महत्व बता हो. और ये तभी संभव है जब लेबर स्किल्ड यानि दक्ष होगी. इस पर मंत्री बालियान का कहना है कि केन्द्र सरकार के पास संसाधन की कमी नहीं है. बहुत सारे इंस्टीट्यूट में हमारे पास जमीन मौजूद है. हम पीपीपी मॉडल पर काम करके पोल्ट्री सेक्टर को स्किल्ड लेबर दे सकते हैं. साथ ही इस बारे में राज्य सरकारों के साथ मिलकर भी काम किया जा सकता है.