उत्तरकाशी में बादल फटने से हुई भारी तबाही का यह वीडियो तो आपने देखा ही होगा. कई लोगों की जान चली गई, कई घर और सैकड़ों गाड़ियाँ देखते ही देखते मलबे में दब गईं. कुदरत का कहर ऐसा था कि लोगों को संभलने का मौका भी नहीं मिला. ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि बादल फटना क्या होता है? अगर बादल फटता है, तो क्यों होता है और क्या बादल फटना सिर्फ़ पहाड़ी इलाकों में ही हो सकता है या दिल्ली और यूपी में भी. आइए आपको विस्तार से बताते हैं.
बादल फटना यानी क्लाउडबर्स्ट एक ऐसी स्थिति है जब बहुत कम समय में, बहुत सीमित क्षेत्र में भारी वर्षा होती है. यानी अगर एक घंटे में 100 मिमी से ज़्यादा बारिश हो और वह भी सिर्फ़ 1-2 किलोमीटर के दायरे में, तो इसे बादल फटना कहते हैं. आसान भाषा में समझें तो मान लीजिए आपके सिर पर धीरे-धीरे एक बाल्टी पानी डाला जाए, तो शायद आप उसे संभाल लें, लेकिन अगर वही पानी पल भर में गिरे तो क्या होगा? बादल फटने पर यही होता है.
बादल फटने की सबसे बड़ी वजह होती है, नमी से भरे हुए भारी बादल. जब ये बादल किसी पहाड़ी या ठंडी हवा वाले इलाके से टकराते हैं, तो उनमें मौजूद नमी बहुत तेजी से कंडेंस होती है यानी पानी की बूंदों में बदलती है. और फिर होती है मूसलाधार बारिश. खासकर ये घटनाएं पहाड़ी इलाकों में ज़्यादा होती हैं, जैसे उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख, आदि. ये घटनाएं मॉनसून के मौसम जैसे कि जून से सितंबर में ज़्यादा देखने को मिलती हैं. जैसे अभी अगस्त का महीना है और उत्तराकशी में ये घटना हुई है.
बादल फटने की सबसे खतरनाक बात यह है कि यह बिना किसी चेतावनी के होता है और इसका परिणाम बेहद भयावह होता है. जैसे अचानक बाढ़, भूस्खलन, गाँव-शहर तबाह हो जाते हैं. सड़कें, पुल आदि टूट जाते हैं और जान-माल का भारी नुकसान होता है. बादल फटने का सबसे बड़ा उदाहरण 2013 की केदारनाथ त्रासदी है. जिसमें 6000 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई थी जबकि हज़ारों लोग लापता हो गए थे. कई लोगों के शव तो मिले ही नहीं. हाल ही में अमरनाथ यात्रा के दौरान भी बादल फटने से कई श्रद्धालु प्रभावित हुए थे और अब उत्तरकाशी का मामला सामने आया है.
आज के समय में मौसम विभाग की तकनीक में सुधार तो काफी हुआ है लेकिन बादल फटने की घटनाएं बहुत छोटे एरिया में होती है और रडार एक बड़े एरिया के लिए बहुत भारी बारिश का पूर्वानुमान लगा सकता है. इसलिए बादल किस इलाके में फटेंगे, ये पहले से बताना मुश्किल होता है. ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की ज़रूरत होती है.
अगर आप किसी पहाड़ी इलाके में हैं और मौसम खराब हो रहा है, तो नदी-नालों से दूर रहें, ऊंची जगहों पर चले जाएं मौसम विभाग के अलर्ट को गंभीरता से लें, और अफवाहों पर भरोसा न करें. (केतन कुंदन की रिपोर्ट)