International Horse Games हमारे घोड़े अब इंटरनेशनल खेलों में हिस्सा लेंगे. खेलों में हिस्सा लेकर देश के लिए मैडल भी लाएंगे. अब घोड़े एक लंबा वक्त क्वारंटाइन में बिताने की जगह सीधे खेलों में हिस्सा ले सकेंगे. हाल ही में एक लंबी कोशिश के बाद भारत को ये कामयाबी मिली है. इस कामयाबी के साथ ही भारत वर्ल्ड लेवल पर बायो सिक्योरिटी का पालन करने वाले देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा. ये कहना है केन्द्रीय राज्यमंत्री मत्स्य, पशुपालन और डेयरी प्रो. एसपी सिंह बघेल का. 12 अगस्त को एक सवाल के जवाब में संसद में उन्होंने ये जानकारी दी है.
क्या है घोड़ों के मामले में भारत को मिली कामयाबी?
- विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) ने इसकी अनुमति दे दी है.
- घोड़ों के संबंध में होने वाले एक्सपोर्ट मार्केट के रास्ते भी खुल जाएंगे.
- रिमाउंट पशु चिकित्सा कोर (RVC) केंद्र और कॉलेज, को ये कामबायी मिली है.
- रिमाउंट पशु चिकित्सा कोर मेरठ छावनी यूपी में है.
- आरवीसी को घोड़ों की बीमारी के संबंध में मान्यता दी है.
- इस सेंटर को घोड़ों की बीमारियों के संबंध में डीजीज फ्री घोषित किया गया है.
- यानि की आरवीसी के घोड़ों में ऐसी कोई बीमारी नहीं है जो सभी घोड़ों को होती हैं.
- यहां के घोड़े ग्लैंडर्स, सुर्रा और इक्विन इन्फ्लूएंजा समेत आधा दर्जन बड़ी बीमारियों से फ्री हैं.
- घोड़ों में ग्लैंडर्स, सुर्रा और इक्विन इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियां खतरनाक मानी जाती हैं.
- ये बीमारियां न सिर्फ घोड़ों बल्कि इंसानों के लिए भी खतरनाक होती हैं.
ऐसे बनता है डिजीज फ्री जोन?
- एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर डॉ. अभिजीत मित्रा डिजीज फ्री जोन के बारे में बताया है.
- इसे अश्व रोग मुक्त कम्पार्टमेंट (EDFC) कहा जाता है.
- जोन में आने वाले घोड़ों को बीमारी मुक्त रखने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं.
- बायो सिक्योरिटी का पालन किया जाता है.
- समय-समय पर जरूरत के मुताबिक वैक्सीनेशन किया जाता है.
- WOAH की गाइड लाइन के मुताबिक कई नियमों का पालन किया जाता है.
- महीनों तक इसी प्रक्रिनया को अपनाया जाता है.
- समय-समय पर अलग-अलग टीम निरीक्षण भी करती हैं.
- प्रक्रिया के बाद एक वक्त ऐसा आता है जब घोड़ों में कोई बीमारी नहीं पाई जाती है.
- घोड़ों पर बीमारियों का किसी भी तरह का अटैक सामने नहीं आता है.
- उसके बाद जोन डीजीज फ्री होने की फाइल WOAH को भेजी जाती है.
- तब कहीं जाकर जोन को डीजीज फ्री घोषित किया जाता है.
निष्कर्ष-
इस जोन के बन जाने से अब घोड़ों से जुड़े कई क्षेत्रों में इसका फायदा मिलेगा. जैसे खेलों में खरीद-फरोख्त में, प्रजनन (ब्रीडिंग) में और बायो सिक्योरिटी के साथ-साथ डीजीज फ्री कम्पार्टमेंट को मजबूत करने में इसका बड़ा फायदा मिलेगा. हालांकि अफ्रीकी हॉर्स सिकनेस के मामले में भारत साल 2014 में भी बड़ी कामयाबी हासिल कर चुका है.
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