
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे सतीश पूनियां चुनाव हार गए हैं. आम तौर पर संगठन में चुपचाप काम करने वाले पूनिया ने 2018 में चुनाव जीता था, लेकिन तब पार्टी हार गई. अब राजस्थान में जब बीजेपी जीती है तो पूनियां चुनाव हार गए हैं. उन्हें कांग्रेस के प्रशांत शर्मा ने 9092 वोटों से हराया है.
आमतौर पर बेहद शांत और सरल से अंदाज से लोगों को आकर्षित करने वाले सतीश पूनिया इस बार भी आमेर विधानसभा से उम्मीदवार हैं. भाजपा के टिकट पर वे 2013 में मात्र 329 वोटों से हार गए थे. लेकिन 2018 में करीब 13 हजार वोटों से जीत दर्ज की. अपने क्षेत्र में पूनिया की काफी मजबूत पकड़ है. किसान तक ने अपनी इलेक्शन यात्रा में इनकी सीट का जायजा भी लिया था. जनता में उनकी मौजूदगी और कभी भी उपलब्ध होने का बात लगभग हर किसी ने कही. सत्ता में खुद की पार्टी ना होने के बाद भी उन्होंने विकास कार्यों में कमी नहीं रखी, ऐसा आमेर की जनता का कहना है. कांग्रेस ने इस सीट से प्रशांत शर्मा को टिकट दिया है. पिछली बार भी शर्मा को ही कांग्रेस का टिकट मिला था.
पूनिया का राजनीतिक सफर स्टूडेंट विंग एबीवीपी से शुरू हुआ है. 1982 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए. साल 1982 से लेकर 1992 तक वे महाराजा कॉलेज, जयपुर में यूनिट प्रेसिडेंट बने. बाद में उन्होंने जयपुर में महानगर सहमंत्री, प्रदेश सहमंत्री, महानगर मंत्री और प्रदेश मंत्री के पद पर काम किया. 1989 में राजस्थान यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट यूनियन के जनरल सेक्रेटरी बने.
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पूनियां 1998 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए. पूनिया की इस दौरान निकाली गई पदयात्रा काफी चर्चित रही. उन्होंने 14 मार्च से 7 अप्रैल तक युवा जागरण पद यात्रा निकाली थी. इस 550 किलोमीटर की यात्रा में हजारों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. अपने करियर में उन्होंने ज्यादातर संगठन का काम किया है. 1998 से लेकर 2003 भारतीय जनता युवा मोर्चा की केंद्रीय कार्यकारिणी में थे और पंजाब प्रभारी के रूप में भी काम किया.
बाद में सतीश पूनियां ने भारतीय जनता पार्टी में काम करना शुरू कर दिया. बीजेपी राजस्थान में साल 2004 से 2006 तक प्रदेश महामंत्री और 2006 से 2007 तक प्रदेश मोर्चा प्रभारी के रूप में काम किया. पूनियां 2004 से 2014 तक चार बार भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश महामंत्री रहे हैं. इसके बाद साल 2011 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की जन चेतना यात्रा के संयोजक भी पूनियां रहे. साल 2010 और 2015 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी अहम भूमिका निभाई. साल 2013 में आमेर विधानसभा क्षेत्र से खड़े हुए. उनके सामने नेशनल पीपल्स पार्टी से नवीन पिलानिया थे.
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उन्होंने सतीश पूनियां को 329 वोट से हरा दिया. इस चुनाव में पिलानिया को 51103, सतीश पूनिया को 50774 वोट और गंगा सहाय शर्मा को 40651 वोट मिले थे. 2018 में पूनिया आमेर से जीत गए, लेकिन राज्य में बीजेपी की वापसी नहीं हो पाई. इसके एक साल बाद ही पूनिया को दिसंबर 2019 में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. यह बड़ी जिम्मेदारी थी. फिलहाल पूनिया राजस्थान बीजेपी का एक बड़ा और स्थापित चेहरा हैं.