Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot. (Source: India Today)राजस्थान विधानसभा चुनाव की तस्वीर अब पूरी तरीके से साफ हो चुकी है. पिछले 25 सालों से चल रहा रिवाज बदलने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नाकाम साबित हुए हैं. कांग्रेस ने चुनाव में कई लोकलुभावन वादे किए, लोगों को लुभाने के लिए कई गारंटियां दीं. यहां तक कि राहुल गांधी भी जनसभाओं में गारंटियों का ऐलान कर गए. लेकिन परिणाम से साफ है कि कांग्रेस की इन गारंटियों का असर नहीं पड़ा और जनता ने भारतीय जनता पार्टी को खुल कर वोट दिया.
पिछले 5 सालों में अशोक गहलोत और सचिन पायलट को लेकर चल रही गुटबाजी कांग्रेस की हार की बड़ी वजह बताई जा रही है तो वही महिलाओं के खिलाफ अपराध का मुद्दा और पेपर लीक मामला कांग्रेस की हार में बड़ी भूमिका निभाई है. वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में सामूहिक नेतृत्व और हिदुत्व कार्ड का लाभ भी बीजेपी को मिला है. बीजेपी की जीत से यह भी साबित हो गया है कि राजस्थान में गहलोत की गारंटी पर पीएम मोदी की गारंटी भारी पड़ गई .
राजस्थान में कांग्रेस की हार के पीछे बड़ी वजह पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी है. पिछले 5 सालों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान का असर पार्टी कार्यकर्ताओं पर भी पड़ा है. दोनों नेताओं के बीच चल रहे मनमुटाव को दूर करने के लिए पार्टी ने सुलह भी कराई थी लेकिन इसके बावजूद भी आनंदरूनी रूप से गुटबाजी कभी खत्म नहीं हुई. कांग्रेस की युवा कार्यकर्ता सचिन पायलट के समर्थक रहे. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की गुटबाजी की वजह से ही पार्टी को नुकसान पहुंचा है.
चुनाव के आखिरी समय तक अशोक गहलोत खुद को अघोषित मुख्यमंत्री का चेहरा साबित करते नजर आये जिसके चलते सचिन पायलट के समर्थक उनसे दूरी बनाने लगे. पार्टी के बागी भी कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बन गए. इससे भाजपा को फायदा पहुंचा. अशोक गहलोत के अति आत्मविश्वास ने भी उनकी हार के लिए बड़ी वजह बताई जा रही है.
राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम समय में ताबड़तोड़ रैलियां करके पूरा माहौल बदल दिया. मारवाड़ इलाके में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कन्हैया लाल हत्याकांड को एक बार फिर जोर-जोर से उठाया जिसका फायदा भी बीजेपी को मिला है. ऐसा माना जाता है की राजस्थान में जिसने मारवाड़ जीत लिया उसने राजस्थान जीत लिया. भाजपा ने इसी नीति पर काम किया और सफलता मिली है. वहीं कांग्रेस के जाति जनगणना वाले दावा को भी पीएम मोदी ने बौना साबित कर दिया. राजस्थान में एक तरफ कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा अशोक गहलोत मेहनत करते दिखाई दिए. चुनाव प्रचार में राहुल गांधी मैदान में उतरे लेकिन पूरे मन से नहीं. वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के हर संभाग में ताबड़तोड़ रैलियां की और कांग्रेस की कमजोरी का भरपूर फायदा उठाया. अशोक गहलोत की सात गारंटी पर भी पीएम मोदी की गारंटी भारी पड़ गई.
ये भी पढ़ें :खेती-किसानी को आगे बढ़ाएगा सहकारिता आंदोलन, उपभोक्ताओं को भी मिलेगा फायदा
राजस्थान में कानून व्यवस्था के मुद्दे ने कांग्रेस की हार में प्रमुख भूमिका निभाई है. उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड हो या पेपर लीक का मामला इन मुद्दों पर अशोक गहलोत की सरकार को भाजपा ने रणनीति के तहत खूब घेरा. राजस्थान में महिला अपराध के मुद्दे पर महिलाओं ने खुलकर भाजपा का साथ दिया. राज्य में बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं की वजह से अशोक गहलोत के अच्छे कार्य भी पीछे रह गए. 20 लाख युवा वोटरों ने इस विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान किया. वहीं पेपर लीक और रोजगार के मुद्दे पर युवाओं ने बीजेपी को खुलकर वोट किया. चुनाव परिणाम में इसका साफ असर भी देखा जा रहा है.
राजस्थान में कांग्रेस की हार के पीछे पार्टी के बागी नेता माने जा रहे हैं. राज्य के चुनाव में कांग्रेस के 22 बागी नेता मैदान में थे जिनके चलते पार्टी को भारी नुकसान पहुंचा है. कांग्रेस के बागी नेता जहां-जहां चुनाव लड़े उन सीटों पर बीजेपी को फायदा पहुंचा है और कांग्रेस को नुकसान हुआ है.
भाजपा का राजस्थान में हिंदुत्व पर फोकस होना चुनाव में फायदेमंद साबित हुआ है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए कन्हैया लाल टेलर हत्याकांड उदयपुर और जोधपुर में सांप्रदायिक हिंसा. वहीं दूसरी तरफ अशोक गहलोत की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के चलते भी राज्य में हिंदू मतदाताओं ने भाजपा को लाभ पहुंचाया है. राजस्थान के चुनाव परिणाम में साफ असर देखा जा रहा है. यहां तक की अयोध्या में बना रहे राम मंदिर के मुद्दे से भाजपा को फायदा हुआ है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी राजस्थान में कानून व्यवस्था के साथ-साथ राम मंदिर और हिंदू कार्ड पर खुलकर जनसभाएं की जिसका फायदा भी बीजेपी को हुआ है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today