मसालों में लाल मिर्च का खास महत्व है. लोग खाने को तीखा और स्वादिष्ट बनाने के लिए लाल मिर्च का इस्तेमाल करते हैं. इसमें अच्छी खबर है कि सूखी लाल मिर्च की कीमतों में इस साल लगभग एक तिहाई की गिरावट आई है. इस गिवारट की वजह है आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्यों में नई फसल बाजारों में आ गई है. वहीं, व्यापारियों के अनुसार, अधिक स्टॉक और कम मांग के बीच रकबे में गिरावट के बावजूद उम्मीद से अच्छी फसल ने सूखी लाल मिर्च की कीमतों को प्रभावित किया है.
गुंटूर में अखिल भारतीय मिर्च निर्यातक संघ के अध्यक्ष संबाशिव राव वेलागापुडी ने कहा कि आंध्र प्रदेश के रकबे में 25-30 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद फसल बहुत अच्छी हुई है. अच्छी फसल और पिछले साल के अधिक स्टॉक ने लाल मिर्च की कीमतों को काफी प्रभावित किया है जिससे दाम में भारी गिरावट आई है. इसके साथ ही मिर्च की आवाजाही भी बहुत धीमी हुई है.
गुंटूर, वारंगल, खम्मम और ब्यादगी जैसे प्रमुख बाजारों में नई फसल की आवक शुरू हो गई है, जबकि कीमतें पिछले साल की तुलना में कम चल रही हैं. गुंटूर में लाल मिर्च की लोकप्रिय तेजा किस्म की कीमतें 13,000-15,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रही हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह कीमत 18,000-21,000 रुपये प्रति क्विंटल थी. इसी तरह, 341 जैसी अन्य किस्में 12,000-15,000 रुपये चल रही हैं, जो पिछले साल इसी अवधि में 15,000-18,000 रुपये पर चल रही थी, जबकि डीडी जैसी अन्य किस्में 12,000-14,000 रुपये के आसपास हैं, जबकि एस 10-334, और एस4 सन्नम किस्में 11,000-14,000 रुपये के आसपास चल रही हैं.
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आंध्र प्रदेश में, कोल्ड स्टोरेज में स्टॉक 40 किलो के लगभग 35-38 लाख बैग होने का अनुमान है. अध्यक्ष वेलागापुडी ने कहा कि अकेले गुंटूर में स्टॉक 31 लाख बैग होने का अनुमान है. इसी तरह, तेलंगाना में स्टॉक करीब 35 लाख बैग है. वहीं, हुबली में हम्पाली ट्रेडर्स के बसवराज हम्पाली ने कहा कि कर्नाटक में, जहां ब्यादगी मिर्च जैसी गैर-तीखी किस्मों की व्यापक रूप से खेती की जाती है. वहां पिछले साल का स्टॉक रिकॉर्ड 40 लाख बैग है.
हम्पाली ने कहा कि आवक अच्छी रही है, लेकिन मांग धीमी है और बाजार शांत है. इस साल यह खरीदारों का बाजार है. हम्पाली ने कहा कि ब्यादगी केडीएल मिर्च किस्म, जो पिछले साल जनवरी में लगभग 50,000-55,000 रुपये प्रति क्विंटल थी, अब 32,000 के स्तर पर चल रही है. यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 41 प्रतिशत कम है. उन्होंने कहा कि आगे चलकर कीमतें, मांग और आपूर्ति की स्थिति पर निर्भर करेंगी.
वेलागापुडी ने कहा कि भारतीय लाल मिर्च के सबसे बड़े बाजार चीन को निर्यात जारी है, लेकिन कीमत कम है. उन्होंने कहा कि चीन में नए HMVP वायरस के प्रकोप का मसाले के निर्यात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में मौजूद समस्याओं के कारण वहां शिपमेंट में कुछ दिक्कतें हैं.