महाराष्ट्र के प्याज किसानों ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्याज की सरकारी खरीदी किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के बजाय सीधे कृषि उपज मंडी समितियों (APMCs) से की जाए. किसानों का आरोप है कि मौजूदा एफपीओ-आधारित व्यवस्था में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों ने केंद्र सरकार से भी अपील की है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप कर ऐसी गड़बड़ियों को रोके और प्याज खरीदी की नीति में संशोधन कर APMC के माध्यम से खरीदी को प्राथमिकता दे.
वर्तमान में केंद्र की एजेंसियां जैसे- नेफेड (NAFED) और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF) एफपीओ के माध्यम से प्याज की खरीद करती हैं. किसान संगठनों का कहना है कि इस तंत्र में बिचौलियों को फायदा होता है और असली किसानों को उनकी उपज की सही कीमत नहीं मिल पाती.
पीटीआई के मुताबिक, किसानों ने महाराष्ट्र सरकार को इसके लिए ज्ञापन सौंपा है. अपने ज्ञापन में किसानों ने कहा, "एफपीओ के माध्यम से प्याज खरीदी से स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. कई असली किसान उचित दाम से वंचित रह गए. यह प्रणाली किसानों की बजाय बिचौलियों को लाभ पहुंचा रही है."
इन संगठनों का कहना है कि एफपीओ आधारित मॉडल किसानों को लाभ देने में असफल रहा है और इसकी जगह APMC के माध्यम से खरीदी होने से पारदर्शिता बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा आएगी और किसानों को बेहतर दाम मिलेगा. सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने भी केंद्र से औपचारिक रूप से अनुरोध किया है कि प्याज की खरीदी APMC के जरिये सीधे की जाए, न कि एफपीओ के माध्यम से.
गौरतलब है कि किसान उत्पादक संगठन (FPO) किसानों का एक समूह होता है जो मिलकर कंपनी या सहकारी संस्था के रूप में पंजीकृत होते हैं ताकि वे सामूहिक रूप से खेती से जुड़ी जरूरतों को पूरा कर सकें. हालांकि, किसानों का कहना है कि यह मॉडल जमीनी स्तर पर असफल साबित हो रहा है.
पिछले साल रबी सीजन में किसानों ने बड़ी मात्रा में प्याज की बुवाई की थी, जिससे बंपर उत्पादन हुआ. लेकिन इसकी वजह से मंडियाें में प्याज की आवक बढ़ गई और दाम कम हो गए. वहीं, काफी हद तक पहले सरकार की ओर से निर्यात पर रोक और फिर निर्यात शुल्क ने कीमतों पर असर डाला. इसकी वजह से विदेशी खरीदार छिटक रहे हैं और भारत में पुराने प्रतिस्पर्धी पाकिस्तान से प्याज खरीद रहे हैं. वहीं चीन भी भारत का विदेशी बाजार कब्जा रहा है. इस बीच, मई महीने में रही-सही कसर बेमौसम बारिश ने पूरी कर दी, जिससे महाराष्ट्र के कई इलाकों में प्याज किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ा.