Onion Procurement: 'APMC से हो प्‍याज की खरीद', किसानों ने FPO पर लगाए भ्रष्‍टाचार के आरोप

Onion Procurement: 'APMC से हो प्‍याज की खरीद', किसानों ने FPO पर लगाए भ्रष्‍टाचार के आरोप

महाराष्ट्र के प्याज किसानों ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्याज की खरीद किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के बजाय एपीएमसी के माध्यम से की जाए. किसानों का आरोप है कि FPO मॉडल में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है, जिससे असली किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहे.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 05, 2025,
  • Updated Jul 05, 2025, 6:51 PM IST

महाराष्ट्र के प्याज किसानों ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्याज की सरकारी खरीदी किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के बजाय सीधे कृषि उपज मंडी समितियों (APMCs) से की जाए. किसानों का आरोप है कि मौजूदा एफपीओ-आधारित व्यवस्था में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों ने केंद्र सरकार से भी अपील की है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप कर ऐसी गड़बड़ियों को रोके और प्याज खरीदी की नीति में संशोधन कर APMC के माध्यम से खरीदी को प्राथमिकता दे.

'किसानों को नहीं मिल रही सही कीमत'

वर्तमान में केंद्र की एजेंसियां जैसे- नेफेड (NAFED) और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF) एफपीओ के माध्यम से प्याज की खरीद करती हैं. किसान संगठनों का कहना है कि इस तंत्र में बिचौलियों को फायदा होता है और असली किसानों को उनकी उपज की सही कीमत नहीं मिल पाती.

महाराष्‍ट्र सरकार को सौंपा ज्ञापन

पीटीआई के मुताबिक, किसानों ने महाराष्ट्र सरकार को इसके लिए ज्ञापन सौंपा है. अपने ज्ञापन में किसानों ने कहा, "एफपीओ के माध्यम से प्याज खरीदी से स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. कई असली किसान उचित दाम से वंचित रह गए. यह प्रणाली किसानों की बजाय बिचौलियों को लाभ पहुंचा रही है."

महाराष्‍ट्र सरकार ने भी केंद्र से किया अनुरोध

इन संगठनों का कहना है कि एफपीओ आधारित मॉडल किसानों को लाभ देने में असफल रहा है और इसकी जगह APMC के माध्यम से खरीदी होने से पारदर्शिता बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा आएगी और किसानों को बेहतर दाम मिलेगा. सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने भी केंद्र से औपचारिक रूप से अनुरोध किया है कि प्याज की खरीदी APMC के जरिये सीधे की जाए, न कि एफपीओ के माध्यम से.

जानिए क्‍या होते हैं किसान उत्‍पादक संगठन

गौरतलब है कि किसान उत्पादक संगठन (FPO) किसानों का एक समूह होता है जो मिलकर कंपनी या सहकारी संस्था के रूप में पंजीकृत होते हैं ताकि वे सामूहिक रूप से खेती से जुड़ी जरूरतों को पूरा कर सकें. हालांकि, किसानों का कहना है कि यह मॉडल जमीनी स्तर पर असफल साबित हो रहा है.

क्‍यों गिरे प्‍याज के दाम?

पिछले साल रबी सीजन में किसानों ने बड़ी मात्रा में प्‍याज की बुवाई की थी, जिससे बंपर उत्‍पादन हुआ. लेकिन इसकी वजह से मंडियाें में प्‍याज की आवक बढ़ गई और दाम कम हो गए. वहीं, काफी हद तक पहले सरकार की ओर से निर्यात पर रोक और फिर निर्यात शुल्‍क ने कीमतों पर असर डाला. इसकी वजह से विदेशी खरीदार छिटक रहे हैं और भारत में पुराने प्रतिस्‍पर्धी पाकिस्‍तान से प्‍याज खरीद रहे हैं. वहीं चीन भी भारत का विदेशी बाजार कब्‍जा रहा है. इस बीच, मई महीने में रही-सही कसर बेमौसम बारिश ने पूरी कर दी, जिससे महाराष्‍ट्र के कई इलाकों में प्‍याज क‍िसानों को नुकसान का सामना करना पड़ा.

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