US-India Deal: किसानों के हित में फैसले ले सरकार, अमेरिका के साथ ट्रेड डील से पहले BKS ने की अपील

US-India Deal: किसानों के हित में फैसले ले सरकार, अमेरिका के साथ ट्रेड डील से पहले BKS ने की अपील

भारतीय कृषक समाज यानी बीकेएस के नेताओं ने सरकार से अपील की है कि अमेरिका के साथ किसी भी व्यापार समझौते से पहले देश के किसानों के बारे में सोचा जाना चाहिए क्योंकि अमेरिका में 2 फीसद किसान हैं जबकि भारत में 65 परसेंट लोगों की रोजी-रोटी का सवाल है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jul 07, 2025,
  • Updated Jul 07, 2025, 11:45 PM IST

भारतीय कृषक समाज (बीकेएस) के बैनर तले रविवार को राजधानी में आयोजित एक सम्मेलन में विभिन्न प्रांतों से जुटे किसान नेताओं ने भारत और अमेरिका कृषि क्षेत्र की स्थिति में जमीन-आसमान का फर्क बताते हुए उम्मीद जताई कि भारत सरकार देश के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं करेगी जो भारतीय किसानों के हित के विरुद्ध होगा. 

अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौते की वार्ता के नतीजों की घोषणा से ठीक पहले आयोजित इस सम्मेलन में नेताओं ने कहा कि भारत में कृषि, पशुपालन, मधुमक्खी पालन जैसे कार्य देश के किसानों की आजीविका के स्रोत हैं. भारत के किसानों को पश्चिम के किसानों के साथ खुले मुकाबले के लिए छोड़ना भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन के लिए संकट पैदा कर सकता है. वक्ताओं ने अमेरिका से जीएम फसलों के आयात को खोलेने के खतरे के बारे में बताया.

बीकेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णबीर चौधरी, किसान नेता और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय समन्वयक एवं अध्यक्ष सरदार वी एम सिंह, भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय मंत्री सोमदत्त शर्मा, स्वदेशी जागरण मंच के दीपक शर्मा, बीके एस के राष्ट्रीय महासचिव हातम  सिंह नागर,  किसान मजदूर यूनियन के नेता वीर महेंद्र प्रकाश, बीकेएस की कश्मीर इकाई के अध्यक्ष एमवाई ज़र्गर, पश्चिम बंगाल के किसान नेता अरुण मुखर्जी, पीजेंट्स वेलफेयर एशोसिएशन के अशोक बालियान , किसान नेतान धर्मेंद्र मलिक और अन्य नेताओं ने संबोधित किया.

भारत-अमेरिका के किसानों में फर्क

बीकेएस अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि भारत में 86 प्रतिशत किसानों की कृषि जोत एक हेक्टर से कम है जबकि अमेरिका में किसानों की सबसे छोटी जोत का आकार 180 हेक्टेयर है और उन्हें भारी सरकारी सहायता मिलती है. उन्होंने कहा, ‘हमें विश्वास है कि सरकार मजबूत है, यह कोई ऐसा समझौता नहीं करेगी जो देश और देश के किसानों के हित में न हो.' सरदार वीएम सिंह ने कहा, ‘भारत और अमेरिका के बीच अंतर इतना बड़ा है और सब्सिडी का अंतर इतना विशाल है कि वहां के साथ बराबरी का सौदा हो ही नहीं सकता.’

बीकेएस की कश्मीर इकाई के अध्यक्ष ज़र्गर ने कहा, ‘हमारे फल किसी भी देश से आयातित फल से अधिक मीठे और स्वादिष्ट हैं. हमा खेती-बाड़ी और बागवानी हमारे माफिक चलनी चाहिए.’ उन्होंने विश्व जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार देश के किसानों के हित का फैसला ही करेगी. किसान नेता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि भारत में अब भी 65 प्रतिशत आबदी की रोजी रोटी कृषि पर निर्भर है जबकि अमेरिका में दो प्रतिशत लोग ही फार्मिंग में हैं.

भारत के किसानों के सामने चैलेंज

स्वदेशी जगरण मंच के शर्मा, भारतीय किसान संघ के सोमदत्त और किसान मजदूर यूनियन के महेंद्र प्रकाश ने भी भारत में कृषि की विशिष्ट परिस्थितियों की चर्चा करते हुए कहा कि यह हमारी जीवन संस्कृति है जबकि पश्चिम में खेती और पशुपालन को व्यापार के रूप से लिया जाता और वहां के सब्सिडी प्राप्त किसानों से भारत के किसान मुकाबला नहीं कर सकते.

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वह 12 देशों को समझौते का पत्र भेजने जा रहे हैं. इन इन देशों से कहा जाएगा कि वे उसे पूरी तरह स्वीकार करें या पूरी तरह अस्वीकर करें. ट्रम्प सरकार ने समझौता करने के लिए देशों को 09 जुलाई तक का समय दे रखा है. ऐसा न होने पर देशों को अगस्त से अमेरिका में माल भेजने पर ऊंचे शुल्कों का सामना करना पड़ेगा. भारत अमेरिका के साथ द्विपीक्षीय व्यापार समझौते की बातचीत कर रहा है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है आज का भारत किसी समय सीमा की शर्त में बंध कर कोई समझौता नहीं करता, भारत आज अपनी ताकत के आधार पर बातचीत करता है. उन्होंने कहा है कि भारत के लिए राष्ट्र हित सर्वोपरि है.

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