देशभर में इन दिनों थोक मंडियों में प्याज की कीमतें लुढ़की हुई हैं और किसानों का हाल बेहाल है. खासकर प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसान कम कीमतों से काफी परेशान दिखाई दे रहे हैं. यहां कई मंडियों में किसानों को 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल में भी अपनी उपज बेचने पड़ रही है यानी 1 से 2 रुपये किलो भाव पर. बीते दिन भी दोनों राज्यों में प्याज की कीमतें काफी कम रही. वहीं, आज भी कीमतों का यही हाल है. प्याज की कम कीमतों पर ‘किसान तक’ ने महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले से फाेन पर बात की. उन्होंने कम कीमतों को लेकर सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की और साथ ही उन कारणों पर भी बात की जिनकी वजह से कीमतें अभी कम बनी हुई हैं. इससे पहले जानिए प्याज की कीमतें...
मंडी | न्यूनतम कीमत (रु./क्विंटल) | अधिकतम कीमत (रु./क्विंटल) | मॉडल कीमत (रु./क्विंटल) |
छत्रपति संभाजीनगर | 200 | 1400 | 800 |
कराड | 300 | 1600 | 1600 |
सोलापुर | 100 | 2200 | 1000 |
धुले | 400 | 1200 | 1110 |
जलगांव | 387 | 1377 | 877 |
सोलापुर (अन्य किस्म) | 100 | 3500 | 1700 |
येवला | 200 | 1391 | 900 |
सिन्नर-नायगांव | 100 | 1191 | 1050 |
मनमाड | 200 | 1191 | 950 |
सोर्स: msamb.com (08/10/2025)
भरत दिघोले ने प्याज की कम कीमतों के लिए सीधे तौर पर केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए अस्थिर निर्यात नीतियों को इसका बड़ा कारण बताया. उन्हाेंने कहा कि भारत इतना बड़ा देश है, जहां अन्य चीजें भले ही कितनी महंगी हो जाए तो सरकार का काम चल जाता है, लेकिन जहां प्याज की कीमतें थोड़ी बढ़ती हैं तो सरकार इन्हें गिराने में लग जाती है. उन्होंने कहा कि खराब निर्यात नीतियों के कारण भारत से प्याज खरीदने वाले देश अब हमसे छिटक रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन अब हमारे बाजारों पर कब्जा जमा रहे हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बीते साल रबी सीजन में बंपर बुवाई के बाद हुई अच्छी फसल के कारण भी इस साल थाेक मंडियों में प्याज किसानों को कम दाम मिल रहा है. वर्तमान में किसानों को बड़ी मुश्किल से 1000 से 1200 रुपये क्विंटल का भाव मिल रहा है, जबकि प्याज की खेती की लागत काफी बढ़ चुकी है. अब किसानों का एक क्विटंल
अप्रैल के आसपास नई फसल किसान स्टोरेज में रखना शुरू कर देते हैं, जो अब मंडियों में पहुंच रही है और आवक में कमी होने जैसी कोई ठोस स्थिति नहीं है, जिससे प्याज की कीमतें बढ़ सकें. उन्होंने हाल ही में हुई बारिश से खरीफ प्याज को हुए नुकसान पर कहा कि फसल को मामूली नुकसान हुआ है, जिससे कीमतें बढ़ने जैसी कोई बात नहीं है.
वहीं, आगामी सीजन में प्याज की बुवाई पर उन्होंने कहा कि लगातार कई महीनों से कम कीमतें मिलने के बावजूद प्याज के मुख्य सीजन (रबी) में इसकी बुवाई में खास कमी नहीं आएगी, क्योंकि महाराष्ट्र के एक बड़े क्षेत्र में भारी संख्या में ऐसे किसान हैं, जो हर साल प्याज की बुवाई ही करते हैं और उनके पास अन्य फसल की खेती करने का ऑप्शन नहीं है. फिर चाहे भले ही लंबे समय तक उन्हें इससे नुकसान हो या मुनाफा हो. हालांकि, उन्होंने कहा कि जो नए किसान प्याज की खेती से मुनाफा कमाने के लिहाज से कैश क्रॉप के तौर पर देखते है, वे बुवाई से पीछे हट सकते हैं, लेकिन बावजूद इसके बुवाई में कोई बड़ी कमी होने का अनुमान नहीं है.