पंजाब में हाल ही की बाढ़ से परेशान किसानों को अब राहत मिलती दिख रही है. धान की खरीद प्रक्रिया धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है, हालांकि मंडियों में फसल की आमद अभी भी धीमी है. लेकिन अब तक आई फसल में से लगभग 96% धान उठाया जा चुका है, जिससे किसानों को भुगतान भी समय पर मिल रहा है.
अब तक पंजाब की विभिन्न मंडियों में 5,14,036.61 मीट्रिक टन (MT) धान पहुंच चुका है. इनमें से 4,81,967.08 MT धान को सरकारी एजेंसियों ने खरीद लिया है. किसानों को करीब ₹923 करोड़ का भुगतान भी कर दिया गया है, जबकि ₹743 करोड़ का भुगतान अभी बकाया है.
द ट्रिब्यून के मुताबिक खन्ना अनाज मंडी आढ़तिया एसोसिएशन के अध्यक्ष हरबंस सिंह रोशा ने कहा कि अब तक करीब 7 लाख बोरियों में धान आया है, जिसमें से 6 लाख से ज्यादा बोरियां उठाई जा चुकी हैं. उन्होंने सरकार के इस फैसले की तारीफ की कि इस बार धान की खरीद 15 सितंबर से ही शुरू कर दी गई, जबकि आमतौर पर यह 10 अक्टूबर से शुरू होती है.
इस समय से पहले शुरू हुई खरीद से किसानों को समय मिला, जिससे "पैनिक हार्वेस्टिंग" नहीं हुई और खेतों में आग लगाने जैसी घटनाएं भी कम हुईं.
पटियाला की अनाज मंडी में स्थिति थोड़ी अलग है. वहां के आढ़तिया संघ के अध्यक्ष पवन कुमार सिंगला ने बताया कि भारी बारिश की भविष्यवाणी के कारण किसानों ने फसल जल्दबाजी में काट ली. इसके कारण मंडियों में पहुंची फसल में नमी की मात्रा अधिक है.
उन्होंने कहा कि गीले धान को बोरी में भरने से पहले सुखाना जरूरी है, ताकि खरीद एजेंसियों से विवाद न हो. किसानों से अपील की गई है कि जिनके पास स्टोरेज की सुविधा है, वे धान को सुखाकर ही मंडियों में लाएं.
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि गुरदासपुर के धारीवाल इलाके में किसानों ने शिकायत की है कि कुछ राइस शेलर मालिक नमी वाली फसल को उठाने के लिए प्रति क्विंटल ₹179 से ₹300 तक की कटौती मांग रहे हैं.
राजेवाल ने कहा कि बाढ़ से पहले ही किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं और ऐसे समय में उनका शोषण नहीं होना चाहिए. उन्होंने इस मामले को जिला प्रशासन के पास उठाया है.
पंजाब में धान की खरीद ने रफ्तार पकड़ ली है और किसानों को भुगतान भी समय पर मिल रहा है. हालांकि कुछ इलाकों में नमी की समस्या और निजी शेलर मालिकों के व्यवहार पर सवाल उठ रहे हैं. सरकार और संबंधित विभागों को चाहिए कि वे इन मुद्दों पर जल्द से जल्द समाधान करें, ताकि किसानों को और राहत मिल सके.
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