नमी बताकर सस्ते में उपज की खरीद, करनाल मंडी में आढ़ती और खरीद एजेंसियों पर भड़के किसान

नमी बताकर सस्ते में उपज की खरीद, करनाल मंडी में आढ़ती और खरीद एजेंसियों पर भड़के किसान

करनाल जिले की अलग-अलग अनाज मंडियों में किसानों को "अधिक नमी" के बहाने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम पर अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इसके अलावा सरकारी रसीदों के बजाय उन्हें अस्थायी पर्चियां दी जा रही हैं.

हरियाणा की मंडियों में धान का उठानहरियाणा की मंडियों में धान का उठान
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 03, 2025,
  • Updated Oct 03, 2025, 1:44 PM IST

हरियाणा में धान की सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है. इस बीज करनाल जिले की अलग-अलग अनाज मंडियों में किसानों को "अधिक नमी" के बहाने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम पर अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इसके अलावा सरकारी रसीदों के बजाय उन्हें अस्थायी पर्चियां दी जा रही हैं, जिससे खरीद में नियम का पालन न होने से किसान काफी परेशान हैं.

MSP से नीचे हो रही धान की खरीद

किसानों के अनुसार दी जा रही औसत कीमत एमएसपी से 200-400 रुपये प्रति क्विंटल कम है, जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है. किसान नमी के मानदंडों में ढील के साथ निष्पक्ष खरीद की मांग कर रहे हैं, क्योंकि प्राकृतिक आपदाओं ने पहले ही उनकी उपज को प्रभावित किया है. बता दें कि सामान्य धान के लिए एमएसपी 2,369 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए के लिए 2,389 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है.

फसल में नमी की मात्रा 20-22 प्रतिशत

इस बीच स्थानीय अनाज मंडियों में धान की आवक बढ़ गई है, लेकिन अधिकांश फसल में नमी की मात्रा 20-22 प्रतिशत है, जो निर्धारित सीमा 17 प्रतिशत से अधिक है, जिसके कारण सरकारी एजेंसियां ​​खरीद शुरू नहीं कर पा रही हैं.

किसानों ने लगाया खरीद एजेंसियों पर आरोप

करनाल अनाज मंडी के एक किसान ने कहा कि इस सीजन में बौना वायरस, बेमौसम बारिश और जलभराव के कारण हमारा उत्पादन 8-12 क्विंटल प्रति एकड़ कम हो गया है. वहीं, आढ़ती और चावल मिल मालिक, खरीद एजेंसियों के कर्मचारियों से मिलीभगत करके धान की ठीक से खरीद नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से सभी किसानों को अपनी उपज  औने-पौने दामों पर बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

कई किसानों की शिकायत है कि अधिकारी, मिल मालिक और आढ़ती जानबूझकर नमी का हवाला देकर धान का स्टॉक खारिज कर रहे हैं, ताकि उन्हें मजबूरन MSP से कम दाम में बेचना पड़े. एक अन्य किसान ने कहा कि हमें उचित रसीदों के बजाय केवल अस्थायी पर्चियां दी जा रही हैं. ऐसा लग रहा है जैसे हमें अपनी ही मंडियों में धोखा दिया जा रहा है. मेरी फसल 2,150 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदी गई है और मुझे एक अस्थायी पर्ची भी दी गई है. मैं अपने खाते में भेजी जाने वाली राशि की जांच करूंगा.

नमी के नीयमों में ढील देने की मांग

किसान नेताओं ने इन घटनाओं की निंदा की है. भारतीय किसान यूनियन (सर छोटू राम) के प्रवक्ता बहादुर सिंह मेहला ने कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि किसानों का शोषण है. सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद का वादा किया था, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. किसान पहले से ही कम पैदावार के कारण संकट में हैं, और उन्हें उचित दाम न देने से उनकी स्थिति और बिगड़ेगी.

उन्होंने कहा कि अगर इस समस्या का तुरंत समाधान नहीं हुआ, तो किसानों के पास अपना विरोध प्रदर्शन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा. उन्होंने आगे कहा कि हम निष्पक्ष खरीद और नमी के मानदंडों में ढील चाहते हैं. प्रकृति ने जो किया है, उसके लिए किसानों को सजा नहीं मिलनी चाहिए.

मंडी समिति के अधिकारी कर रहे निगरानी

जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक (डीएफएससी) अनिल कुमार ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद तय करने के लिए खरीद एजेंसियां ​​अनाज मंडियों में मौजूद हैं. उन्होंने आगे कहा कि नमी के कारण कुछ समस्याएं आ रही हैं. वहीं, अस्थायी पर्चियां जारी करने के बारे में उन्होंने कहा कि इनकी निगरानी मंडी समिति के अधिकारी कर रहे हैं. इस बीच एक अधिकारी ने बताया कि बड़ी संख्या में मिल मालिक अभी भी खरीद के लिए अनाज मंडियों में नहीं आए हैं. 

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