केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में एक कीटनाशक निर्माता कंपनी का लाइसेंस निलंबित करने के आदेश दिए हैं. मगर इस फैसले के बाद अब विशेषज्ञ खरपतवारनाशक-सहिष्णु किस्मों को अंधाधुंध मंजूरी देने पर सवाल उठा रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इन किस्मों से खरपतवारनाशकों का इस्तेमाल बढ़ता है, जिससे आखिरकार मिट्टी प्रदूषित होती है. एक वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि कृषि उपयोग के लिए कई सारे शाकनाशी को मंजूरी मिली है, जबकि बाजार में विभिन्न फसलों की शाकनाशी-सहिष्णु किस्में सीमित हैं. इससे शाकनाशी-सहिष्णु (HT) किस्में विकसित करने के लिए अनुसंधान को बढ़ावा मिला है और साथ ही कंपनियों द्वारा इन रसायनों की बिक्री को भी बढ़ावा मिला है.
इसको लेकर एक अंग्रेजी वेबसाइट 'बिजनेस लाइन' ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कई कृषि संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के शोधकर्ता उच्च उत्पादकता वाली किस्मों को विकसित करने पर काम कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि 'स्वर्ण सब 1' चावल की एक खरपतवारनाशक-सहिष्णु किस्म को मंजूरी देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जो आसल में बाढ़ को सहन करने में सक्षम मानी जाती है. एक कृषि वैज्ञानिक ने कहा, "चूंकि 'स्वर्ण सब 1' धान वहां उगाया जाता है जहां पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है और जल-जमाव वाले खेत के कारण खरपतवार का कोई खतरा नहीं होता है, इसलिए किसी भी एचटी किस्म की आवश्यकता नहीं है."
बता दें कि सरकार ने विषाक्तता की चिंताओं के कारण अभी तक HTBt कपास को मंजूरी नहीं दी है, जबकि इसकी खेती और बीजों का प्रजनन हर साल बड़े क्षेत्र में अवैध रूप से किया जाता रहा है. व्यापार नीति विशेषज्ञ एस चंद्रशेखरन ने कहा कि शाकनाशी का प्रयोग मिट्टी में विषाक्तता बढ़ा रहा है. मानव, पशु और पौधों पर इसका प्रभाव स्थायी है और आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा. दूसरी ओर, शाकनाशी प्रतिरोधी किस्में प्राकृतिक कृषि और अच्छे पोषक तत्वों को विकृत कर रही हैं. चूंकि कृषि में हमारा ध्यान और प्राथमिकता प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहा है, इसलिए हमें इस विषय में एक सतर्क और संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है.
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि राज्य सरकार ने शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर एचपीएम केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स का लाइसेंस निलंबित करने का निर्णय लिया है. राजस्थान के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक अनिल कुमार विजय ने एक आदेश में कहा कि कीटनाशक अधिनियम, 1968 की धारा 14 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत, एचपीएम केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (राजस्थान में दोनों इकाइयों के लिए) को दिए गए विनिर्माण लाइसेंस संख्या एल-38, एल-120 और एल-210 को जांच के अंतिम परिणाम तक अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
उन्होंने कंपनी को सूचित किया कि आपको उपरोक्त इकाइयों से सभी कीटनाशक उत्पादों के विनिर्माण, बिक्री और वितरण को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया जाता है. कंपनी के क्लोरिम्यूरॉन इथाइल के कारण मध्य प्रदेश के कई जिलों में सोयाबीन की फसल को नुकसान हुआ है.
RSS से जुड़े भारतीय किसान संघ के महासचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि उनके संगठन का दृढ़ विश्वास है कि भारत में खरपतवारनाशकों की और खरपतवारनाशकों को सहन करने वाली किस्मों की कोई ज़रूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि खरपतवारों को दवाओं से मारने के बजाय उन्हें हटाया जाना चाहिए क्योंकि कई औषधीय जड़ी-बूटियां प्राकृतिक रूप से उगती हैं और उन्हें मारना जैव विविधता का विनाश है.
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